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Delhi Blast: टेलीग्राम एप के इस फीचर से दुनियाभर की सुरक्षा एजेंसियां परेशान, दिल्ली ब्लास्ट से जुड़ रहे तार
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Fri, 14 Nov 2025 06:24 PM IST
सार
Delhi Blast Telegram Link: दिल्ली कार ब्लास्ट मामले में सामने आया है कि संदिग्ध सुसाइड अटैकर उमर मोहम्मद एक कट्टरपंथी डॉक्टर ग्रुप के साथ टेलीग्राम पर सक्रिय था। टेलीग्राम, जिसे आम लोग सुरक्षित मैसेजिंग एप मानते हैं, अब अपराधियों और चरमपंथियों का बड़ा ठिकाना बनता जा रहा है।
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टेलीग्राम से जुड़ रहे दिल्ली में ब्लास्ट के तार
- फोटो : AI
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विस्तार
10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास हुए आतंकी हमले में अब चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। जांच में पता चला है कि संदिग्ध सुसाइड अटैकर उमर मोहम्मद, जो पेशे से डॉक्टर था, टेलीग्राम पर बने एक कट्टरपंथी ग्रुप से जुड़ा हुआ था। दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, उमर पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से भी कनेक्टेड था। मिली जानकारी के अनुसार, धमाके से कुछ दिन पहले जब JeM मॉड्यूल के दो मुख्य सदस्यों (वे भी डॉक्टर थे) को गिरफ्तार किया गया, तो उमर घबरा गया। इसी घबराहट में उसने लाल किले के पास विस्फोट को अंजाम दिया।
विवादों से जुड़ा है टेलीग्राम का इतिहास
यह पहली बार नहीं है कि किसी आतंकी या आतंकवादी संगठन ने दहशत फैलाने के लिए टेलीग्राम का इस्तेमाल किया हो। पहले भी कई रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है कि इस्लामिक स्टेट, अल-कायदा, हमास और हिज्बुल्लाह जैसे संगठन टेलीग्राम का इस्तेमाल भर्ती, प्रचार, फंडिंग और हिंसा भड़काने के लिए करते रहे हैं। इसके अलावा टेलीग्राम पर अपराध, फर्जी खबरें, नस्लीय नफरत और चाइल्ड अब्यूज जैसी अवैध गतिविधियों को फैलाने के भी आरोप भी लगते रहे हैं।
यह भी पढ़ें: एयर प्यूरीफायर के फिल्टर को बदलने में कितना आता है खर्च? जानिए कब करना चाहिए रिप्लेस
इस वजह से अपराधियों का 'गुप्त अड्डा' बना टेलीग्राम
2013 में रूसी अरबपति पावेल दुरोव और उनके भाई निकोलई दुरोव ने टेलीग्राम को शुरू किया था। टेलीग्राम को लॉन्च करते समय दुरोव भाइयों ने यूजर्स की प्राइवेसी और मैसेज एनक्रिप्शन (Encryption) को एप का सबसे मजबूत आधार बनाया, जो कि उस समय ज्यादातर मैसेजिंग एप्स में नहीं मिलता था। हालांकि, यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर गंभीरता अब कंपनी के लिए कई मुश्किलें खड़ी कर रही है। टेलीग्राम अपने एप के "सिक्रेट चैट" फीचर में सबसे ज्यादा मजबूत एनक्रिप्शन और प्राइवेसी देने का दावा करता है। टेलीग्राम अपने सर्वर पर यूजर्स के मैसेज को अपलोड नहीं करता, यानी टेलीग्राम खुद उन चैट्स को एक्सेस नहीं कर सकता।
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विवादों से जुड़ा है टेलीग्राम का इतिहास
