गिरिराज परिक्रमा क्षेत्र स्थित कुसुम सरोवर में मछलियों के मरने के बाद अब एक कछुआ भी मरा पाया गया है। ऐतिहासिक सरोवर में इस स्थिति को नियंत्रित करने और इसके कारण समझने के लिए बुधवार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मत्स्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची। टीम ने जल के नमूने लिए। इसके बाद जल ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए आवश्यक तत्वों का छिड़काव भी किया ।
गिरिराज जी की छोटी परिक्रमा स्थित कुसुम सरोवर में मछलियों के मरने की सूचना के बाद प्रशासनिक स्तर पर खलबली मची हुई है। एसडीएम गोवर्धन के निर्देश पर बुधवार को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक अभियंता पर्यावरण डीके गुप्ता और मत्स्य विभाग के निदेशक डॉ. महेश चौहान अधीनस्थों के साथ कुसुम सरोवर पहुंचे।
यहां दोनों विभाग की टीम ने सरोवर के जल की प्रारंभिक जांच की। विस्तृत जांच के लिए जल और मछलियों के नमूने भी एकत्रित किए। इस दौरान जल में मृत मिले कछुआ को भी देखा है। डॉ. महेश चौहान ने बताया कि पानी में ऑक्सीजन की कमी पाई गई है। इसके लिए पानी में कैल्शियम कार्बोनेट और पोटैशियम परमैगनेट का छिड़काव किया गया है।
लगातार तापमान में गिरावट आने के कारण कुसुम सरोवर के जल में ऑक्सीजन की कमी मछलियों की मौत का कारण बनी है। बुधवार को दोपहर में भी तापमान 15 डिग्री के आसपास था, जो रात में बेहद निचले स्तर पर पहुंच रहा होगा। इससे ऑक्सीजन कम होने से जलचरों की मौत हुई है। इस सरोवर से जल निकासी का भी कोई उपाय नहीं है। -डीके गुप्ता, सहायक अभियंता पर्यावरण, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय
आचमन योग्य नहीं है कुसुम सरोवर का जल
गिरिराज महाराज की राधाकुंड परिक्रमा स्थित कुसुम सरोवर में जल आचमन योग्य नहीं हैं, लेकिन परिक्रमार्थी धार्मिक आस्था के चलते यहां स्नान और आचमन भी करते हैं। वर्तमान में मछलियों के मरने के बाद तो यहां की स्थिति और खराब हो गई है।
हालांकि पिछले साल इस जल की जांच क्वैश प्रोडक्ट इंडिया लिमिटेड ने कराई थी। इसकी रिपोर्ट के अनुसार यहां जल में बीओडी (बायोलॉजिकल आक्सीजन डिमांड) की मात्रा निर्धारित मानक से कई गुना अधिक मिली थी, जो बेहद चिंताजनक मानी गई।
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कुसुम सरोवर में उठती दुर्गंध से साधु संतों में आक्रोश
कुसुम सरोवर में मछलियों के बाद मृत कछुआ मिलने से साधु-संतों में भारी आक्रोश है। उन्होंने बुधवार को प्रदर्शन कर अपनी नाराजगी जताई है। वहीं, सरोवर का संरक्षण करने वाली सरकारी एजेंसी के खिलाफ नारेबाजी भी की।
रवि नंद सरस्वती के नेतृत्व में पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान सुशील अग्रवाल ने कहा कि कुसुम सरोवर में तीन-चार दिन से मछलियां मरी पड़ी हैं। दुर्गंध आ रही है। इससे पर्यटन मंत्री को अवगत कराया जाएगा।
हरिओम शर्मा उर्फ कोकन ने बताया कि इस स्थिति से उन्होंने पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को अवगत करा दिया, लेकिन अभी तक कोई भी नहीं आया। इस दौरान कृष्णदास, अनिल दास, राम कुमार दास, श्याम दास, अशोक दास, रविनंद, सीताराम आदि शामिल थे।
स्थानीय लोगों की सूचना पर नायब तहसीलदार के साथ सफाईकर्मी भेज दिए गए हैं। उन्होंने कुसुम सरोवर में मृत मछलियों को एकत्रित कर उन्हें जंगल में गड्ढा खोदकर दबा दिया गया है। जल के नमूने भी ले लिए गए हैं। -राहुल यादव, एसडीएम गोवर्धन
गिरिराज परिक्रमा क्षेत्र स्थित कुसुम सरोवर में मछलियों के मरने के बाद अब एक कछुआ भी मरा पाया गया है। ऐतिहासिक सरोवर में इस स्थिति को नियंत्रित करने और इसके कारण समझने के लिए बुधवार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मत्स्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची। टीम ने जल के नमूने लिए। इसके बाद जल ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए आवश्यक तत्वों का छिड़काव भी किया ।
गिरिराज जी की छोटी परिक्रमा स्थित कुसुम सरोवर में मछलियों के मरने की सूचना के बाद प्रशासनिक स्तर पर खलबली मची हुई है। एसडीएम गोवर्धन के निर्देश पर बुधवार को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक अभियंता पर्यावरण डीके गुप्ता और मत्स्य विभाग के निदेशक डॉ. महेश चौहान अधीनस्थों के साथ कुसुम सरोवर पहुंचे।
यहां दोनों विभाग की टीम ने सरोवर के जल की प्रारंभिक जांच की। विस्तृत जांच के लिए जल और मछलियों के नमूने भी एकत्रित किए। इस दौरान जल में मृत मिले कछुआ को भी देखा है। डॉ. महेश चौहान ने बताया कि पानी में ऑक्सीजन की कमी पाई गई है। इसके लिए पानी में कैल्शियम कार्बोनेट और पोटैशियम परमैगनेट का छिड़काव किया गया है।