सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Technology ›   Tech Diary ›   Fraudsters kept Mumbai businessman under digital arrest overnight and fudged 53 lakhs

Digital Arrest: ठगों ने मुंबई के व्यवसायी को रातभर ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा, खाते से साफ किए 53 लाख रुपए

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सुयश पांडेय Updated Tue, 11 Nov 2025 06:08 PM IST
सार

मुंबई में एक हैरान करने वाला साइबर फ्रॉड सामने आया है। दक्षिण मुंबई के 60 साल के एक व्यवसायी को ठगों ने कानून व्यवस्था के बड़े अफसर बनकर पूरी रात वीडियो कॉल पर 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा और उससे 53 लाख रुपये ठग लिए। 

विज्ञापन
Fraudsters kept Mumbai businessman under digital arrest overnight and fudged 53 lakhs
डिजिटल अरेस्ट (सांकेतिक फोटो) - फोटो : Freepik
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

मुंबई में एक हैरान करने वाला साइबर फ्रॉड सामने आया है। दक्षिण मुंबई के 60 साल के एक व्यवसायी को ठगों ने कानून व्यवस्था के बड़े अफसर बनकर पूरी रात वीडियो कॉल पर 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा और उससे 53 लाख रुपये ठग लिए।
Trending Videos

क्या होता है 'डिजिटल अरेस्ट'?

'डिजिटल अरेस्ट' साइबर फ्रॉड का एक नया तरीका है। इसमें ठग खुद को सरकारी अफसर या पुलिस अधिकारी बताकर वीडियो कॉल या ऑडियो कॉल पर लोगों को डराते हैं। वे कहते हैं कि व्यक्ति किसी अपराध में फंसा हुआ है और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए पैसे जमा करने पड़ेंगे।
विज्ञापन
विज्ञापन

क्या हुआ था पूरा मामला?

पीड़ित व्यक्ति मुंबई के अग्रिपाड़ा इलाके का रहने वाला है। 2 नवंबर को उसे एक अनजान नंबर से कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) का अफसर बताया। उसने अपना नाम राजीव सिन्हा बताया गया और कहा "आपके नाम पर लिए गए सिम कार्ड से फ्रॉड हुआ है, आपको 2 घंटे में दिल्ली पुलिस के सामने पेश होना होगा"। जिस पर व्यवसायी ने कहा कि वह दिल्ली नहीं जा सकता, तो कॉलर ने कहा कि उसके खिलाफ दिल्ली में केस दर्ज है और अब दिल्ली पुलिस उससे बात करेगी।

इसके बाद शुरू हुआ 'डिजिटल अरेस्ट'

थोड़ी देर बाद पीड़ित को एक वीडियो कॉल आया। इस बार कॉल करने वाले ने खुद को दिल्ली पुलिस का अफसर विजय खन्ना बताया। उसने कहा कि व्यवसायी का नाम मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल है और उसके आधार कार्ड से फर्जी बैंक अकाउंट खोला गया है। इसके बाद फ्रॉड करने वालों ने वीडियो कॉल पर अलग-अलग सीनियर अफसरों से बात करवाई, साथ ही एंटी करप्शन ब्रांच, इंस्पेक्शन डिपार्टमेंट और एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट के फर्जी लेटरहेड दिखाए गए। पीड़ित को आरोपी ने पूरी रात कॉल पर रखा। उन्होंने पीड़ित से उसकी प्रॉपर्टी, सेविंग्स और बैंक अकाउंट की जानकारी मांगी।

फर्जी 'ऑनलाइन कोर्ट हियरिंग'

अगले दिन फ्रॉड करने वालों ने एक फर्जी ऑनलाइन कोर्ट हियरिंग करवाई। 'कोर्ट' ने कहा कि उसे बेल नहीं मिलेगी, और उसके सारे बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिए जाएंगे। उसे कहा गया कि वह अपने पैसे सरकार द्वारा बताए गए एक 'नेशनलाइज्ड बैंक अकाउंट' में ट्रांसफर करे। पीड़ित ने डर के मारे 53 लाख रुपये उस अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए।

कैसे खुला राज?

जब ठगों ने उससे और पैसे मांगे, तो उसे शक हुआ। वह टॉयलेट जाने का बहाना बनाकर कमरे से बाहर निकला और साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल किया। इसके बाद उसने सेंट्रल रीजन साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

कैसे बचें ऐसे फ्रॉड से?

किसी भी सरकारी एजेंसी या पुलिस की असली कॉल कभी वीडियो कॉल पर नहीं आती। अगर कोई कहे कि आपके नाम पर केस है। तुरंत 1930 या 112 पर शिकायत दर्ज करें। फर्जी दस्तावेज या कोर्ट नोटिस ऑनलाइन मत मानें, हमेशा आधिकारिक वेबसाइट से जांच करें। किसी भी अनजान खाते में कभी भी पैसे ट्रांसफर न करें। डिजिटल अरेस्ट असली गिरफ्तारी नहीं होती यह सिर्फ साइबर अपराधियों के जरिए लोगों को डराने का तरीका है। सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध कॉल की जानकारी तुरंत साइबर पुलिस को दें।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News App अपने मोबाइल पे|
Get all Tech News in Hindi related to live news update of latest mobile reviews apps, tablets etc. Stay updated with us for all breaking news from Tech and more Hindi News.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed