Sanchar Saathi: संचार साथी एप पर बड़ा राजनीतिक घमासान! विपक्ष बोला, साइबर सुरक्षा के नाम पर निगरानी नहीं चलेगी
संचार साथी एप को नए मोबाइल फोनों में प्री-इंस्टॉल करने के दूरसंचार विभाग के आदेश पर राजनीति गर्म हो गई है। प्रियंका गांधी और प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे जासूसी और निगरानी से जोड़ते हुए नागरिकों की निजता पर खतरा बताया है।
विस्तार
दूरसंचार विभाग (DoT) ने 28 नवंबर को एक दिशा-निर्देश जारी किया। इसके मुताबिक सभी मोबाइल कंपनियों को अपने स्मार्टफोन्स में 'संचार साथी' एप को प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य होगा। कंपनियों को इस नियम को लागू करने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है। इसे लेकर अब विपक्ष का हमला तेज हो गया है। सरकार का ये कहना है कि इस एप के जरिए मोबाइल के IMEI से जुड़े किसी भी फर्जीवाड़े, फोन चोरी और फर्जी कॉल या धोखाधड़ी रोकने में मदद मिलेगी। वहीं विपक्ष इसे निगरानी का साधन करार कर रही है। और मोबाइल कंपनियों के जरिए भी इस एप का विरोध किया गया है। इसी कड़ी में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी एप को लेकर कड़ा विरोध जताया।
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने दूरसंचार विभाग (DoT) के उस निर्देश पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस एप को "जासूसी एप" बताते हुए कहा कि यह कदम नागरिकों की निजता पर सीधा हमला है। प्रियंका गांधी ने कहा कि हर नागरिक का निजता का अधिकार सर्वोपरि है। लोग अपने परिवार या दोस्तों को जो संदेश भेजते हैं, उन पर सरकार को निगरानी रखने का कोई अधिकार नहीं है। उनके अनुसार, इस तरह की बाध्यता जनता के भरोसे को कमजोर करती है।
सरकार पर तानाशाही की ओर बढ़ने का आरोप
प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि देश में हर ओर तानाशाही बढ़ रही है। संसद सुचारू रूप से काम नहीं कर पा रही, क्योंकि सरकार महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से बच रही है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में खुली बहस की संस्कृति बेहद जरूरी है और सरकार इससे दूर भाग रही है।
फ्रॉड रिपोर्टिंग और निगरानी में फर्क होता है: प्रियंका गांधी वाड्रा
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि फोन फ्रॉड रोकने और नागरिकों की फोन गतिविधियों पर निगरानी रखने के बीच बहुत कम अंतर होता है। प्रियंका गांधी ने कहा, "साइबर सुरक्षा जरूरी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सरकार हर नागरिक के फोन में झांकने का बहाना बनाए। मुझे नहीं लगता कि कोई भी नागरिक इससे खुश होगा"
प्रियंका चतुर्वेदी का भी विरोध: यह निगरानी का एक और तरीका
सरकार के इस कदम पर शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी कड़ा विरोध जताया। उन्होंने इसे नागरिकों की निजी जिंदगी में दखल बताते हुए कहा कि प्री-इंस्टॉल्ड एप के जरिए सरकार फोन इस्तेमाल की हर गतिविधि पर नजर रख सकती है। ये निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "प्री-इंस्टॉल्ड एप के नाम पर यह निगरानी का एक और तरीका है। इससे हमारी हर फोन गतिविधि ट्रैक की जा सकती है। हम इसका कड़ा विरोध करेंगे और सरकार से इसे तुरंत वापस लेने की मांग करेंगे"। उन्होंने साफ कहा कि उनकी पार्टी इस फैसले का हर स्तर पर विरोध करेगी, क्योंकि यह नागरिकों की स्वतंत्रता और निजता के खिलाफ है।