मोहाली। इलाके के लोगों को ताजे फल और सब्जियां मुहैया करवाने के लिए आठ साल पहले फेज-11 में बनाई गई अति आधुनिक सब्जी मंडी सफेद हाथी साबित हो रही है। उस समय दावा किया गया था कि मंडी किसानों के लिए वरदान बनेगी। किसान अपनी सुविधा अनुसार अपनी उपज बेच पाएंगे। इसके साथ ही सुरक्षित रख पाएंगे लेकिन हालात यह है कि अभी तक मंडी की एक दुकान भी नहीं खुल पाई है। मंडी राजनीतिक समागमों से लेकर अन्य विभागों का स्टोर बन कर रही है। इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की फोटो वाली फतेह किट के बॉक्स वहां पर रखे हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक अकाली-भाजपा सरकार के समय में फेज-11 में विदेशों की तर्ज पर पचास करोड़ की लागत से 12.5 एकड़ में एसी मंडी बनाई गई थी। उत्तरी भारत की अपनी तरह की पहली मंडी थी। इसमे दो मंजिल 34 दुकानें और 95 परचून की दुकानें है। 2014 में मंडी को आम लोगों को समर्पित कर दिया गया था लेकिन उसके बाद से अभी तक यह चल नहीं पाई है। सरकार ने मंडी को दक्षिणी राज्यों की तर्ज पर चलाने की तैयारी भी की लेकिन कंपनियों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। दुकानों की नीलामी अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है क्योंकि प्रोजेक्ट में बहुत ही कम लोगों ने दिलचस्पी दिखाई। इसकी वजह पहले यहां मार्केट फीस दो फीसदी थी। इसके अलावा दुकानों की कीमत काफी ऊंची थी। ऐसे में खरीदार पीछे हट गए। उनका कहना था कि चंडीगढ़ की मंडी बिल्कुल पास है। ऐसे में उन्हें कोई ज्यादा फायदा नहीं दिख रहा है।
बादल से लेकर कैप्टन तक के समागमों हो चुके है मंडी में
एसी सब्जी मंडी जिस काम के लिए बनाई गई हो, उसके लिए अभी तक प्रयोग न हो लेकिन राजनीति व सरकारी प्रोग्राम यहां जरूर करवाए जाते हैं। भाजपा-अकाली दल के समय में जब एग्रीकल्चर समिट करवाई गई थी तो उस समय बहुत बारिश हुई थी। ऐसे में राजनीतिक प्रोग्राम यहीं पर करवाया गया था। इसी तरह कांग्रेस सरकार के समय में भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का एक बड़ा प्रोग्राम यही संपन्न हुआ था । इतना ही नहीं नगर निगम चुनाव के कुछ वार्डों की गिनती तक भी यही हुई थी।
इस वजह से कामयाब नहीं हो पाई मंडी
एसी सब्जी मंडी कामयाब न होने के पीछे एक प्रमुख वजह यह भी है कि यह शहर से बिल्कुल बाहर एक कोने पर स्थित है। फेज 1 से 11 की दूरी करीब 9 किलोमीटर है जबकि रास्ते में कई मार्केट स्थित है। जहां पर लोग आसानी से सब्जी खरीद सकते हैं। ऐसी ही स्थिति किसानों के लिए भी है। उनके लिए कई विकल्प हैं। इसके अलावा किसान खरड़ में भी अपना सामान देख लेते हैं। इतना ही नहीं चंडीगढ़ बिल्कुल पास है। रोजाना लगने वाली मंडियां भी विकल्प हैं।
कोरोना काल में मिली थी ऑक्सीजन
कोरोना काल में भले ही लोगों को परेशानी लेकर आया था, लेकिन एसी मंडी के लिए यह वरदान सिद्ध हुआ था। इस दौरान फेज-एक से चलने वाली आढ़त वाली मंडी को भी यहां पर शिफ्ट कर दिया गया था क्योंकि वहां पर कोरोना दिशानिर्देशों का पालन नहीं हो रहा था। कुछ समय के लिए मंडी में खूब चहल-पहल रही थी। हालांकि उसके बाद कोरोना की लहर कमजोर पड़ी। दूसरा वहां गए दुकानदारों को दिक्कत आ रही थी। इसके बाद वह फेज-एक की मंडी में आ गए थे।
क्या कहते हैं अधिकारी
फतेह किट के बॉक्स मंडी में क्यों रखे गए हैं। इस संबंधी संबंधित विभागों से जवाब तलब किया जाएगा। एसी मंडी को चलाने की दिशा में कार्रवाई जाएगी। लोगों को सारी सुविधाएं दी जाएंगी। -अमित तलवार, डीसी मोहाली
मंडी को चलाने के लिए सरकार पूरी तरह गंभीर
एसी मंडी को चलाने के लिए सरकार पूरी तरह गंभीर है। मंडी को जल्दी से जल्दी शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए अधिकारियों की बैठक व अन्य औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। -भजन कौर, जिला मंडी अफसर
