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SIM Binding: सिम-बाइंडिंग नियम पर ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम ने जताई आपत्ति, कहा- लागू करने से पहले हो व्यापक चर्चा
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Tue, 02 Dec 2025 04:09 PM IST
सार
SIM Binding Rules: सरकार के नए सिम-बाइंडिंग निर्देशों को लेकर ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ) ने गंभीर चिंता जताई है। बीआईएफ का कहना है कि मैसेजिंग एप्स को लगातार सक्रिय सिम से जोड़ने का नियम व्यापक असर डालता है और इसे लागू करने से पहले व्यापक परामर्श जरूरी है।
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सिम-बाइंडिंग नियम पर बीआईएफ की आपत्ति
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मैसेजिंग एप्स को सक्रिय सिम कार्ड से लगातार लिंक रखने के सरकारी आदेश पर ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (BIF) ने गंभीर आपत्तियां जताई हैं। संगठन का कहना है कि यह दिशा-निर्देश उपभोक्ताओं, उद्योग और डेटा गोपनीयता पर गहरा असर डाल सकते हैं, इसलिए सरकार को इन्हें लागू करने की समय-सीमा पर तुरंत रोक लगाकर व्यापक चर्चा करनी चाहिए।
क्या हैं सिम-बाइंडिंग के तहत निर्देश?
दूरसंचार विभाग द्वारा 28 नवंबर 2025 को जारी नियमों में कहा गया है कि व्हाट्सएप, टेलीग्राम, सिग्नल सहित सभी मैसेजिंग एप्स को यूजर की सक्रिय सिम (SIM) से लगातार जुड़ा रहना होगा। अगर सिम निष्क्रिय हो जाए तो वेब या डेस्कटॉप वर्जन पर हर छह घंटे में ऑटो-लॉगआउट जरूरी होगा। दूरसंचार विभाग ने सभी टेलीकॉम कंपनियों को 120 दिनों के भीतर नियमों का पूर्ण अनुपालन रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। नियमों का पालन न करने पर टेलीकॉम एक्ट, 2023 और साइबर सिक्योरिटी नियमों के तहत कार्रवाई हो सकती है।
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साइबर अपराधों पर रोक लगाने का प्रयास
सरकार का दावा है कि सिम-बाइंडिंग नियम मुख्य रूप से उन साइबर अपराधों को रोकने के लिए हैं जो विदेशों से होते हैं। लेकिन बीआईएफ का कहना है कि ये कदम अधिकार-क्षेत्र और कानून की सीमा से बाहर जाते हैं और टेलीकॉम एक्ट या साइबर सिक्योरिटी नियमों की मूल भावना से परे हैं। बीआईएफ भारत में कई बड़ी टेक कंपनियों जैसे Meta, Google आदि का प्रतिनिधित्व करता है। हालांकि, टेलिकॉम कंपनियों के संगठन COAI ने सरकार के नए नियमों को देश की सुरक्षा के लिए फायदेमंद बताते हुए समर्थन किया है।
बीआईएफ ने रखी प्रमुख मांगें
बीआईएफ ने इसे निराशाजनक बताते हुए कहा कि इतने व्यापक प्रभाव वाले नियम बिना किसी सार्वजनिक सलाह-मशविरा या यूजर-इम्पैक्ट आकलन के जारी कर दिए गए। फोरम के अध्यक्ष टी. वी. रामचंद्रन ने कहा कि सरकार साइबर सुरक्षा मजबूत करना चाहती है, लेकिन OTT सेवाओं पर टेलीकॉम जैसी बाध्यताएं लागू करना चिंताजनक है।
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बीआईएफ ने दूरसंचार विभाग से सिम बाइंडिंग नियमों को लागू करने की मौजूदा समय-सीमा पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। इसके अलावा, फोरम का कहना है कि सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ औपचारिक परामर्श प्रक्रिया शुरू की जाए।
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क्या हैं सिम-बाइंडिंग के तहत निर्देश?
दूरसंचार विभाग द्वारा 28 नवंबर 2025 को जारी नियमों में कहा गया है कि व्हाट्सएप, टेलीग्राम, सिग्नल सहित सभी मैसेजिंग एप्स को यूजर की सक्रिय सिम (SIM) से लगातार जुड़ा रहना होगा। अगर सिम निष्क्रिय हो जाए तो वेब या डेस्कटॉप वर्जन पर हर छह घंटे में ऑटो-लॉगआउट जरूरी होगा। दूरसंचार विभाग ने सभी टेलीकॉम कंपनियों को 120 दिनों के भीतर नियमों का पूर्ण अनुपालन रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। नियमों का पालन न करने पर टेलीकॉम एक्ट, 2023 और साइबर सिक्योरिटी नियमों के तहत कार्रवाई हो सकती है।
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साइबर अपराधों पर रोक लगाने का प्रयास
सरकार का दावा है कि सिम-बाइंडिंग नियम मुख्य रूप से उन साइबर अपराधों को रोकने के लिए हैं जो विदेशों से होते हैं। लेकिन बीआईएफ का कहना है कि ये कदम अधिकार-क्षेत्र और कानून की सीमा से बाहर जाते हैं और टेलीकॉम एक्ट या साइबर सिक्योरिटी नियमों की मूल भावना से परे हैं। बीआईएफ भारत में कई बड़ी टेक कंपनियों जैसे Meta, Google आदि का प्रतिनिधित्व करता है। हालांकि, टेलिकॉम कंपनियों के संगठन COAI ने सरकार के नए नियमों को देश की सुरक्षा के लिए फायदेमंद बताते हुए समर्थन किया है।
बीआईएफ ने रखी प्रमुख मांगें
बीआईएफ ने इसे निराशाजनक बताते हुए कहा कि इतने व्यापक प्रभाव वाले नियम बिना किसी सार्वजनिक सलाह-मशविरा या यूजर-इम्पैक्ट आकलन के जारी कर दिए गए। फोरम के अध्यक्ष टी. वी. रामचंद्रन ने कहा कि सरकार साइबर सुरक्षा मजबूत करना चाहती है, लेकिन OTT सेवाओं पर टेलीकॉम जैसी बाध्यताएं लागू करना चिंताजनक है।
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बीआईएफ ने दूरसंचार विभाग से सिम बाइंडिंग नियमों को लागू करने की मौजूदा समय-सीमा पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। इसके अलावा, फोरम का कहना है कि सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ औपचारिक परामर्श प्रक्रिया शुरू की जाए।