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Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा आदेश; पंचायत और निकाय चुनाव 15 अप्रैल 2026 तक कराए जाएं

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर/बारां Published by: सौरभ भट्ट Updated Fri, 14 Nov 2025 04:05 PM IST
सार

राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि पंचायत और नगर निकाय चुनाव 15 अप्रैल 2026 तक कराए जाएं और परिसीमन की प्रक्रिया 31 दिसंबर तक पूरी की जाए। कोर्ट ने चुनाव स्थगन को गलत ठहराते हुए कहा कि पंचायत और निकाय चुनाव एक दिन भी टाले नहीं जा सकते।

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Rajasthan News: High Court Orders Panchayat and Municipal Elections by April 15, 2026
राजस्थान हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ा निर्देश देते हुए कहा है कि पंचायत और नगर निकाय चुनाव 15 अप्रैल 2026 से पहले हर हाल में कराए जाएं। साथ ही अदालत ने साफ किया कि दोनों चुनाव एक साथ कराए जाएं और परिसीमन की प्रक्रिया 31 दिसंबर 2025 तक पूरी की जाए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसपी शर्मा की खंडपीठ ने गुरुवार को गिरिराज सिंह देवंदा और पूर्व विधायक संयम लोढ़ा द्वारा दायर याचिकाओं सहित कई अन्य याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया।

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याचिकाओं में चुनाव टालने को मनमाना निर्णय बताया गया

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि सरकार ने संविधान के प्रावधानों के खिलाफ जाकर अवैध तरीके से पंचायत और निकाय चुनाव स्थगित किए, जबकि हजारों पंचायतों और नगरपालिकाओं का कार्यकाल पहले ही पूरा हो चुका है। हाईकोर्ट ने 12 अगस्त को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे लगभग तीन महीने बाद अब सुनाया गया है।

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राज्य में 6,759 पंचायतों और 55 नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है।

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याचिकाकर्ताओं के वकील प्रेमचंद देवंदा ने कहा कि सरकार ने 16 जनवरी 2025 की अधिसूचना से पंचायत चुनाव रोक दिए, जो संविधान के अनुच्छेद 243E, 243K और राजस्थान पंचायत राज अधिनियम, 1994 की धारा 17 का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि- पंचायत का कार्यकाल 5 वर्ष पूरा होने पर चुनाव एक दिन भी स्थगित नहीं किए जा सकते। जिन सरपंचों का कार्यकाल समाप्त हो गया है, वे अब साधारण नागरिक हैं, इसलिए उन्हें प्रशासक के रूप में बिठाना पूरी तरह गैरकानूनी है।

नगर निकायों में भी सरकार पर मनमानी का आरोप

पूर्व विधायक संयम लोढ़ा की याचिका पर उनके अधिवक्ता पुनीत सिंघवी ने दलील दी कि 55 नगरपालिकाओं का कार्यकाल नवंबर 2024 में खत्म हो चुका है, इसके बावजूद सरकार ने चुनाव न कराकर अवैध रूप से प्रशासक नियुक्त कर दिए। उन्होंने कहा कि यह कदम नगरपालिका अधिनियम 2009 और संवैधानिक नियमों का खुला उल्लंघन है। सिंघवी ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि प्राकृतिक आपदा जैसी गंभीर परिस्थितियों को छोड़कर स्थानीय निकाय चुनाव स्थगित नहीं किए जा सकते, लेकिन राज्य सरकार अपने संवैधानिक दायित्वों को निभाने में विफल रही है।

 

 

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