आंखों की रोशनी न होने के बावजूद हिमाचल का एक बेटा अपने घर का चिराग जला रहा है। चंडीगढ़ के ब्लाइंड स्कूल में पढ़ाई के दौरान सीखा मोमबत्ती बनाने का हुनर उसने परिवार की आय का साधन बना लिया है। परिवार मोमबत्ती बनाकर सम्मान का जीवन जीने की कोशिश में जुटा है। उनके इसी जुनून को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से लोगों ने सोशल मीडिया में पोस्ट वायरल किया है।
वायरल पोस्ट एसडीएम बैजनाथ तक पहुंची तो उन्होंने भी परिवार को तीन हजार मोमबत्ती बनाने का ऑर्डर दे दिया। अब मनोज और उनका परिवार इस काम को फुलटाइम देने की तैयारी में है। कांगड़ा के बैजनाथ उपमंडल में छोटे से गांव मझैरना के रहने वाले मनोज बचपन से नेत्रहीन हैं। चंडीगढ़ में पढ़ाई करते हैं। लॉकडाउन के दौरान वह भी पिता सुभाष व माता बीना देवी के साथ घर में फंस गए। मेहनत मजदूरी कर परिवार संभाल रहे 62 साल के सुभाष लॉकडाउन के दौरान घर बैठ गए और जैसे तैसे गुजर बसर किया।
अनलॉक शुरू हुआ तो वह फिर मजदूरी करने लगे। उम्र और कोरोना के बाद बदले हालात से काम मिलना कम हो गया। मनोज ने पिता को मोमबत्ती बनाने का काम करने का सुझाव दिया। मनोज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल को ध्यान में रखते हुए त्योहारी सीजन में खाली बैठने से अच्छा यह काम करने की सोची। अब तक माता-पिता के साथ मिलकर पांच हजार से ज्यादा मोमबत्ती बना चुके हैं।
मोम खत्म, बाहर से मंगाने का कर रहे प्रयास
मनोज के पिता सुभाष ने बताया कि मोम न मिलने की वजह से कुछ दिक्कत आई है। बाजार में मोम खत्म हो गया है। वह दूसरे शहरों से मोम मंगाने का विचार कर रहे हैं।
एसडीएम बोलीं, लोगों से करेंगे वोकल फॉर लोकल होने की अपील
एसडीएम बैजनाथ छवि नांटा ने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें इस परिवार के मोमबत्ती बनाने के व्यवसाय की जानकारी मिली। रेड क्रॉस सोसाइटी की तरफ से परिवार को तीन हजार मोमबत्ती का ऑर्डर दिया है। निजी कारणों से वह अभी तक नहीं मिल पाई हैं। जल्द ही परिवार से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करेंगी। कहा कि लोगों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल व आत्मनिर्भर अभियान को बढ़ावा देते हुए स्थानीय उत्पादों को खरीदने में तरजीह देने की अपील भी करेंगी।
आंखों की रोशनी न होने के बावजूद हिमाचल का एक बेटा अपने घर का चिराग जला रहा है। चंडीगढ़ के ब्लाइंड स्कूल में पढ़ाई के दौरान सीखा मोमबत्ती बनाने का हुनर उसने परिवार की आय का साधन बना लिया है। परिवार मोमबत्ती बनाकर सम्मान का जीवन जीने की कोशिश में जुटा है। उनके इसी जुनून को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से लोगों ने सोशल मीडिया में पोस्ट वायरल किया है।
वायरल पोस्ट एसडीएम बैजनाथ तक पहुंची तो उन्होंने भी परिवार को तीन हजार मोमबत्ती बनाने का ऑर्डर दे दिया। अब मनोज और उनका परिवार इस काम को फुलटाइम देने की तैयारी में है। कांगड़ा के बैजनाथ उपमंडल में छोटे से गांव मझैरना के रहने वाले मनोज बचपन से नेत्रहीन हैं। चंडीगढ़ में पढ़ाई करते हैं। लॉकडाउन के दौरान वह भी पिता सुभाष व माता बीना देवी के साथ घर में फंस गए। मेहनत मजदूरी कर परिवार संभाल रहे 62 साल के सुभाष लॉकडाउन के दौरान घर बैठ गए और जैसे तैसे गुजर बसर किया।
अनलॉक शुरू हुआ तो वह फिर मजदूरी करने लगे। उम्र और कोरोना के बाद बदले हालात से काम मिलना कम हो गया। मनोज ने पिता को मोमबत्ती बनाने का काम करने का सुझाव दिया। मनोज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल को ध्यान में रखते हुए त्योहारी सीजन में खाली बैठने से अच्छा यह काम करने की सोची। अब तक माता-पिता के साथ मिलकर पांच हजार से ज्यादा मोमबत्ती बना चुके हैं।
मोम खत्म, बाहर से मंगाने का कर रहे प्रयास
मनोज के पिता सुभाष ने बताया कि मोम न मिलने की वजह से कुछ दिक्कत आई है। बाजार में मोम खत्म हो गया है। वह दूसरे शहरों से मोम मंगाने का विचार कर रहे हैं।
एसडीएम बोलीं, लोगों से करेंगे वोकल फॉर लोकल होने की अपील
एसडीएम बैजनाथ छवि नांटा ने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें इस परिवार के मोमबत्ती बनाने के व्यवसाय की जानकारी मिली। रेड क्रॉस सोसाइटी की तरफ से परिवार को तीन हजार मोमबत्ती का ऑर्डर दिया है। निजी कारणों से वह अभी तक नहीं मिल पाई हैं। जल्द ही परिवार से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करेंगी। कहा कि लोगों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल व आत्मनिर्भर अभियान को बढ़ावा देते हुए स्थानीय उत्पादों को खरीदने में तरजीह देने की अपील भी करेंगी।