मोहाली। राज्य के भर के दूध उत्पादक (डेयरी किसान) भी सोमवार को सरकार के खिलाफ संघर्ष की राह पर आ गए। उन्होंने खरड़-चंडीगढ़ हाईवे के किनारे फेज-छह में स्थित वेरका मिल्क प्लांट के बाहर मोर्चा लगा दिया।
किसानों का कहना है कि गत दो सालों में हरेक चीज महंगी हुई लेकिन दूध के रेट नहीं बढ़े। इस वजह से उन्हें संघर्ष की राह पर आना पड़ा है। उन्होंने चेतावनी दी है जब तक उनकी सुनवाई नहीं होती है तब तक वे डटे रहेंगे। हालांकि सरकार ने इन्हें शांत करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। खबर लिखे जाने जाने तक बैठक चल रही थी।
राज्यभर से दूध उत्पादक प्रोग्रेसिव डेयरी फार्मर्स एसोसिएशन के बैनर तले शनिवार को फेज-छह वेरका मिल्क प्लांट में जुटे। संस्था के अध्यक्ष दलजीत सिंह सदरपुरा ने बताया कि कृषि के बाद पंजाब में दूध उद्योग (डेयरी फार्मिंग) किसानों की आजीविका का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। राज्य आज देश में कॉमर्शियल डेयरी फार्मिंग में पहले नंबर पर है। पंजाब में दुग्ध उत्पादक किसानों की संख्या पूरे देश से सबसे ज्यादा है लेकिन आज यह उद्योग आर्थिक संकट से गुजर रहा है। फिर चाहे वह दूध का बड़ा या छोटा उत्पादक है। पिछले दो वर्षों में हमने महामारी के कारण दूध की कीमतों में वृद्धि पर कोई मुद्दा नहीं उठाया है क्योंकि हम जानते हैं कि दुग्ध उत्पादकों सहित हर कोई संकट में से गुजर रहा है। गत वर्षों में पशुओं के चारे की दरें दोगुनी हो गई हैं और इतनी अधिक बढ़ोतरी पिछले 25 वर्षों के डेयरी कारोबार में पहले कभी नहीं देखी गई थी।
इस वजह से भी बढ़ रहा है खर्च
पशुओं के चारे का प्रमुख हिस्सा सोयाबीन है जो कि एक साल पहले 3200 रुपये प्रति क्विंटल था, अब उसका दाम 6500 रुपये प्रति क्विंटल है। इसके अलावा फीड, बिनौला से लेकर हर चीज महंगी हुई। गायों और भैंसों को गर्मी से बचाने के लिए पंखे भी लगाने पड़ते हैं और बिजली की अनियमित आपूर्ति को देखते हुए डीजल की बढ़ती कीमतों के साथ जेनसेट चलाने के कारण लागत भी काफी अधिक बढ़ गई है। डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण ट्रैक्टर सहित अन्य मशीनरी चलाने की लागत भी बढ़ गई है।
सरकार अन्य राज्यों से ले सीख
पंजाब सरकार को अन्य सरकार से सबक लेना चाहिए। किसानों ने बताया कि हरियाणा व राजस्थान 5 रुपये प्रति लीटर, पश्चिम बंगाल 7 रुपये प्रति लीटर, उत्तराखंड और तेलंगाना 4 रुपये प्रति लीटर वित्तीय सहायता के रूप में किसानों को दे रही है। उन्होंने कहा कि इसी तर्ज पर पंजाब सरकार को मिल्कफेड का भुगतान करना चाहिए ताकि पंजाब मिल्कफेड से जुड़ी किसान सहकारी समितियों को वित्तीय संकट से बाहर निकाला जा सके। साथ ही किसानों को आर्थिक लाभ मिल सके। मिल्कफेड को डेयरी किसानों के अस्तित्व के लिए न्यूनतम 7 रुपये प्रति लीटर की दर से वृद्धि करनी चाहिए।
हाईवे पर लगा जाम, लोग हुए परेशान
दुग्ध उत्पादकों के प्रदर्शन की वजह से हाईवे पर जाम लग गया। इस दौरान लोगों को काफी दिक्कत उठानी पड़ी। पूरे शहर में ट्रेफिक रेंगता नजर आया। इतना ही नहीं इस वजह से सारे ट्रैफिक को अंदरूनी सड़कों से निकाला गया जिस वजह से अंदरूनी सड़कों पर भी जाम की स्थिति बनी रही।
