{"_id":"6913610095718195620c57e6","slug":"tarn-taran-by-election-lowest-voter-turnout-in-40-years-2027-punjab-assembly-election-2025-11-11","type":"story","status":"publish","title_hn":"तरनतारन उपचुनाव: 40 साल बाद सबसे कम मतदान; 2027 की कितनी तैयारी, तय करेंगे परिणाम, जीत के मायने क्या?","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
तरनतारन उपचुनाव: 40 साल बाद सबसे कम मतदान; 2027 की कितनी तैयारी, तय करेंगे परिणाम, जीत के मायने क्या?
मोहित धुपड़, चंडीगढ़
Published by: अंकेश ठाकुर
Updated Wed, 12 Nov 2025 05:45 AM IST
सार
तरनतारन उपचुनाव में सभी के लिए जीत बहुत मायने रखेगी क्योंकि इस जीत को राजनीतिक पार्टियां फरवरी 2027 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर अपना परफार्मेंस टेस्ट समझकर मैदान में उतरी हैं।
विज्ञापन
पंजाब का लोकसभा चुनाव
- फोटो : अमर उजाला (फाइल)
विज्ञापन
विस्तार
तरनतारन उपचुनाव के दौरान 40 साल बाद सबसे कम मतदान हुआ है। साल 1985 में 57.5 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। उसके बाद अब 2025 के उपचुनाव में शाम छह बजे तक मतदान प्रतिशत 60.95 रहा। यानी इस सीट पर मतदाताओं का उत्साह औसत ही रहा। उधर, चुनाव के बाद अब सभी दल गुना-गणित में जुट गए हैं।
Trending Videos
इस उपचुनाव में सभी के लिए जीत बहुत मायने रखेगी क्योंकि इस जीत को राजनीतिक पार्टियां फरवरी 2027 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर अपना परफार्मेंस टेस्ट समझकर मैदान में उतरी हैं। यह जीत बताएगी कि साढ़े तीन साल में किस दल ने अपनी नींव को कितना मजबूत किया है। सबसे बड़ी प्रतिष्ठा का सवाल सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के लिए होगा, क्योंकि आप को इस जीत से प्रदेश में यह संदेश देना है कि आज भी सूबे में आप किसी तरह की विरोधी लहर से नहीं जूझ रही है जबकि अन्य विरोधी दल चुनाव के दाैरान इसी बात को ज्यादा तूल दे रहे थे।
विज्ञापन
विज्ञापन
आप ने इस चुनाव में भी अपने विकास प्लस पंथक फार्मूले को ही आगे बढ़ाया। इस फार्मूले को और मजबूत आधार उस वक्त मिला जब साल 2002, 2007 और 2012 के विधायक व वरिष्ठ अकाली नेता हरमीत सिंह संधू को आप ने अपने पाले में ले लिया। पंथक राजनीति में हरमीत संधू की मजबूत पैठ मानी जाती है और इसी एजेंडे के बूते वे तीन बार लगातार चुनाव जीते। साल 2017 व 2022 में भी संधू दूसरे स्थान पर रहे। पिछली बार उन्हें आप के दिवंगत विधायक कश्मीर सिंह सोहल ने हराया था मगर इस बार संधू आप के प्रत्याशी हैं।
चुनाव से ठीक पहले संधू की आप में एंट्री से शिअद को करारा झटका लगा मगर शिअद ने भी पंथक राजनीतिक का दूसरा चेहरा एक धर्मी फौजी की पत्नी सुखविंदर कौर रंधावा को मैदान में उतार दिया। इस महिला प्रत्याशी की भी शहरी और ग्रामीण इलाके में अच्छी पैठ मानी जाती है। कई गांव के सरपंच व पार्षदों का भी उन्हें खुला समर्थन मिला। भाजपा के लिए यहां खोने को कुछ नहीं है मगर वह जितना ज्यादा वोट प्राप्त करेगी, उसका फायदा आप को मिल सकता है, क्योंकि इस सीट पर पंथक वोट बंटने की संभावना है और यह वोट अकाली, आप के साथ-साथ वारिस पंजाब दे समेत अन्य अकाली दलों के संयुक्त उम्मीदवार मनदीप सिंह खालसा के बीच बंटेगा।
पंथक एजेंडे के अलावा कुछ साल से इस क्षेत्र के लोग विकास के एजेंडे को भी प्राथमिकता पर रख रहे हैं। लिहाजा आप नेताओं ने विकास संबंधी अपने साढ़े तीन साल के रिपोर्ट कार्ड को मतदाताओं के घर-घर तक पहुंचाने का भी प्रयास किया। उधर, कांग्रेस ने भी इस चुनाव में अपनी खोई सियासी जमीन दोबारा पाने के लिए जोर लगाया है। साल 2017 में कांग्रेस के धर्मबीर अग्निहोत्री विजयी रहे थे मगर साल 2022 के चुनाव में कांग्रेस तीसरे स्थान पर खिसक गई। इस उपचुनाव के परिणाम के जरिये कांग्रेस भी अपनी तैयारियों का आकलन कर लेगी। 14 नवंबर को मतगणना है, सभी प्रत्याशियों को अब नतीजों का बेसब्री से इंतजार है।
किस साल में कितना मतदान
साल मतदान प्रतिशत
1977 66.2
1980 67.4
1985 57.5
1992 निर्विरोध विधायक घोषित
1997 63.8
2002 62.9
2007 65.7
2012 77.1
2017 72.2
2022 66.0
2025 60.95