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Nagaur: खींवसर में स्कूल बसों की मनमानी, 150 बच्चों से ठसाठस भरी बसें, प्रशासन की चुप्पी से अभिभावकों में उबाल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नागौर Published by: नागौर ब्यूरो Updated Wed, 12 Nov 2025 01:34 PM IST
सार

राजस्थान के नागौर जिले के खींवसर कस्बे में निजी स्कूल बसों में ओवरलोडिंग का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। जिन बसों की क्षमता केवल 50 बच्चों की है, उनमें 150 से 200 बच्चों को ठूंसकर भरा जा रहा है।

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Khinwsar Private School Buses Run Amok: 150-200 Kids Crammed into 50-Seat Vehicles Amid Admin Silence
स्कूली बच्चों से खच्चा खच्च भरी बस - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राजस्थान के नागौर जिले के खींवसर कस्बे में निजी स्कूलों की बसों पर ओवरलोडिंग का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। जिन बसों की क्षमता महज 50 बच्चों की है, उनमें 150 से 200 मासूमों को जानवरों की तरह ठूंसकर भरा जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और फोटो ने अभिभावकों के बीच डर और गुस्सा दोनों फैला दिया है। स्थानीय लोग प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, लेकिन अफसरों की चुप्पी ने यह बड़ा सवाल खड़ा कर दिया हैm क्या प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है?
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खींवसर एक छोटा कस्बा है, लेकिन यहां निजी स्कूलों की संख्या तेजी से बढ़ी है। कई स्कूल अपने मुनाफे के लिए सुरक्षा मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। एक वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि एक पुरानी बस में बच्चे आपस में सटे हुए बैठे हैं, न सीट बेल्ट है और न ही फर्स्ट एड किट। ड्राइवर तेज रफ्तार में बस दौड़ा रहा है जबकि बस का ब्रेक सिस्टम बेहद खराब हालत में है।
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अभिभावक मीरा देवी ने अपनी चिंता जताते हुए कहा, “मेरा बेटा रोज बस से स्कूल जाता है। कल ही एक वीडियो देखा जिसमें बच्चे बस के फर्श पर लेटे हुए थे। डर लगता है कि अगर ब्रेक फेल हो गया तो क्या होगा? हमारी शिकायतें कोई नहीं सुनता।”

यह समस्या नई नहीं है। राजस्थान के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह की घटनाएं पहले हो चुकी हैं। हाल ही में जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर एक निजी बस में आग लगने से 10 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें कई बच्चे शामिल थे। उस हादसे की वजह भी अवैध मॉडिफिकेशन और ओवरलोडिंग बताई गई थी। वहीं उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में भी ओवरलोडेड स्कूली टैक्सी का वीडियो वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया था।

खींवसर में ‘सेंट मेरी’ और ‘ग्रीन वैली पब्लिक स्कूल’ जैसी निजी बसें रोजाना सड़कों पर सुरक्षा नियमों की अनदेखी करती नजर आती हैं। एक स्थानीय व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “स्कूल प्रबंधन का कहना है कि अभिभावक ज्यादा बच्चों को भेजते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि वे खर्च बचाने के लिए बसों में क्षमता से दोगुने बच्चे ठूंस देते हैं।”

इस मुद्दे पर अब सोशल मीडिया पर #KhinwsarSchoolBusOverloading ट्रेंड कर रहा है। ‘खींवसर पैरेंट्स फोरम’ नामक समूह ने फेसबुक और एक्स (ट्विटर) पर कई पोस्ट साझा की हैं। एक पोस्ट में लिखा गया, “प्रशासन सो रहा है? क्या बच्चों की जान इतनी सस्ती है?” अभिभावकों ने नागौर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर बसों की तत्काल जांच, ओवरलोडिंग करने वालों पर एफआईआर और स्कूलों का लाइसेंस रद्द करने की मांग की है। जिला परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “हम नियमित चेकिंग करते हैं, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण कार्रवाई सीमित है। जल्द ही विशेष जांच अभियान शुरू किया जाएगा।”
 

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राजस्थान की स्कूल बस नीति के अनुसार, हर बस में जीपीएस, सीसीटीवी कैमरा और फिटनेस सर्टिफिकेट अनिवार्य है। मोटर व्हीकल एक्ट-2019 की धारा 194 के तहत ओवरलोडिंग पर ₹10,000 तक का जुर्माना और वाहन जब्ती का प्रावधान है। इसके बावजूद नियम सिर्फ कागजों में सिमटे हैं। हाल ही में हरियाणा के हांसी में इसी तरह के अभियान के तहत कई स्कूल बसें सीज की गईं। विशेषज्ञों का कहना है कि खींवसर में भी ऐसी सख्ती जरूरी है।

अभिभावक रवि शर्मा ने कहा, “स्कूल फीस के नाम पर लूट मचाई जाती है, लेकिन बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता। प्रशासन की चुप्पी अब हमें सड़क पर उतरने को मजबूर करेगी।” सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, ओवरलोडिंग से ब्रेक फेल, टायर फटना और हादसे की संभावना 70% तक बढ़ जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में टिप्पणी की थी कि स्कूल बसों की सुरक्षा राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है, हर मामले में कोर्ट का दखल जरूरी नहीं।

 

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