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UP: अपनों ने ठुकराया, गैरों ने अपनाया...रुला देगी इन बुजुर्गों की कहानी
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Tue, 02 Dec 2025 10:12 AM IST
सार
जीवन के आखिरी पड़ाव पर जब बुजुर्गों को अपनों के सहारे की सबसे अधिक जरुरत होती है। तब कुछ वृद्धजन अपनों से ही तिरस्कृत होकर दर-दर भटकने को मजबूर हो जाते हैं।
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रामलाल वृद्धाआश्रम में विभिन्न जगहों से आए बुजुर्ग
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
ऐसे ही असहाय, पीड़ित और निराश बुजुर्ग माता-पिता के लिए कैलाश स्थित रामलाल वृद्धाश्रम में पिछले 8 दिनों में आए दस नए बुजुर्गों को जीने का सम्मान मिला है। सर्दी में ठिठुरते यह बुजुर्ग अपनेपन की गर्माहट की तलाश में जब वृद्धाश्रम पहुंचे तो वहां अपनापन मिला, जो उन्हें अपने खून के रिश्तों में नहीं मिला। अलग-अलग शहरों से आश्रम में शरण लेने वाले इन दसों बुजुर्गों की कहानी दिल को झकझोर देती है।
भरतपुर राजस्थान की 55 वर्षीय नमन देवी, शिकोहाबाद के 71 वर्षीय किशोरीलाल कश्यप, गोंडा बस्ती के 55 वर्षीय सुरेश श्रीवास्तव हों या कन्नौज के कुलदीप पांडेय, बोदला निवासी दिनेश चंद्र शर्मा, करहल, मैनपुरी के प्रदीप कुमार, सादाबाद हाथरस की 81 वर्षीय प्रेमलता, खंदारी, के सुनील कुमार और खेरागढ़, आगरा के बदन गोस्वामी अपनी पत्नी भूरी देवी सबकी परेशानी अलग-अलग थी। लेकिन दर्द एक ही था। कि अपनों ने ठुकराया और गैरों ने अपनाया। सभी किसी न किसी रूप में उपेक्षा, प्रताड़ना और अकेलेपन के शिकार हुए।
आश्रम के अध्यक्ष शिव प्रसाद शर्मा ने बताया कि आश्रम में 380 माता-पिता सम्मान के साथ अपना जीवन जी रहे। हमारी कोशिश रहती है कि उन्हें परिवार जैसा माहौल मिले। जिससे वो अपना जीवन शांति से बिता सकें।
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आश्रम के अध्यक्ष शिव प्रसाद शर्मा ने बताया कि आश्रम में 380 माता-पिता सम्मान के साथ अपना जीवन जी रहे। हमारी कोशिश रहती है कि उन्हें परिवार जैसा माहौल मिले। जिससे वो अपना जीवन शांति से बिता सकें।