हिमाचल में लोकसभा की हॉट सीट मंडी कई सियासी दिग्गजों की पीठ लगा चुकी है। सीएम जयराम ठाकुर, पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम, महेश्वर सिंह, कौल सिंह और वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को मंडी सीट से शिकस्त मिल चुकी है। क्षेत्रफल के हिसाब से सूबे की सबसे बड़ी हॉट सीट में उपचुनावों को मिलाकर अब तक 17 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं।
मंडी संसदीय क्षेत्र में 12 बार जीत हासिल कर कांग्रेस का दबदबा रहा है, लेकिन तीन बार 1984, 1991, 1996 में संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के लिए पताका फहरा चुके पंडित सुखराम का परिवार विधानसभा चुुनावों में कांग्रेस से किनारा कर चुका है। हालांकि, अभी तक टिकट फाइनल नहीं हुए हैं। लेकिन 2014 के चुनावों में कांग्रेस के तत्कालीन सीएम वीरभद्र की पत्नी प्रतिभा सिंह के चुनाव हारने के बाद इस सीट पर कांग्रेस का कमबैक करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
सीएम के लिए गृह संसदीय सीट प्रतिष्ठा का सवाल होगी। यहां भाजपा की ध्वजा फहराना भाजपा के लिए कई मायने में अहम रहेगी। कांग्रेस और भाजपा के लिए इस बार के लोकसभा चुनाव भी यहां कई नेताओं का राजनीतिक सफर तय करेंगे।
2013 के उपचुनाव में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह ने सवा लाख मतों से हराकर कांग्रेस को बड़ी जीत दिलाई थी। लोकसभा से इस्तीफा देकर वीरभद्र सिंह विधायक का चुनाव लड़े थे और जीतकर छठी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे।
1977 में वीरभद्र सिंह को मिली थी हार
वीरभद्र सिंह वर्ष 1977 के कांग्रेस टिकट पर भारतीय लोक दल के गंगा सिंह से चुनाव हार गए थे। इस चुनाव में कांग्रेस की हार का मुख्य कारण आपातकाल लगाना और परिवार नियोजन योजना के तहत जबरन नसबंदी करना माना गया था।
1999 में सुखराम और प्रतिभा को मिली थी शिकस्त
1999 में मंडी संसदीय सीट का मुकाबला काफी रोचक रहा था। इस चुनाव में 3 दिग्गज नेताओं महेश्वर सिंह, पंडित सुखराम और प्रतिभा सिंह के बीच तिकोना मुकाबला हुआ। भाजपा टिकट पर महेश्वर सिंह जीते थे। वहीं पूर्व कांग्रेस मंत्री कौल सिंह दो बार चुनाव हार चुके हैं।
1977 गंगा सिंह जेएनपी
1980 वीरभद्र सिंह कांग्रेस
1984 सुखराम कांग्रेस
1989 महेश्वर सिंह भाजपा
1991 सुखराम कांग्रेस
1996 सुखराम कांग्रेस
1998 महेश्वर सिंह भाजपा
1999 महेश्वर सिंह भाजपा
2004 प्रतिभा सिंह कांग्रेस
2009 वीरभद्र सिंह कांग्रेस
2013 प्रतिभा सिंह कांग्रेस
2014 रामस्वरूप भाजपा
वर्ष भाजपा कांग्रेस
2014 3,62,824 3,22,968
2013 2,16,765 3,53,492
2009 3,26,976 3,40,973
2004 291,057 357,623
1999 3,25,929 1,94,904
1998 3,04,210 1,72,378
1996 1,74,963 3,28,186
1991 2,06,753 2,33,380
1967 कांग्रेस राजा ललित सेन 62596 आजाद उम्मीदवार इंद्र सिंह 28331
1962 कांग्रेस राजा ललित सेन 48856 स्वतंत्रता पार्टी अंबिका कुमारी 20600
1957 कांग्रेस राजा जोगिंद्र सेन बहादुर 47530 आजाद उम्मीदवार आनंद कुमार 33110
