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CM Sukhu: मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू बोले- छह माह में 50 मेगावाट सौर ऊर्जा का होगा दोहन
अमर उजाला ब्यूरो, शिमला
Published by: अंकेश डोगरा
Updated Wed, 07 Aug 2024 07:14 PM IST
सार
बुधवार को राज्य सचिवालय में ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश आगामी छह माह में लगभग 50 मेगावाट सौर ऊर्जा का दोहन सुनिश्चित करेगा।
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ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता करते मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू।
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बुधवार को राज्य सचिवालय में ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की समीक्षा करते हुए प्रदेश में सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ऊना के पेखुबेला में 32 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित की गई है। कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में 10 मेगावाट और गगरेट विधानसभा क्षेत्र में 5 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। प्रदेश आगामी छह माह में लगभग 50 मेगावाट सौर ऊर्जा का दोहन सुनिश्चित करेगा। उन्होंने अधिकारियों को सौर ऊर्जा परियोजनाओं के कार्य में तेजी लाने और समयबद्ध पूर्ण करने के साथ-साथ नई परियोजनाओं के लिए स्थान चिन्हित करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश के लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन परियोजनाओं से प्रदेश के लोग आजीविका कमा सकें।
उन्होंने कहा कि यह परियोजनाएं बोनाफाइड हिमाचलियों को आवंटित की जाएगी और प्रदेश के लोगों को सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली की मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है इसलिए जल विद्युत के साथ-साथ सौर ऊर्जा का अधिकतम दोहन सुनिश्चित किया जा रहा है। सौर ऊर्जा पर्यावरण हितैषी और ऊर्जा का नवीकरणीय साधन है। इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी और जीवाश्म इंधन पर निर्भरता को कम किया जा सकता है। सौर ऊर्जा परियोजनाओं का रख-रखाव आसानी से किया जा सकता है और इनका जीवनकाल भी लंबा होता है। हिमाचल प्रदेश को 31 मार्च 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य के रूप में स्थापित करने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रदेश सरकार हरित उद्योगों को बढ़ावा प्रदान कर रही है।
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उन्होंने कहा कि यह परियोजनाएं बोनाफाइड हिमाचलियों को आवंटित की जाएगी और प्रदेश के लोगों को सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली की मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है इसलिए जल विद्युत के साथ-साथ सौर ऊर्जा का अधिकतम दोहन सुनिश्चित किया जा रहा है। सौर ऊर्जा पर्यावरण हितैषी और ऊर्जा का नवीकरणीय साधन है। इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी और जीवाश्म इंधन पर निर्भरता को कम किया जा सकता है। सौर ऊर्जा परियोजनाओं का रख-रखाव आसानी से किया जा सकता है और इनका जीवनकाल भी लंबा होता है। हिमाचल प्रदेश को 31 मार्च 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य के रूप में स्थापित करने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रदेश सरकार हरित उद्योगों को बढ़ावा प्रदान कर रही है।
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उन्होंने कहा कि वर्तमान में जलवायु परिवर्तन विश्व की सबसे बड़ी चुनौती है और प्रदेश सरकार हरित पहल के माध्यम से ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को कम करने की दिशा में कार्य रही है। प्रदेश सरकार ई-वाहनों के संचालनों को बढ़ावा प्रदान कर रही है और हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों को इलेक्ट्रॉनिक बसों के बेड़े में परिवर्तित किया जा रहा है। बैठक में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार राम सुभग सिंह, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, प्रधान सचिव आरडी नजीम, देवेश कुमार, अमनदीप गर्ग, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हरिकेष मीणा मौजूद रहे।