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Ajmer News: पति और बेटी को खोने का दर्द सहा, एक आंख से दी परीक्षा, हौसलों से जीतकर RAS बनीं रोहिणी गुर्जर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अजमेर
Published by: अजमेर ब्यूरो
Updated Sat, 29 Nov 2025 09:09 PM IST
सार
तमाम संघर्षों और बड़े हादसों के बावजूद अपने लक्ष्य को हासिल करने वाली रोहिणी गुर्जर आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो आने वाली समस्याओं के आगे घुटने टेक देते हैं।
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अजमेर जिले के नारेली गांव की रोहिणी गुर्जर
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विस्तार
जिले के नारेली गांव में रहने वाली रोहिणी गुर्जर की कहानी उन सभी लोगों के लिए एक जीवंत सबक है, जो जीवन की कठिनाइयों के सामने घुटने टेक देते हैं और अपनी असफलताओं के लिए किस्मत को दोषी ठहराते हैं। रोहिणी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर जिद, हिम्मत और लक्ष्य मजबूत हो, तो परिस्थितियां चाहे कितनी भी विपरीत क्यों न हों, इंसान अपनी मंजिल तक पहुंच सकता है।
वर्ष 2006 में स्नातक करने के बाद रोहिणी का सपना था आरएएस अधिकारी बनना। परिवार का पूरा सहयोग उन्हें मिला और शादी के बाद भी वे अपने पति के साथ मिलकर तैयारी में जुटी रहीं लेकिन किस्मत ने अचानक करवट बदली और तैयारी के दौरान ही उनके पति का निधन हो गया। युवा उम्र में जीवनसाथी का साथ छूटना किसी के भी हौसले को तोड़ सकता है और रोहिणी भी पूरी तरह टूट चुकी थीं। मगर परिवार ने उन्हें संभाला और उन्होंने खुद को दोबारा खड़ा किया। रोहिणी ने फैसला किया कि वे अपने पति के सपने और अपने लक्ष्य को हर हाल में पूरा करेंगी।
जैसे-जैसे जीवन पटरी पर आता दिखा, तभी एक और भयावह घटना ने उनके जीवन को झकझोर दिया और उनकी 10 वर्षीय बेटी की मृत्यु हो गई। यह सदमा ऐसा था, जिसने रोहिणी का दिल चकनाचूर कर दिया मगर रोहिणी ने एक बार फिर खुद को संभाला। उन्होंने अपने आप को लक्ष्य की ओर वापस खड़ा किया।
ये भी पढ़ें: Rajasthan News: राजस्थान में भी बन रहे दिल्ली-एनसीआर के हालात, हवा में बढ़ा प्रदूषण, गंभीर स्तर पर पहुंचा AQI
लेकिन नियति ने जैसे उन्हें और मजबूत बनाने का संकल्प ले रखा था। आरएएस मेन्स परीक्षा से सिर्फ दो दिन पहले उनका एक्सीडेंट हुआ। इस हादसे में उनकी एक आंख की रोशनी चली गई। यह वह समय था, जब कोई भी इंसान टूटकर बैठ जाता मगर रोहिणी गुर्जर कोई आम महिला नहीं थीं। उन्होंने एक आंख से ही परीक्षा देने का फैसला किया। दर्द, आंसू, शारीरिक कमजोरी सबसे लड़ते हुए वे परीक्षा कक्ष तक पहुंचीं और परीक्षा दी।
अपने हौसले और तपस्या की बदौलत उन्होंने न केवल आरएएस भर्ती 2023 में चयन प्राप्त किया, बल्कि 2024 की भर्ती में भी इंटरव्यू तक पहुंचीं। आज वे उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो कठिन परिस्थितियों में हार मान लेते हैं।
रोहिणी गुर्जर की कहानी सिर्फ एक महिला की सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह संदेश है कि जीवन चाहे कितनी भी बार आपको गिराए, अगर आप उठते रहेंगे तो दुनिया की कोई ताकत आपको रोक नहीं सकती।
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वर्ष 2006 में स्नातक करने के बाद रोहिणी का सपना था आरएएस अधिकारी बनना। परिवार का पूरा सहयोग उन्हें मिला और शादी के बाद भी वे अपने पति के साथ मिलकर तैयारी में जुटी रहीं लेकिन किस्मत ने अचानक करवट बदली और तैयारी के दौरान ही उनके पति का निधन हो गया। युवा उम्र में जीवनसाथी का साथ छूटना किसी के भी हौसले को तोड़ सकता है और रोहिणी भी पूरी तरह टूट चुकी थीं। मगर परिवार ने उन्हें संभाला और उन्होंने खुद को दोबारा खड़ा किया। रोहिणी ने फैसला किया कि वे अपने पति के सपने और अपने लक्ष्य को हर हाल में पूरा करेंगी।
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जैसे-जैसे जीवन पटरी पर आता दिखा, तभी एक और भयावह घटना ने उनके जीवन को झकझोर दिया और उनकी 10 वर्षीय बेटी की मृत्यु हो गई। यह सदमा ऐसा था, जिसने रोहिणी का दिल चकनाचूर कर दिया मगर रोहिणी ने एक बार फिर खुद को संभाला। उन्होंने अपने आप को लक्ष्य की ओर वापस खड़ा किया।
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लेकिन नियति ने जैसे उन्हें और मजबूत बनाने का संकल्प ले रखा था। आरएएस मेन्स परीक्षा से सिर्फ दो दिन पहले उनका एक्सीडेंट हुआ। इस हादसे में उनकी एक आंख की रोशनी चली गई। यह वह समय था, जब कोई भी इंसान टूटकर बैठ जाता मगर रोहिणी गुर्जर कोई आम महिला नहीं थीं। उन्होंने एक आंख से ही परीक्षा देने का फैसला किया। दर्द, आंसू, शारीरिक कमजोरी सबसे लड़ते हुए वे परीक्षा कक्ष तक पहुंचीं और परीक्षा दी।
अपने हौसले और तपस्या की बदौलत उन्होंने न केवल आरएएस भर्ती 2023 में चयन प्राप्त किया, बल्कि 2024 की भर्ती में भी इंटरव्यू तक पहुंचीं। आज वे उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो कठिन परिस्थितियों में हार मान लेते हैं।
रोहिणी गुर्जर की कहानी सिर्फ एक महिला की सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह संदेश है कि जीवन चाहे कितनी भी बार आपको गिराए, अगर आप उठते रहेंगे तो दुनिया की कोई ताकत आपको रोक नहीं सकती।
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