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Bus Strike: पंजाब रोडवेज की बसों के थमेंगे पहिए; यूनियन ने दी हड़ताल की चेतावनी, सीएम आवास का करेंगे घेराव
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: अंकेश ठाकुर
Updated Wed, 12 Nov 2025 10:19 PM IST
सार
पंजाब रोडवेज पनबस/पीआरटीसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन ने एक बार फिर से चक्का जाम करने की चेतावनी दी है। यूनियन की बुधवार को संयुक्त सचिव के साथ मांगों को लेकर बैठक हुई लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई है।
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पंजाब में रोडवेज की हड़ताल
- फोटो : संवाद (फाइल)
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विस्तार
पंजाब रोडवेज पनबस, पीआरटीसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन ने किलोमीटर स्कीम के खिलाफ 17 नवंबर को 12 बजे से हड़ताल की चेतावनी दी है, जिसके चलते यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही 18 नवंबर को सीएम आवास के घेराव का भी एलान किया है।
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यूनियन की बुधवार को संयुक्त सचिव के साथ मांगों को लेकर बैठक हुई लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई है। यूनियन के अनुसार एक महीने के अंदर उनकी मांगों को पूरा करने का भरोसा दिया गया था लेकिन अभी तक पूरा नहीं किया गया है। 17 नवंबर को विभाग फिर से किलोमीटर स्कीम का टेंडर खोलने की तैयारी कर रहा है जिसके खिलाफ ही उन्होंने हड़ताल करने का फैसला लिया है।
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किलोमीटर स्कीम से विभाग को नुकसान हो रहा है। साथ ही फ्री बस सेवा का बकाया नहीं दिया जा रहा है। साथ ही विभाग अपनी बसें खरीदने की स्थिति भी स्पष्ट नहीं कर रहा है।
यूनियन ने बताया कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने एक महीने के अंदर मांगों का समाधान करने का लिखित आश्वासन दिया था, लेकिन एक भी मांग का समाधान नहीं हुआ। यह स्पष्ट किया गया कि सरकार विभागों के करोड़ों रुपये की मुफ्त यात्रा सुविधा प्रदान करने की राशि दिलवाने और अपनी नई सरकारी बसें को बेड़े डालेंगी। लेकिन हर बार की तरह यह आश्वासन दिया गया सरकार यूनियन की मांगों का समाधान कर रही हैं। जल्द ही पंजाब के मुख्यमंत्री के साथ मीटिंग का आश्वासन दिया गया। बुधवार को हुई बैठक में यूनियन की एक मांग भी नही मानी गई। इसके अलावा संगठन की पहले की मानी गई मांगों को लागू नहीं किया जा रहा है और पीआरटीसी का वेतन आज तक जारी नहीं किया गया है। इसके विपरीत किलोमीटर स्कीम बसों के टेंडर बार-बार लाए जा रहे हैं।
सरकार और प्रबंधन कॉर्पोरेट घरानों को लाभ देने और विभागों को लूटने के लिए तैयार नजर आ रहा है, जबकि पीआरटीसी के द्राक्ष चलाई जा रही वॉल्वो, एचवीएसी, साधारण बसें लगातार घाटे में ही चल रही हैं, जिसके आंकड़े भी संगठन द्वारा पुख्ता सबूतों के तौर पर दिए गए हैं।