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AI: जंगल की आग पर लगाम लगाएगा एआई, धुएं-राख के कणों के विश्लेषण से बता देगा रोकने का तरीका
टेक डेस्क, अमर उजाला
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Wed, 12 Nov 2025 08:54 AM IST
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आग की लपटों से घिरा जंगल
- फोटो : अमर उजाला
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जलवायु परिवर्तन के कारण आज जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। ऐसी आग पर काबू पाना इन्सानों के लिए बेहद कठिन होता है। इसी चुनौती से निपटने के लिए मिनेसोटा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक विशेष एआई-संचालित ड्रोन विकसित किया है, जो आग से उठते धुएं और राख के कणों का विश्लेषण कर उनकी गति और दिशा का अनुमान लगा सकता है।
ये ड्रोन हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों का डेटा एकत्र करते हैं और तुरंत जमीन पर स्थित कंप्यूटर को भेजते हैं। कंप्यूटर उस डाटा से यह समझने की कोशिश करता है कि आग किस दिशा में फैल सकती है और धुआं कहां तक जा सकता है। प्रोफेसर कृष्णकुमार के अनुसार, “हम यह जानना चाहते हैं कि धुएं के सूक्ष्म कण कितनी दूर तक जा सकते हैं और किस ऊंचाई पर ठहरते हैं। यही समझ भविष्य में आग के फैलाव को रोकने में मदद करेगी।”
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ये ड्रोन हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों का डेटा एकत्र करते हैं और तुरंत जमीन पर स्थित कंप्यूटर को भेजते हैं। कंप्यूटर उस डाटा से यह समझने की कोशिश करता है कि आग किस दिशा में फैल सकती है और धुआं कहां तक जा सकता है। प्रोफेसर कृष्णकुमार के अनुसार, “हम यह जानना चाहते हैं कि धुएं के सूक्ष्म कण कितनी दूर तक जा सकते हैं और किस ऊंचाई पर ठहरते हैं। यही समझ भविष्य में आग के फैलाव को रोकने में मदद करेगी।”
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संघर्ष से सफलता तक
यह ड्रोन परियोजना कई असफल प्रयासों के बाद सफल हुई है। प्रारंभिक ड्रोन कई बार दुर्घटनाग्रस्त हुए, लेकिन टीम ने बेहतर सेंसर, बड़े प्रोपेलर और शक्तिशाली मोटर लगाकर नई पीढ़ी के ड्रोन विकसित किए। अब ये 150 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरते हुए लगभग 25 मिनट तक लगातार डेटा एकत्र कर सकते हैं। शोधकर्ता युए वेंग कहते हैं, “धुएं और राख के कणों का व्यवहार समझना कठिन होता है, लेकिन इन्हें जानकर हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि आग आगे किस दिशा में बढ़ सकती है।”
स्वचालित भविष्य की ओर परियोजना का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर जियारोंग हांग के अनुसार, भविष्य में ऐसे ड्रोन बड़े पैमाने पर जंगलों की निगरानी करेंगे। इसके लिए कई ड्रोन एक साथ तैनात किए जाते हैं- एक केंद्रीय ड्रोन बाकी चार को नियंत्रित करता है। हवा की दिशा बदलते ही वे अपने रास्ते खुद तय कर लेते हैं। यह तकनीक केवल आपात स्थितियों में ही नहीं, बल्कि ‘नियंत्रित आग’ जैसी प्रक्रियाओं को भी सुरक्षित बनाने में सहायक हो सकती है। पिछले कुछ वर्षों में अनेक नियंत्रित आग नियंत्रण से बाहर होकर हादसों में बदल चुकी हैं।
यह ड्रोन परियोजना कई असफल प्रयासों के बाद सफल हुई है। प्रारंभिक ड्रोन कई बार दुर्घटनाग्रस्त हुए, लेकिन टीम ने बेहतर सेंसर, बड़े प्रोपेलर और शक्तिशाली मोटर लगाकर नई पीढ़ी के ड्रोन विकसित किए। अब ये 150 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरते हुए लगभग 25 मिनट तक लगातार डेटा एकत्र कर सकते हैं। शोधकर्ता युए वेंग कहते हैं, “धुएं और राख के कणों का व्यवहार समझना कठिन होता है, लेकिन इन्हें जानकर हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि आग आगे किस दिशा में बढ़ सकती है।”
स्वचालित भविष्य की ओर परियोजना का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर जियारोंग हांग के अनुसार, भविष्य में ऐसे ड्रोन बड़े पैमाने पर जंगलों की निगरानी करेंगे। इसके लिए कई ड्रोन एक साथ तैनात किए जाते हैं- एक केंद्रीय ड्रोन बाकी चार को नियंत्रित करता है। हवा की दिशा बदलते ही वे अपने रास्ते खुद तय कर लेते हैं। यह तकनीक केवल आपात स्थितियों में ही नहीं, बल्कि ‘नियंत्रित आग’ जैसी प्रक्रियाओं को भी सुरक्षित बनाने में सहायक हो सकती है। पिछले कुछ वर्षों में अनेक नियंत्रित आग नियंत्रण से बाहर होकर हादसों में बदल चुकी हैं।
उज्जवल हैं संभावनाएं
फिलहाल यह प्रयोग सीमित स्तर पर है, पर इसका महत्व बहुत बड़ा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जब ये ड्रोन अधिक समय तक उड़ान भरने और बेहतर डेटा एकत्र करने में सक्षम हो जाएंगे, तब इन्हें जंगल की वास्तविक आग से निपटने में सीधे तौर पर तैनात किया जा सकेगा।
मिनेसोटा विश्वविद्यालय की टीम पहली बार धुएं के कणों की आकृति और संरचना को वास्तविक वातावरण में मापने में सफल हुई है। यदि यह तकनीक व्यापक रूप से अपनाई जाए, तो यह न केवल वन विभागों, बल्कि पूरी मानवता के लिए राहत की नई किरण साबित हो सकती है-जब धुएं को पहचानने वाले ड्रोन आग से जूझते जंगलों की निगरानी करेंगे।
फिलहाल यह प्रयोग सीमित स्तर पर है, पर इसका महत्व बहुत बड़ा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जब ये ड्रोन अधिक समय तक उड़ान भरने और बेहतर डेटा एकत्र करने में सक्षम हो जाएंगे, तब इन्हें जंगल की वास्तविक आग से निपटने में सीधे तौर पर तैनात किया जा सकेगा।
मिनेसोटा विश्वविद्यालय की टीम पहली बार धुएं के कणों की आकृति और संरचना को वास्तविक वातावरण में मापने में सफल हुई है। यदि यह तकनीक व्यापक रूप से अपनाई जाए, तो यह न केवल वन विभागों, बल्कि पूरी मानवता के लिए राहत की नई किरण साबित हो सकती है-जब धुएं को पहचानने वाले ड्रोन आग से जूझते जंगलों की निगरानी करेंगे।