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Kota News: वंदे भारत स्लीपर ट्रेन ने छुआ 180 किमी/घंटा का आंकड़ा, लोडेड और खाली दोनों हालातों में सफल परीक्षण
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोटा
Published by: हिमांशु प्रियदर्शी
Updated Tue, 11 Nov 2025 10:31 PM IST
सार
Vande Bharat Sleeper Train Speed Tests: कोटा में वंदे भारत स्लीपर ट्रेन ने 180 किमी/घंटा गति छुई। लोडेड (908 टन) और खाली (800 टन) दोनों स्थितियों में सफल परीक्षण हुआ। आरडीएसओ टीम ने स्थिरता सुरक्षा और आराम का मूल्यांकन किया। यह मेक इन इंडिया की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
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वंदे भारत एक्सप्रेस (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
स्वदेशी वंदे भारत स्लीपर ट्रेन ने पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा मंडल में चलाए गए परीक्षणों के दौरान लोडेड और खाली दोनों स्थितियों में 180 किलोमीटर प्रति घंटे की उच्च गति सफलतापूर्वक हासिल कर ली। रेलवे अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। यह उपलब्धि मिशन रफ्तार और मेक इन इंडिया की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम साबित हुई है। परीक्षण लखनऊ की आरडीएसओ की टीम ने नवंबर महीने में पूरा किया जिसमें ट्रेन की स्थिरता सुरक्षा ब्रेकिंग दक्षता और यात्रा आराम का वैज्ञानिक मूल्यांकन किया गया।
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परीक्षण की शुरुआत और दूसरी रेक की जांच
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की पहली रेक का परीक्षण दिसंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच इसी कोटा मंडल में किया गया था। इसके बाद दूसरी रेक जो वर्जन दो की 16 कोच वाली उच्च गति स्लीपर ट्रेन है, का परीक्षण दो नवंबर से 17 नवंबर तक आरडीएसओ लखनऊ की टेस्टिंग डायरेक्टोरेट टीम ने लोडेड और खाली दोनों स्थितियों में सफलतापूर्वक पूरा किया। एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी के अनुसार, 908 टन लोड वाली यह रेक पिछले हफ्ते 180 किलोमीटर प्रति घंटे की गति तक पहुंची जबकि सोमवार को 800 टन की खाली रेक ने भी यही सफलता दोहराई। परीक्षणों में चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्टरी मेधा सर्वो ड्राइव्स लिमिटेड और फेवले इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के तकनीकी विशेषज्ञ भी मौजूद रहे।
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परीक्षण का स्थान और दूरी
परीक्षण रोहलखुर्द इंद्रगढ़ कोटा सेक्शन पर दो चरणों में आयोजित किए गए जिनमें कुल 100 किलोमीटर की दूरी तय की गई। सीनियर डिविजनल कमर्शियल मैनेजर सौरभ जैन ने आधिकारिक बयान में बताया कि ट्रेन ने अधिकतम 180 किलोमीटर प्रति घंटे की गति हासिल की और ऑसिलेशन टेस्ट तथा लंबी कन्फर्मेटरी रन जैसे महत्वपूर्ण तकनीकी परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए। ये परीक्षण उच्च गति पर ट्रेन की स्थिरता सुरक्षा ब्रेकिंग क्षमता और यात्रियों के आराम का वैज्ञानिक मूल्यांकन करने के लिए डिजाइन किए गए थे।
लोडेड और खाली स्थितियों में तुलनात्मक अध्ययन
पहले चरण में 908 टन की पूरी तरह लोडेड स्थिति में परीक्षण किया गया जिसमें 800 टन की मूल रेक वजन के अलावा 108 टन का अतिरिक्त भार आयरन डस्ट से भरे कनिस्टर्स के रूप में जोड़ा गया था। इस बार 800 टन की खाली रेक के साथ परीक्षण दोहराया गया। दोनों परीक्षणों ने विभिन्न परिचालन परिस्थितियों में ट्रेन की संरचनात्मक और यांत्रिक स्थिरता की वैज्ञानिक पुष्टि प्रदान की। लोडेड और खाली दोनों हालातों में एक समान प्रदर्शन ने ट्रेन की डिजाइन की मजबूती को साबित किया।
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परीक्षण टीम की भूमिका
आरडीएसओ लखनऊ के टेस्टिंग डायरेक्टर राधेश्याम तिवारी चीफ लोको इंस्पेक्टर आर एन मीणा ट्रैफिक इंस्पेक्टर सुशील जैथवानी लोको पायलट अनिल भारद्वाज को लोको पायलट राकेश सकरवाल और ट्रेन मैनेजर हरि मोहन मीणा ने दोनों उच्च गति परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन अधिकारियों की देखरेख में सभी तकनीकी मानकों का पालन सुनिश्चित किया गया जिससे परीक्षण पूरी तरह सुरक्षित और विश्वसनीय रहे।
स्वदेशी तकनीक और उन्नत विशेषताएं
वंदे भारत स्लीपर रेक पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से निर्मित है जिसमें उन्नत सस्पेंशन सिस्टम कम शोर वाली एयरोडायनामिक संरचना और संशोधित बोगी डिजाइन शामिल हैं। ये विशेषताएं उच्च गति पर बेहतर स्थिरता और यात्रियों को उत्कृष्ट सवारी अनुभव प्रदान करती हैं। सौरभ जैन ने कहा कि यह उपलब्धि भारतीय रेलवे की तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की दिशा में मजबूत कदम है तथा मेक इन इंडिया पहल की सफलता को दर्शाती है।
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