यह पहली बार नहीं है कि किसी आतंकी या आतंकवादी संगठन ने दहशत फैलाने के लिए टेलीग्राम का इस्तेमाल किया हो। पहले भी कई रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है कि इस्लामिक स्टेट, अल-कायदा, हमास और हिज्बुल्लाह जैसे संगठन टेलीग्राम का इस्तेमाल भर्ती, प्रचार, फंडिंग और हिंसा भड़काने के लिए करते रहे हैं। इसके अलावा टेलीग्राम पर अपराध, फर्जी खबरें, नस्लीय नफरत और चाइल्ड अब्यूज जैसी अवैध गतिविधियों को फैलाने के भी आरोप भी लगते रहे हैं।
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इस वजह से अपराधियों का 'गुप्त अड्डा' बना टेलीग्राम
2013 में रूसी अरबपति पावेल दुरोव और उनके भाई निकोलई दुरोव ने टेलीग्राम को शुरू किया था। टेलीग्राम को लॉन्च करते समय दुरोव भाइयों ने यूजर्स की प्राइवेसी और मैसेज एनक्रिप्शन (Encryption) को एप का सबसे मजबूत आधार बनाया, जो कि उस समय ज्यादातर मैसेजिंग एप्स में नहीं मिलता था। हालांकि, यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर गंभीरता अब कंपनी के लिए कई मुश्किलें खड़ी कर रही है। टेलीग्राम अपने एप के "सिक्रेट चैट" फीचर में सबसे ज्यादा मजबूत एनक्रिप्शन और प्राइवेसी देने का दावा करता है। टेलीग्राम अपने सर्वर पर यूजर्स के मैसेज को अपलोड नहीं करता, यानी टेलीग्राम खुद उन चैट्स को एक्सेस नहीं कर सकता।
Telegram App
- फोटो : FREEPIK
इसके अलावा, एप के सिक्रेट चैट्स में सेल्फ डिस्ट्रक्टिंग फीचर मिलता है, जिससे मैसेज एक समय बाद खुद-ब-खुद डिलीट हो जाता है। इस वजह से सुरक्षा एजेंसियों के लिए मैसेज को ट्रेस और डिकोड कर पाना लगभग नामुमकिन हो जाता है। टेलीग्राम के इसी सख्त प्राइवेसी पॉलिसी का आतंकवादी संगठन गलत फायदा उठा रहे हैं।
2015 में जब पहली बार ये चिंताएं उठीं, तो टेलीग्राम के संस्थापक पावेल दुरोव ने साफ कहा था कि "आतंकवाद जैसी बुरी चीजें होने के डर से ज्यादा जरूरी, लोगों की प्राइवेसी का अधिकार है।" लेकिन इसके महज दो महीने बाद, ISIS ने फ्रांस में सबसे घातक आतंकी हमला किया था। बाद में जांच में पता चला कि हमले की प्लानिंग और समन्वय के लिए हमलावरों ने आंशिक रूप से टेलीग्राम और व्हाट्सएप का इस्तेमाल किया था। इसके बाद टेलीग्राम ने ISIS से जुड़े अकाउंट्स हटाने का वादा किया, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार फरवरी 2024 तक भी कुछ प्रोपेगेंडा सामग्री प्लेटफॉर्म पर मिलती रही।
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कानून एजेंसियों से असहयोग के आरोप
टेलीग्राम की नीति जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करने पर सख्त सीमाएं लगाती है। कंपनी शुरू करने में मदद करने वाले एक्सल नेफ ने एक बयान में बताया था कि उनके कोर टीम में केवल 60 कर्मचारी हैं, जो प्लेटफॉर्म पर आपराधिक गतिविधियों की निगरानी करने के लिए बहुत कम हैं। उन्होंने 2024 में कहा था, "अगर टेलीग्राम को कोई कोर्ट ऑर्डर मिलता है जो यह पुष्टि करता है कि आप संदिग्ध आतंकी हैं, तो हम आपका IP एड्रेस और फोन नंबर संबंधित अधिकारियों को बता सकते हैं। अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ है।"
जांच में हुए कई अहम खुलासे
न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक जांच रिपोर्ट में खुलासा किया था कि टेलीग्राम पर 32 लाख से अधिक मैसेज और 16,000 चैनलों में खुलेआम अवैध गतिविधियां चल रही हैं। करीब 1,500 व्हाइट सुप्रीमेसी चैनल दुनिया भर के लगभग 10 लाख यूजर्स तक जुड़े हुए हैं। कई चैनलों पर हथियारों की बिक्री से लेकर ड्रग्स की डिलीवरी तक का व्यापार चल रहा है। पावेल दुरोव ने भी 2024 में स्पष्ट कहा था कि उनकी कंपनी उन सरकारी अनुरोधों को अनदेखा कर देती है जो उनकी “फ्री स्पीच और प्राइवेसी” की वैल्यूज के खिलाफ हों।
