जीरकपुर। जीरकपुर-चंडीगढ़ एयर फोर्स स्टेशन के 100 मीटर दायरे में आने वाली 81 इमारतों में से 13 अवैध इमारतों को तोड़ने के बाद स्थानीय लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया था। सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत न मिलने के बाद नगर काउंसिल जीरकपुर के अधिकारी 26 मार्च की पेशी से पहले घरों को तोड़कर रिपोर्ट पेश करेंगे।
कार्रवाई करने से पहले शनिवार को घरों की निशानदेही भी करवाई गई थी और कार्रवाई करने के लिए सोमवार का दिन रखा गया था। परंतु कोरोना वायरस के चलते इस काम को रोक दिया गया है। इससे पहले 19 फरवरी को कार्रवाई न करने के चलते हाईकोर्ट ने नगर काउंसिल जीरकपुर और जिला प्रशासनिक अधिकारियों को फटकार लगाई थी। इसके बाद अगले ही दिन 20 फरवरी को नगर काउंसिल द्वारा करवाई करते हुए 13 कॉर्मशियल इमारतों को तोड़ दिया था। इसके लिए डीसी मोहाली के आदेशों पर नायब तहसीलदार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट और एमई मुकेश राय को नोडल ऑफिसर बनाया गया था।
पैसे देकर खरीदे हैं प्लॉट
गांव पभात और 100 मीटर के दायरे में रहने वाले लोगों ने कहा की हमने पैसे देकर प्लॉट खरीदे हैं। रजिस्ट्री करवाने के लिए सरकार को फीस दी गई है। सीवरेज और पीने वाले पानी के कनेक्शन भी फीस भरकर लिए हैं। इन सबके बावजूद उन्होंने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस दर्ज किया था और सुप्रीम कोर्ट ने केस को वापस हाई कोर्ट में भेज दिया था। इस पर हाई कोर्ट ने आदेश दिए थे कि वह अपने ही फैसले के खिलाफ कैसे जा सकते हैं। लोगों ने कहा कि अगली तारीख 26 मार्च को है हो सकता है की हाईकोर्ट 26 तारीख को उनकी सुनवाई करे। इससे पहले कोई उनकी इमारत कैसे तोड़ सकता है।
मुआवजा दिया जाए
स्थानीय लोगों ने कहा कि कोर्ट उनकी सुनवाई करे और या तो उनको मुआवजा दिया जाए या फिर जमीन के बदले उनको कहीं और जमीन दी जाए। क्योंकि उनकी जीवन भर की पूंजी यहां पर लगी हुई है। अगर उनके घर टूटते हैं तो वह बर्बाद हो जाएंगे। लोगों ने कहा कि कोई झुगी-झोपड़ी तोड़ी जाती है तो सरकार नई जगह उनको घर बनाकर देती है। परंतु यहां तो हमने जीवन भर की पूंजी लगा रखी है।
अगली कार्रवाई के लिए दिन तय नहीं : ईओ
इस संबंधी नगर काउंसिल जीरकपुर के कार्यकारी अधिकारी मनवीर सिंह गिल ने बताया की हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार अवैध निर्माणों को तोड़ने के लिए शनिवार को घरों के ऊपर नंबर लगा दिए गए थे ताकि लोगों को इसकी सूचना मिल जाए। इससे वह अपना सामान वहां से हटा लें क्योंकि 20 फरवरी की कार्रवाई के दौरान की इमारतों के अंदर सामान पड़ा होने के कारण लोगों का नुकसान भी हुआ था। उन्होंने बताया कि कार्रवाई के लिए सोमवार का दिन तय किया गया था परंतु कोरोना के चलते कार्रवाई को रोका गया है। अगली कार्रवाई के लिए अभी दिन तय नहीं किया गया है।
जीरकपुर। जीरकपुर-चंडीगढ़ एयर फोर्स स्टेशन के 100 मीटर दायरे में आने वाली 81 इमारतों में से 13 अवैध इमारतों को तोड़ने के बाद स्थानीय लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया था। सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत न मिलने के बाद नगर काउंसिल जीरकपुर के अधिकारी 26 मार्च की पेशी से पहले घरों को तोड़कर रिपोर्ट पेश करेंगे।
कार्रवाई करने से पहले शनिवार को घरों की निशानदेही भी करवाई गई थी और कार्रवाई करने के लिए सोमवार का दिन रखा गया था। परंतु कोरोना वायरस के चलते इस काम को रोक दिया गया है। इससे पहले 19 फरवरी को कार्रवाई न करने के चलते हाईकोर्ट ने नगर काउंसिल जीरकपुर और जिला प्रशासनिक अधिकारियों को फटकार लगाई थी। इसके बाद अगले ही दिन 20 फरवरी को नगर काउंसिल द्वारा करवाई करते हुए 13 कॉर्मशियल इमारतों को तोड़ दिया था। इसके लिए डीसी मोहाली के आदेशों पर नायब तहसीलदार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट और एमई मुकेश राय को नोडल ऑफिसर बनाया गया था।
पैसे देकर खरीदे हैं प्लॉट
गांव पभात और 100 मीटर के दायरे में रहने वाले लोगों ने कहा की हमने पैसे देकर प्लॉट खरीदे हैं। रजिस्ट्री करवाने के लिए सरकार को फीस दी गई है। सीवरेज और पीने वाले पानी के कनेक्शन भी फीस भरकर लिए हैं। इन सबके बावजूद उन्होंने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस दर्ज किया था और सुप्रीम कोर्ट ने केस को वापस हाई कोर्ट में भेज दिया था। इस पर हाई कोर्ट ने आदेश दिए थे कि वह अपने ही फैसले के खिलाफ कैसे जा सकते हैं। लोगों ने कहा कि अगली तारीख 26 मार्च को है हो सकता है की हाईकोर्ट 26 तारीख को उनकी सुनवाई करे। इससे पहले कोई उनकी इमारत कैसे तोड़ सकता है।
मुआवजा दिया जाए
स्थानीय लोगों ने कहा कि कोर्ट उनकी सुनवाई करे और या तो उनको मुआवजा दिया जाए या फिर जमीन के बदले उनको कहीं और जमीन दी जाए। क्योंकि उनकी जीवन भर की पूंजी यहां पर लगी हुई है। अगर उनके घर टूटते हैं तो वह बर्बाद हो जाएंगे। लोगों ने कहा कि कोई झुगी-झोपड़ी तोड़ी जाती है तो सरकार नई जगह उनको घर बनाकर देती है। परंतु यहां तो हमने जीवन भर की पूंजी लगा रखी है।
अगली कार्रवाई के लिए दिन तय नहीं : ईओ
इस संबंधी नगर काउंसिल जीरकपुर के कार्यकारी अधिकारी मनवीर सिंह गिल ने बताया की हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार अवैध निर्माणों को तोड़ने के लिए शनिवार को घरों के ऊपर नंबर लगा दिए गए थे ताकि लोगों को इसकी सूचना मिल जाए। इससे वह अपना सामान वहां से हटा लें क्योंकि 20 फरवरी की कार्रवाई के दौरान की इमारतों के अंदर सामान पड़ा होने के कारण लोगों का नुकसान भी हुआ था। उन्होंने बताया कि कार्रवाई के लिए सोमवार का दिन तय किया गया था परंतु कोरोना के चलते कार्रवाई को रोका गया है। अगली कार्रवाई के लिए अभी दिन तय नहीं किया गया है।