मोहाली। इलाके के लोगों को ताजे फल और सब्जियां मुहैया करवाने के लिए आठ साल पहले फेज-11 में बनाई गई अति आधुनिक सब्जी मंडी सफेद हाथी साबित हो रही है। उस समय दावा किया गया था कि मंडी किसानों के लिए वरदान बनेगी। किसान अपनी सुविधा अनुसार अपनी उपज बेच पाएंगे। इसके साथ ही सुरक्षित रख पाएंगे लेकिन हालात यह है कि अभी तक मंडी की एक दुकान भी नहीं खुल पाई है। मंडी राजनीतिक समागमों से लेकर अन्य विभागों का स्टोर बन कर रही है। इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की फोटो वाली फतेह किट के बॉक्स वहां पर रखे हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक अकाली-भाजपा सरकार के समय में फेज-11 में विदेशों की तर्ज पर पचास करोड़ की लागत से 12.5 एकड़ में एसी मंडी बनाई गई थी। उत्तरी भारत की अपनी तरह की पहली मंडी थी। इसमे दो मंजिल 34 दुकानें और 95 परचून की दुकानें है। 2014 में मंडी को आम लोगों को समर्पित कर दिया गया था लेकिन उसके बाद से अभी तक यह चल नहीं पाई है। सरकार ने मंडी को दक्षिणी राज्यों की तर्ज पर चलाने की तैयारी भी की लेकिन कंपनियों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। दुकानों की नीलामी अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है क्योंकि प्रोजेक्ट में बहुत ही कम लोगों ने दिलचस्पी दिखाई। इसकी वजह पहले यहां मार्केट फीस दो फीसदी थी। इसके अलावा दुकानों की कीमत काफी ऊंची थी। ऐसे में खरीदार पीछे हट गए। उनका कहना था कि चंडीगढ़ की मंडी बिल्कुल पास है। ऐसे में उन्हें कोई ज्यादा फायदा नहीं दिख रहा है।
बादल से लेकर कैप्टन तक के समागमों हो चुके है मंडी में
एसी सब्जी मंडी जिस काम के लिए बनाई गई हो, उसके लिए अभी तक प्रयोग न हो लेकिन राजनीति व सरकारी प्रोग्राम यहां जरूर करवाए जाते हैं। भाजपा-अकाली दल के समय में जब एग्रीकल्चर समिट करवाई गई थी तो उस समय बहुत बारिश हुई थी। ऐसे में राजनीतिक प्रोग्राम यहीं पर करवाया गया था। इसी तरह कांग्रेस सरकार के समय में भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का एक बड़ा प्रोग्राम यही संपन्न हुआ था । इतना ही नहीं नगर निगम चुनाव के कुछ वार्डों की गिनती तक भी यही हुई थी।
इस वजह से कामयाब नहीं हो पाई मंडी
एसी सब्जी मंडी कामयाब न होने के पीछे एक प्रमुख वजह यह भी है कि यह शहर से बिल्कुल बाहर एक कोने पर स्थित है। फेज 1 से 11 की दूरी करीब 9 किलोमीटर है जबकि रास्ते में कई मार्केट स्थित है। जहां पर लोग आसानी से सब्जी खरीद सकते हैं। ऐसी ही स्थिति किसानों के लिए भी है। उनके लिए कई विकल्प हैं। इसके अलावा किसान खरड़ में भी अपना सामान देख लेते हैं। इतना ही नहीं चंडीगढ़ बिल्कुल पास है। रोजाना लगने वाली मंडियां भी विकल्प हैं।
कोरोना काल में मिली थी ऑक्सीजन
कोरोना काल में भले ही लोगों को परेशानी लेकर आया था, लेकिन एसी मंडी के लिए यह वरदान सिद्ध हुआ था। इस दौरान फेज-एक से चलने वाली आढ़त वाली मंडी को भी यहां पर शिफ्ट कर दिया गया था क्योंकि वहां पर कोरोना दिशानिर्देशों का पालन नहीं हो रहा था। कुछ समय के लिए मंडी में खूब चहल-पहल रही थी। हालांकि उसके बाद कोरोना की लहर कमजोर पड़ी। दूसरा वहां गए दुकानदारों को दिक्कत आ रही थी। इसके बाद वह फेज-एक की मंडी में आ गए थे।
क्या कहते हैं अधिकारी
फतेह किट के बॉक्स मंडी में क्यों रखे गए हैं। इस संबंधी संबंधित विभागों से जवाब तलब किया जाएगा। एसी मंडी को चलाने की दिशा में कार्रवाई जाएगी। लोगों को सारी सुविधाएं दी जाएंगी। -अमित तलवार, डीसी मोहाली
मंडी को चलाने के लिए सरकार पूरी तरह गंभीर
एसी मंडी को चलाने के लिए सरकार पूरी तरह गंभीर है। मंडी को जल्दी से जल्दी शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए अधिकारियों की बैठक व अन्य औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। -भजन कौर, जिला मंडी अफसर