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टेलीग्राम ने बचाव में दिया बयान
हालांकि, एक भारतीय मीडिया एजेंसी को दिए बयान में कंपनी ने स्पष्ट किया कि उसके नियम किसी भी तरह की हिंसा या आतंकी सामग्री की अनुमति नहीं देते और ऐसी सामग्री मिलते ही हटाई जाती है। कंपनी ने दावा किया कि वह रोजाना लाखों हानिकारक पोस्ट हटाती है और चरमपंथ के खिलाफ वैश्विक संगठनों के साथ साझेदारी भी कर रही है। कंपनी ने भारतीय IT नियम 2021 के अनुपालन की भी बात कही।
2015 में जब पहली बार ये चिंताएं उठीं, तो टेलीग्राम के संस्थापक पावेल दुरोव ने साफ कहा था कि "आतंकवाद जैसी बुरी चीजें होने के डर से ज्यादा जरूरी, लोगों की प्राइवेसी का अधिकार है।" लेकिन इसके महज दो महीने बाद, ISIS ने फ्रांस में सबसे घातक आतंकी हमला किया था। बाद में जांच में पता चला कि हमले की प्लानिंग और समन्वय के लिए हमलावरों ने आंशिक रूप से टेलीग्राम और व्हाट्सएप का इस्तेमाल किया था। इसके बाद टेलीग्राम ने ISIS से जुड़े अकाउंट्स हटाने का वादा किया, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार फरवरी 2024 तक भी कुछ प्रोपेगेंडा सामग्री प्लेटफॉर्म पर मिलती रही।
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कानून एजेंसियों से असहयोग के आरोप
टेलीग्राम की नीति जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करने पर सख्त सीमाएं लगाती है। कंपनी शुरू करने में मदद करने वाले एक्सल नेफ ने एक बयान में बताया था कि उनके कोर टीम में केवल 60 कर्मचारी हैं, जो प्लेटफॉर्म पर आपराधिक गतिविधियों की निगरानी करने के लिए बहुत कम हैं। उन्होंने 2024 में कहा था, "अगर टेलीग्राम को कोई कोर्ट ऑर्डर मिलता है जो यह पुष्टि करता है कि आप संदिग्ध आतंकी हैं, तो हम आपका IP एड्रेस और फोन नंबर संबंधित अधिकारियों को बता सकते हैं। अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ है।"
जांच में हुए कई अहम खुलासे
न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक जांच रिपोर्ट में खुलासा किया था कि टेलीग्राम पर 32 लाख से अधिक मैसेज और 16,000 चैनलों में खुलेआम अवैध गतिविधियां चल रही हैं। करीब 1,500 व्हाइट सुप्रीमेसी चैनल दुनिया भर के लगभग 10 लाख यूजर्स तक जुड़े हुए हैं। कई चैनलों पर हथियारों की बिक्री से लेकर ड्रग्स की डिलीवरी तक का व्यापार चल रहा है। पावेल दुरोव ने भी 2024 में स्पष्ट कहा था कि उनकी कंपनी उन सरकारी अनुरोधों को अनदेखा कर देती है जो उनकी “फ्री स्पीच और प्राइवेसी” की वैल्यूज के खिलाफ हों।
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टेलीग्राम ने बचाव में दिया बयान
हालांकि, एक भारतीय मीडिया एजेंसी को दिए बयान में कंपनी ने स्पष्ट किया कि उसके नियम किसी भी तरह की हिंसा या आतंकी सामग्री की अनुमति नहीं देते और ऐसी सामग्री मिलते ही हटाई जाती है। कंपनी ने दावा किया कि वह रोजाना लाखों हानिकारक पोस्ट हटाती है और चरमपंथ के खिलाफ वैश्विक संगठनों के साथ साझेदारी भी कर रही है। कंपनी ने भारतीय IT नियम 2021 के अनुपालन की भी बात कही।