मोहाली। राज्य के भर के दूध उत्पादक (डेयरी किसान) भी सोमवार को सरकार के खिलाफ संघर्ष की राह पर आ गए। उन्होंने खरड़-चंडीगढ़ हाईवे के किनारे फेज-छह में स्थित वेरका मिल्क प्लांट के बाहर मोर्चा लगा दिया।
किसानों का कहना है कि गत दो सालों में हरेक चीज महंगी हुई लेकिन दूध के रेट नहीं बढ़े। इस वजह से उन्हें संघर्ष की राह पर आना पड़ा है। उन्होंने चेतावनी दी है जब तक उनकी सुनवाई नहीं होती है तब तक वे डटे रहेंगे। हालांकि सरकार ने इन्हें शांत करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। खबर लिखे जाने जाने तक बैठक चल रही थी।
राज्यभर से दूध उत्पादक प्रोग्रेसिव डेयरी फार्मर्स एसोसिएशन के बैनर तले शनिवार को फेज-छह वेरका मिल्क प्लांट में जुटे। संस्था के अध्यक्ष दलजीत सिंह सदरपुरा ने बताया कि कृषि के बाद पंजाब में दूध उद्योग (डेयरी फार्मिंग) किसानों की आजीविका का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। राज्य आज देश में कॉमर्शियल डेयरी फार्मिंग में पहले नंबर पर है। पंजाब में दुग्ध उत्पादक किसानों की संख्या पूरे देश से सबसे ज्यादा है लेकिन आज यह उद्योग आर्थिक संकट से गुजर रहा है। फिर चाहे वह दूध का बड़ा या छोटा उत्पादक है। पिछले दो वर्षों में हमने महामारी के कारण दूध की कीमतों में वृद्धि पर कोई मुद्दा नहीं उठाया है क्योंकि हम जानते हैं कि दुग्ध उत्पादकों सहित हर कोई संकट में से गुजर रहा है। गत वर्षों में पशुओं के चारे की दरें दोगुनी हो गई हैं और इतनी अधिक बढ़ोतरी पिछले 25 वर्षों के डेयरी कारोबार में पहले कभी नहीं देखी गई थी।
इस वजह से भी बढ़ रहा है खर्च
पशुओं के चारे का प्रमुख हिस्सा सोयाबीन है जो कि एक साल पहले 3200 रुपये प्रति क्विंटल था, अब उसका दाम 6500 रुपये प्रति क्विंटल है। इसके अलावा फीड, बिनौला से लेकर हर चीज महंगी हुई। गायों और भैंसों को गर्मी से बचाने के लिए पंखे भी लगाने पड़ते हैं और बिजली की अनियमित आपूर्ति को देखते हुए डीजल की बढ़ती कीमतों के साथ जेनसेट चलाने के कारण लागत भी काफी अधिक बढ़ गई है। डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण ट्रैक्टर सहित अन्य मशीनरी चलाने की लागत भी बढ़ गई है।
सरकार अन्य राज्यों से ले सीख
पंजाब सरकार को अन्य सरकार से सबक लेना चाहिए। किसानों ने बताया कि हरियाणा व राजस्थान 5 रुपये प्रति लीटर, पश्चिम बंगाल 7 रुपये प्रति लीटर, उत्तराखंड और तेलंगाना 4 रुपये प्रति लीटर वित्तीय सहायता के रूप में किसानों को दे रही है। उन्होंने कहा कि इसी तर्ज पर पंजाब सरकार को मिल्कफेड का भुगतान करना चाहिए ताकि पंजाब मिल्कफेड से जुड़ी किसान सहकारी समितियों को वित्तीय संकट से बाहर निकाला जा सके। साथ ही किसानों को आर्थिक लाभ मिल सके। मिल्कफेड को डेयरी किसानों के अस्तित्व के लिए न्यूनतम 7 रुपये प्रति लीटर की दर से वृद्धि करनी चाहिए।
हाईवे पर लगा जाम, लोग हुए परेशान
दुग्ध उत्पादकों के प्रदर्शन की वजह से हाईवे पर जाम लग गया। इस दौरान लोगों को काफी दिक्कत उठानी पड़ी। पूरे शहर में ट्रेफिक रेंगता नजर आया। इतना ही नहीं इस वजह से सारे ट्रैफिक को अंदरूनी सड़कों से निकाला गया जिस वजह से अंदरूनी सड़कों पर भी जाम की स्थिति बनी रही।