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Mokshada Ekadashi 2025: भद्रा में मोक्षदा एकादशी आज, जानें व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: मेघा कुमारी Updated Mon, 01 Dec 2025 10:46 AM IST
सार

Mokshada Ekadashi Vrat Katha in Hindi : 1 दिसंबर 2025 को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। यह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करना बेहद शुभ होता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को मोक्ष और पुण्य फलों की प्राप्ति होती हैं।

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Mokshada Ekadashi vrat katha in hindi know Mokshada Ekadashi bhadra and puja time
मोक्षदा एकादशी की कथा - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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Mokshada Ekadashi 2025: 1 दिसंबर 2025 को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। यह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करना बेहद शुभ होता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को मोक्ष और पुण्य फलों की प्राप्ति होती हैं। साथ ही कुंडली में गुरु का स्थान भी मजबूत होता है, जिससे साधक को ज्ञान, संतान सुख और विवाह में आ रही बाधाओं से छुटकारा मिलता है। इस वर्ष मोक्षदा एकादशी पर भद्रा का साया बना हुआ है। इस दिन सुबह 8 बजकर 20 मिनट से शाम 7 बजकर 1 मिनट तक भद्रा है।  भद्रा का वास धरती पर होगा, इसलिए आप इस अवधि में पूजा-पाठ से जुड़े कार्य नहीं करना चाहिए। शाम 7 बजकर 1 मिनट के बाद से प्रभु की पूजा के लिए उत्तम समय माना जा रहा है। इस अवधि में मोक्षदा एकादशी कथा का पाठ करने से नकारात्मकता से मुक्ति और सकारात्मकता का संचार होता है। ऐसे में आइए इस व्रत की कथा को विस्तार से जानते हैं।

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मोक्षदा एकादशी की कथा
मोक्षदा एकादशी व्रत की कथा को लेकर ऐसी मान्यता है कि, एक समय की बात है, जब गोकुल नगर में वैखानस नाम का एक राजा रहा करता था। एक दिन राजा से सपना देखा है कि, उसके पिता नरक में काफी दुख झेल रहे हैं। और दुख भोगते हुए वह अपने पुत्र से उद्धार की याचना कर रहे हैं। पिता को पीड़ा में देखते हुए राजा व्याकुल हो उठे। उन्होंने सुबह उठकर नगर के ब्राह्मणों को बुलाया और इस दुख भरे सपने के अर्थ के बारे में पूछा। राजा के इस सपने के अर्थ को समझाते हुए ब्राह्मणों ने कहा कि, हे राजन.... इस स्थान से कुछ दूर भूत, वर्तमान और भविष्य के ज्ञाता पर्वत नाम के एक ऋषि का आश्रम है। आप उस आश्रम में जाकर अपने पिता के उद्धार के लिए उपाय पूछ सकते हैं। ब्राह्मणों की बात सुनकर राजा उस आश्रम में जा पहुंचा। वहां जाते ही राजा ने पर्वत मुनि से बात की। राजा के सपने को सुन एक मुहूर्त के लिए अपने नेत्र बंद किए। इसके कुछ देर बाद उन्होंने कहा कि. हे राजन.... पिछले जन्म के कर्मों के चलते आपके पिता को नर्कवास मिला है। तुम मोक्षदा एकादशी का उपवास करो और उसका अर्पण अपने पिता जी को कर दो। इसके प्रभाव से उन्हें मुक्ति प्राप्त होगी। मुनि की बात सुनकर राजा ने मोक्षदा एकादशी का विधि पूर्वक व्रत किया। साथ ही ब्राह्मणों को भोजन, दान-दक्षिणा और वस्त्र दान जैसे पूण्य कार्य में सम्पन्न किए। इससे राजा के पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई। सभी से ऐसी मान्यता है कि जो भी जातक मोक्षदा एकादशी के व्रत को रखता है, उसे मोक्ष और जाने अनजाने में हुई गलतियों की क्षमा मिलती हैं।

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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

 

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