1951 (दो सीट) कांग्रेस अमृत कौर 47152/गोपीराम 41433 - केएमपीपी तेज सिंह 19872/ एससीएफ अनोखी राम 18988
17 विसक्षेत्र- भरमौर, लाहौल स्पिति, मनाली, कुल्लू, बंजार, आनी, करसोग, सुंदरनगर, नाचन, सराज, जोगिंद्रनगर, द्रंग, मंडी, बल्ह, सरकाघाट, रामपुर, किन्नौर
- वोटर: 12 लाख 72 हजार
(महिलाएं 6,16,584, जबकि पुरुष मतदाता 6,55,651)
पोलिंग स्टेशन: 2079 पोलिंग स्टेशन
चंबा के भरमौर में 145 जबकि लाहौल स्पीति में 92 मतदान केंद्र स्थापित होंगे। कुल्लू जिला के मनाली में 109, कुल्लू 151, बंजार में 145, आनी में 139 केंद्र बनाए जाएंगे। मंडी जिला के सुंदरनगर में 105, करसोग में 104, नाचन 113, सिराज में 129, द्रंग 128, जोगिंद्रनगर 130, मंडी 104, बल्ह 99, सरकाघाट 110 पोलिंग बूथ स्थापित किए जाएंगे। शिमला के रामपुर में 150 और किन्नौर जिला में 126 मतदान केंद्र हैं।
घाट से संबंध रखने वाले 60 वर्षीय बुजुर्ग जय चंद का कहना है कि पहले और आज के चुनावों में बहुत अधिक अंतर आ गया है। पहले वोटर के पास चुनिंदा विकल्प होते थे। लेकिन अब तो क्षेत्रिय दलों की संख्या ही काफी अधिक है। एक जमाना था कि जब आसानी से वोटरों की नब्ज टटोल कर जीत और हार का अंदाजा लगाया जा सकता था।
लेकिन अब फोन, सोशल मीडिया और टीवी का इतना अधिक प्रभाव हो चुका है कि कौन सच्चा है कौन झूठा, इसकी तुलना करना मुश्किल हो गया है। हालांकि, सरकारी तंत्र में पारदर्शिता आई है, लेकिन आजकल राजनीतिक दलों के साथ-साथ वोटरों पर सामाजिक, जातिगत दबाव भी काफी है। इसमें भी कोई दोराय नहीं कि अगर आज का नेता चतुर है तो वोटर भी चालाक है।
लेकिन आने वाली पीढ़ी अब लीक से हटकर क्रांतिकारी विचारों वाली नजर आती है। युवाओें को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि पढ़े, लिखे और ईमानदार नेता को ही वोट दें। जो नेता काम करे, उसे ही अपनी पसंद बनाएं।
हिमाचल में लोकसभा की हॉट सीट मंडी कई सियासी दिग्गजों की पीठ लगा चुकी है। सीएम जयराम ठाकुर, पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम, महेश्वर सिंह, कौल सिंह और वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को मंडी सीट से शिकस्त मिल चुकी है। क्षेत्रफल के हिसाब से सूबे की सबसे बड़ी हॉट सीट में उपचुनावों को मिलाकर अब तक 17 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं।
मंडी संसदीय क्षेत्र में 12 बार जीत हासिल कर कांग्रेस का दबदबा रहा है, लेकिन तीन बार 1984, 1991, 1996 में संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के लिए पताका फहरा चुके पंडित सुखराम का परिवार विधानसभा चुुनावों में कांग्रेस से किनारा कर चुका है। हालांकि, अभी तक टिकट फाइनल नहीं हुए हैं। लेकिन 2014 के चुनावों में कांग्रेस के तत्कालीन सीएम वीरभद्र की पत्नी प्रतिभा सिंह के चुनाव हारने के बाद इस सीट पर कांग्रेस का कमबैक करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
सीएम के लिए गृह संसदीय सीट प्रतिष्ठा का सवाल होगी। यहां भाजपा की ध्वजा फहराना भाजपा के लिए कई मायने में अहम रहेगी। कांग्रेस और भाजपा के लिए इस बार के लोकसभा चुनाव भी यहां कई नेताओं का राजनीतिक सफर तय करेंगे।