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India: भारत की आबादी इसकी बड़ी ताकत; एआई, सीएसआर और कौशल विकास को साथ आने की जरूरत: अरविंद विरमानी

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सुयश पांडेय Updated Tue, 11 Nov 2025 09:02 PM IST
सार

नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी का कहना है कि अगर भारत अपने युवाओं की ऊर्जा को नौकरी और विकास में बदलना चाहता है, तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी और कौशल विकास कार्यक्रम को एक साथ लाना होगा।

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AI CSR and large scale skilling must come together if India is to transform its demographic advantage
एआई, सीएसआर और कौशल विकास कार्यक्रम को एक साथ लाना लक्ष्य - फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
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भारत की बड़ी आबादी को असली ताकत में बदलने के लिए अब सिर्फ सरकारी योजनाएं काफी नहीं होंगी। नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी का कहना है कि अगर भारत अपने युवाओं की ऊर्जा को नौकरी और विकास में बदलना चाहता है, तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) और कौशल विकास कार्यक्रम को एक साथ लाना होगा।
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कौशल विकास पर खर्च होना चाहिए CSR फंड का बड़ा हिस्सा

विरमानी के मुताबिक, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) फंड का एक बड़ा हिस्सा अब कौशल विकास पर खर्च होना चाहिए। खासकर कम पढ़े-लिखे, औपचारिक नौकरी बाजार से बाहर या स्वनियोजित युवाओं के लिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों और गैर सरकारी संगठनों (NGOs) को ऐसे लोगों के लिए फंड और ट्रेनिंग विशेषज्ञ देने चाहिए, ताकि उन्हें नए कौशल सिखाए जा सकें और वे रोजगार के नए मौके पा सकें।
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इंडस्ट्री तय करती है नौकरियों के लिए किन कौशल की जरूरत है

विरमानी का कहना है कि राज्य सरकारों की भूमिका जानकारी देने और समन्वय की है लेकिन इंडस्ट्री ही असली 'डिमांडर' है। यानी नौकरियों के लिए किन कौशल की जरूरत है, यह वही तय करती है। इसीलिए इंडस्ट्री को चाहिए कि वह ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स को मशीनें और ट्रेनर्स मुहैया कराए, अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम बढ़ाए ताकि युवाओं को काम करते-करते सीखने का मौका मिले और कौशल प्रशिक्षण को अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी का अहम हिस्सा बनाए। अरविंद विरमानी ने कहा, "सरकार ढांचा तैयार करती है, लेकिन दिशा इंडस्ट्री ही तय करती है"

रोजगार के लिए ब्रिज बन सकता है पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप

उन्होंने कहा कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) ही वह पुल है जो प्रशिक्षण कार्यक्रम को रोजगार के नतीजों से जोड़ सकती है। सरकार पहले से कई कौशल विकास योजनाएं चला रही है लेकिन अगर कंपनियां अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फंड का बड़ा हिस्सा कौशल विकास पर लगाएं और प्रशिक्षण डिजाइन में सीधा भूमिका निभाएं तो युवाओं के लिए रोजगार के दरवाजे खुल सकते हैं।

एआई खतरा नहीं, बल्कि अवसर है

विरमानी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कोई खतरा नहीं, बल्कि एक नया संरचनात्मक बदलाव है। एआई के जरिए देश में हेल्थ, एजुकेशन और कौशल विकास जैसी सेवाओं की क्वालिटी और पहुंच दोनों बेहतर की जा सकती हैं। "मानव और एआई का मिला-जुला सिस्टम हमारी सामाजिक और सरकारी सेवाओं को और बेहतर बनाएगा"

स्किल फॉर इंडिया माने स्किल फॉर वर्ल्ड

उन्होंने कहा कि भारत की कौशल विकास को स्थानीय जरूरतों के हिसाब से बनाना चाहिए। हर राज्य और जिले में छोटे स्किल संस्थान खुलने चाहिए ताकि युवाओं को नजदीक ही प्रशिक्षण मिल सके। विरमानी के अनुसार "नौकरियां और कौशल एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, स्किल फॉर इंडिया का मतलब है स्किल फॉर वर्ल्ड"

डिकोडिंग जॉब्स 2026 की रिपोर्ट से क्या पता चला?

विरमानी ने नई दिल्ली में CII और Taggd के साथ 'इंडिया डिकोडिंग जॉब्स 2026' रिपोर्ट लॉन्च की, जिसमें भारत के रोजगार ढांचे की बड़ी झलक मिली। भारत की 85% कर्मचारियों की संख्या अब भी अनौपचारिक क्षेत्र में है। यह अनौपचारिक क्षेत्र जीडीपी में 45% योगदान देता है। कृषि में ही 20 करोड़ से ज्यादा लोग काम करते हैं। उत्पादन में लगभग 70% कंपनियां संविदात्मक या असंगठित हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के सामने दो चुनौतियां हैं, पहली नौकरियों को फॉर्मल बनाना और दूसरी आजीविका को सुरक्षित रखना।

जहां दुनिया बूढ़ी हो रही है वहीं भारत की जनसंख्या युवा है

विरमानी ने कहा कि यूरोप, अमेरिका और बाकी विकसित देशों में काम करने वाली आबादी घट रही है, जबकि भारत में यह तेजी से बढ़ रही है। इससे भारत को बड़ी बढ़त मिलती है। भारत के पास 'स्कूल शिक्षित, मध्यम कुशल और कॉलेज शिक्षित' युवाओं की विशाल संख्या है। जहां पश्चिमी देश टेक्नोलॉजी और निवेश पूंजी में आगे हैं, वहीं भारत के पास युवा और कुशल मानव संसाधन है। जो आने वाले समय में पूरी दुनिया की जरूरत पूरी कर सकता है। भारत की डेमोग्राफिक बढ़त तभी फायदेमंद होगी जब एआई, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी और कौशल एक साथ जुड़ें और सरकार, इंडस्ट्री और समाज मिलकर काम करें। यही रास्ता भारत को 'स्किल्ड वर्कफोर्स की ग्लोबल पावरहाउस' बना सकता है।
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