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डूब क्षेत्र में निर्माणों की फिर होगी नाप-जोख
डूब क्षेत्र में निर्माणों की फिर होगी नाप-जोख
Updated Fri, 16 Sep 2016 01:23 AM IST
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल
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यमुना किनारे अवैध निर्माण करने वाले बड़े और छोटे बिल्डरों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सख्ती कायम है। हाल ही में बड़े बिल्डरों की आवासीय परियोजनाओं के बारे में दाखिल की गई लोकल कमिश्नर की जांच रिपोर्ट के बाद फिर से एनजीटी ने ‘ए’ श्रेणी की यानी बड़ी परियोजनाओं की जांच व नाप-जोख के लिए लोकल कमिश्नर नियुक्त किया है।
पीठ ने साफ कहा है कि इस बार नाप-जोख के दौरान किसी तरह का मेला नहीं लगना चाहिए। हालांकि पीठ ने अगली सुनवाई की तारीख 27 सितंबर तय करते हुए नाप-जोख की तारीख सार्वजनिक नहीं की है।
जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट अनुश्रवण समिति के सदस्य व याची डीके जोशी के मामले पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि नाप-जोख के दौरान सिर्फ याची और संबंधित बिल्डर के एडवोकेट और प्राधिकरण के प्रतिनिधि ही मौजूद होने चाहिए।
सुनवाई के दौरान नाप-जोख की तकनीकी पर सवाल उठने के बाद पीठ ने साफ किया कि डूब क्षेत्र सीमा और डूब क्षेत्र सीमांकन के खंभों से दोनों तरीके से निर्माणाधीन या निर्मित हो चुकी परियोजनाओं की दूरी नापी जानी चाहिए। वहीं याची की ओर से पेश एडवोकेट राहुल चौधरी ने कहा कि पिछली जांच में लोकल कमिश्नर ने ए श्रेणी में आने वाली छह परियोजनाओं की जांच व नाप-जोख की थी। इसमें सिर्फ डूब क्षेत्र के सीमांकन खंभों से ही दूरी नापी गई थी जबकि कई परियोजनाएं नदी के तट से चंद फासलों की दूरी पर हैं। वहीं लोकल कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में मंगलम एस्टेट की एक दीवार यमुना नदी में भी होने की पुष्टि की थी।
हालांकि पीठ ने आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक ए श्रेणी में मौजूद अन्य 13 परियोजनाओं की नाप-जोख करने के लिए आदेश दिया है। इससे पहले एडीए की ओर से पेश अधिवक्ता ने दावा किया कि अन्य जितनी भी परियोजनाएं हैं वे कहीं से भी यमुना डूब क्षेत्र में मौजूद नहीं है। उनकी चिंता बड़े बिल्डर्स को लेकर है। इसलिए जांच और नाप-जोख जल्दी हो जाए तो सब साफ हो जाएगा। एडीए की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि सभी बड़े बिल्डरों के पीछे पड़े हैं जबकि बी श्रेणी में आने वाली छोटी परियोजनाएं और निर्माण यमुना डूब क्षेत्र में बदस्तूर जारी है। वे यमुना डूब क्षेत्र के आदेश का उल्लंघन करने के बावजूद मजा ले रहे हैं।
वहीं, पीठ ने कहा कि दो हफ्तों में एडीए हलफनामा दाखिल कर यह बताए कि आदेश का उल्लंघन करने वाले बी श्रेणी की परियोजनाओं के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है।
मालूम हो कि एडीए के मुताबिक, बी श्रेणी में कुल 58 परियोजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा पीठ ने आगरा में सीवेज के प्रबंधन और उसके निपटारे को लेकर व्यवस्था पर नगर निगम से भी एक हफ्ते में जवाब देने को कहा है।
इनसेट
पिछली बार पहुंच गए थे तमाम बिल्डर
ट्रिब्यूनल के निर्देश पर पिछली बार नाप-जोख करने आए लोकल कमिश्नर के पहुंचने पर तमाम बिल्डर मौके पर पहुंच गए थे। इस पर याची और उनके अधिवक्ता ने आपत्ति उठाई थी। उनका कहना था कि इनकी वजह से जांच प्रभावित हो सकती है।
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पीठ ने साफ कहा है कि इस बार नाप-जोख के दौरान किसी तरह का मेला नहीं लगना चाहिए। हालांकि पीठ ने अगली सुनवाई की तारीख 27 सितंबर तय करते हुए नाप-जोख की तारीख सार्वजनिक नहीं की है।
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जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट अनुश्रवण समिति के सदस्य व याची डीके जोशी के मामले पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि नाप-जोख के दौरान सिर्फ याची और संबंधित बिल्डर के एडवोकेट और प्राधिकरण के प्रतिनिधि ही मौजूद होने चाहिए।
सुनवाई के दौरान नाप-जोख की तकनीकी पर सवाल उठने के बाद पीठ ने साफ किया कि डूब क्षेत्र सीमा और डूब क्षेत्र सीमांकन के खंभों से दोनों तरीके से निर्माणाधीन या निर्मित हो चुकी परियोजनाओं की दूरी नापी जानी चाहिए। वहीं याची की ओर से पेश एडवोकेट राहुल चौधरी ने कहा कि पिछली जांच में लोकल कमिश्नर ने ए श्रेणी में आने वाली छह परियोजनाओं की जांच व नाप-जोख की थी। इसमें सिर्फ डूब क्षेत्र के सीमांकन खंभों से ही दूरी नापी गई थी जबकि कई परियोजनाएं नदी के तट से चंद फासलों की दूरी पर हैं। वहीं लोकल कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में मंगलम एस्टेट की एक दीवार यमुना नदी में भी होने की पुष्टि की थी।
हालांकि पीठ ने आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक ए श्रेणी में मौजूद अन्य 13 परियोजनाओं की नाप-जोख करने के लिए आदेश दिया है। इससे पहले एडीए की ओर से पेश अधिवक्ता ने दावा किया कि अन्य जितनी भी परियोजनाएं हैं वे कहीं से भी यमुना डूब क्षेत्र में मौजूद नहीं है। उनकी चिंता बड़े बिल्डर्स को लेकर है। इसलिए जांच और नाप-जोख जल्दी हो जाए तो सब साफ हो जाएगा। एडीए की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि सभी बड़े बिल्डरों के पीछे पड़े हैं जबकि बी श्रेणी में आने वाली छोटी परियोजनाएं और निर्माण यमुना डूब क्षेत्र में बदस्तूर जारी है। वे यमुना डूब क्षेत्र के आदेश का उल्लंघन करने के बावजूद मजा ले रहे हैं।
वहीं, पीठ ने कहा कि दो हफ्तों में एडीए हलफनामा दाखिल कर यह बताए कि आदेश का उल्लंघन करने वाले बी श्रेणी की परियोजनाओं के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है।
मालूम हो कि एडीए के मुताबिक, बी श्रेणी में कुल 58 परियोजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा पीठ ने आगरा में सीवेज के प्रबंधन और उसके निपटारे को लेकर व्यवस्था पर नगर निगम से भी एक हफ्ते में जवाब देने को कहा है।
इनसेट
पिछली बार पहुंच गए थे तमाम बिल्डर
ट्रिब्यूनल के निर्देश पर पिछली बार नाप-जोख करने आए लोकल कमिश्नर के पहुंचने पर तमाम बिल्डर मौके पर पहुंच गए थे। इस पर याची और उनके अधिवक्ता ने आपत्ति उठाई थी। उनका कहना था कि इनकी वजह से जांच प्रभावित हो सकती है।