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Sanchar Sathi: '...डिलीट कर सकते हैं', सरकार के एप को स्मार्टफोन में अनिवार्य करने के आदेश पर सिंधिया की सफाई

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सुयश पांडेय Updated Tue, 02 Dec 2025 12:48 PM IST
सार

संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा संचार साथी एप को डिलीट किया जा सकता है। यह एप वैसा ही होगा जैसे बाकी एप्स होते हैं। इस एप में रजिस्टर करना भी वैकल्पिक है। यह पूरी तरह से यूजर पर निर्भर करता है। विपक्ष बेवजह इसे मुद्दा बना रही है।

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संचार साथी एप पर संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की सफाई - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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दूरसंचार विभाग (DoT) के जरिए 28 नवंबर को जारी एक दिशा-निर्देश के अनुसार, अब हर एक स्मार्टफोन्स में 'संचार साथी' एप का प्री-इंस्टॉलेशन जरूरी होगा। यानी सभी मोबाइल कंपनियों को ये आश्वस्त करना होगा कि वे अपने स्मार्टफोन्स में 'संचार साथी' एप अनिवार्य रूप से रखें। कंपनियों को इस नियम को लागू करने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है।

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विपक्ष इसे 'निगरानी एप' बताकर विरोध कर रही थी पर अब इस पर केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का बड़ा और राहत देने वाला बयान आया है। 

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संचार साथी एप पर उठे विवाद पर संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का बयान

संचार साथी एप को लेकर जारी बहस पर केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विपक्ष की आलोचनाओं को सख्ती से खारिज किया। मंत्री ने कहा कि जब विपक्ष के पास ठोस मुद्दे नहीं होते, तो वे जबरदस्ती विवाद खड़ा करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार का मुख्य उद्देश्य केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।


सिंधिया ने बताया कि संचार साथी पोर्टल को अब तक 20 करोड़ से ज्यादा लोग इस्तेमाल कर चुके हैं, जबकि एप के 1.5 करोड़ से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं। उनके मुताबिक, इस प्लेटफॉर्म की मदद से करीब 1.75 करोड़ फर्जी मोबाइल कनेक्शन बंद किए गए हैं। साथ ही, 20 लाख चोरी हुए मोबाइल फोन ट्रेस किए गए और 7.5 लाख से अधिक मोबाइल उनके मालिकों को वापस किए गए हैं।

विवादों को लेकर मंत्री ने स्पष्ट किया कि संचार साथी एप किसी भी तरह की जासूसी या कॉल मॉनिटरिंग नहीं करता। उन्होंने कहा, "यह एप पूरी तरह वैकल्पिक है। इसे आप अपनी इच्छा से एक्टिवेट या डीएक्टिवेट कर सकते हैं। अगर नहीं चाहिए, तो इसे किसी भी अन्य एप की तरह डिलीट किया जा सकता है। हमारी कोशिश सिर्फ उपभोक्ता सुरक्षा को मजबूत करने की है" सिंधिया के मुताबिक, सरकार की जिम्मेदारी है कि इस एप की सुविधा हर उपभोक्ता तक पहुंचे, लेकिन फोन में रखना या न रखना पूरी तरह उपयोगकर्ता की पसंद पर निर्भर है।

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