लखीमपुर में एक बार फिर बड़े आंदोलन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। किसान संगठनों का कहना है कि अब तो एसआईटी ने भी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे की एफआईआर में नई धाराएं जोड़ दी हैं। अब अगर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र इस्तीफा नहीं देते हैं या उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त नहीं किया जाता है, तो लखीमपुर एक बार फिर बहुत बड़े आंदोलन का गवाह बनने वाला है। लखीमपुर में हुए किसान विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के परिजनों और स्थानीय किसान नेताओं ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की बर्खास्तगी की मांग फिर मजबूती से उठानी शुरू कर दी है।
अजय मिश्र ने कही थी ये बड़ी बात
उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों से चंद महीनों पहले लखीमपुर खीरी और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा एक बार फिर से चर्चा में हैं। गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र के ऊपर लगे आरोपों की जांच कर रही एसआईटी ने जब इस पूरे मामले में धाराओं के बदलने की बात की तो एक बार फिर से मामले ने तूल पकड़ लिया है। संसद से लेकर सड़क तक एक बार फिर से अजय मिश्र टेनी को हटाने की मांग शुरू हो गई है। खीरी में किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के जिला अध्यक्ष दिलबाग सिंह संधू कहते हैं कि अब तो केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को इस्तीफा दे ही देना चाहिए। संधू का तर्क है कि अजय मिश्र टेनी ने कहा था कि अगर उनके बेटे का नाम किसी तरीके से साबित हो जाता है या साजिश में आता है तो वो खुद इस्तीफा दे देंगे।
किसान संगठन का कहना है कि एसआईटी ने जब धाराएं बदल दीं और यह मान लिया कि साजिश है तो अजय मिश्र टेनी को अपने पद पर बने रहने का कोई हक नहीं बनता। जिला अध्यक्ष दिलबाग सिंह संधू कहते हैं कि एक हफ्ते के भीतर अगर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी इस्तीफा नहीं देते हैं या उन्हें पद से बर्खास्त नहीं किया जाता है, तो लखीमपुर में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। इसके लिए राकेश टिकैत और संगठन के अन्य नेताओं से बातचीत की जा रही है।
'भुलाया नहीं जा सकता लखीमपुर कांड'
लखीमपुर के ही किसान हरपाल सिंह और मुख्तार सिंह कहते हैं कि लखीमपुर की घटना को भुलाया नहीं जा सकता क्योंकि उस घटना के माध्यम से एक बहुत बड़े आंदोलन को न सिर्फ खत्म करने की साजिश थी, बल्कि किसानों का पूरा परिवार तक उजाड़ दिया गया। वह कहते हैं इस मामले में अब जिस तरीके से एसआईटी ने धाराएं बदली हैं वह बड़े रसूखदार नेता के बेटे पर साजिश की ओर न सिर्फ इशारा कर रही हैं बल्कि अब पूरा मामला साफ हो गया है। ऐसे में बेहतर है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। इस पूरे मामले में किसान यूनियन से जुड़े नेता लखीमपुर खीरी में बड़े आंदोलन की बात भी कर रहे हैं।
लखीमपुर खीरी के भारतीय किसान यूनियन के उपाध्यक्ष कुलवंत सिंह कहते हैं कि वह अपने किसानों की मौत को यूं ही बेकार नहीं जाने देंगे। उनका कहना है कि अब जब कृषि कानूनों को लेकर एक साल तक चला आंदोलन समाप्त हो चुका है, तो उनके किसानों की मौत की भरपाई कौन करेगा। जिला अध्यक्ष दिलबाग सिंह कहते हैं कि यह मामला ऐसे शांत नहीं होने वाला। जिम्मेदार को पद से हटना होगा और दोषी को सजा होनी चाहिए।
मांग माने बगैर क्यों खत्म किया गया आंदोलन
वहीं इस पूरे मामले में दबी जुबान से लखीमपुर के लोग इस बात की भी चर्चा कर रहे हैं कि जब दिल्ली में किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत यह खुलकर कह रहे थे कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का इस्तीफा जब तक नहीं होगा तब तक आंदोलन वापस नहीं होगा, फिर आंदोलन कैसे समाप्त हो गया। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के तराई इलाके के भारतीय किसान यूनियन के पूर्व उपाध्यक्ष अमनदीप ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने के पीछे वह खुल कर तो कुछ नहीं कह रहे हैं लेकिन उनका इशारा स्पष्ट था कि किसान यूनियन के बड़े नेता किसानों की बात कम नेतागिरी ज्यादा कर रहे हैं। वे कहते हैं कि यह बात राकेश टिकैत ने बिल्कुल कही थी कि अजय मिश्र टेनी के इस्तीफे तक आंदोलन वापस नहीं होगा। ऐसे में सवाल तो उठते ही हैं कि बगैर इस्तीफा के कैसे आंदोलन समाप्त हो गया।
हालांकि उनका कहना है कि उन्हें इस बात की पूरी जानकारी नहीं है कि दिल्ली की बैठक में क्या तय हुआ और क्या नहीं हुआ। लेकिन वह कहते हैं कि लखीमपुर में किसानों की मौत के जिम्मेदारों को जब तक जेल नहीं होती, तब तक उनके किसान और स्थानीय लोग आंदोलन करते रहेंगे। किसान अमनदीप ने मांग की कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को तत्काल मंत्रिपरिषद से बर्खास्त किया जाए। बुधवार को अजय मिश्र टेनी के वायरल वीडियो को लेकर पूरे जनपद में नाराजगी है।
विस्तार
लखीमपुर में एक बार फिर बड़े आंदोलन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। किसान संगठनों का कहना है कि अब तो एसआईटी ने भी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे की एफआईआर में नई धाराएं जोड़ दी हैं। अब अगर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र इस्तीफा नहीं देते हैं या उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त नहीं किया जाता है, तो लखीमपुर एक बार फिर बहुत बड़े आंदोलन का गवाह बनने वाला है। लखीमपुर में हुए किसान विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के परिजनों और स्थानीय किसान नेताओं ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की बर्खास्तगी की मांग फिर मजबूती से उठानी शुरू कर दी है।
अजय मिश्र ने कही थी ये बड़ी बात
उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों से चंद महीनों पहले लखीमपुर खीरी और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा एक बार फिर से चर्चा में हैं। गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र के ऊपर लगे आरोपों की जांच कर रही एसआईटी ने जब इस पूरे मामले में धाराओं के बदलने की बात की तो एक बार फिर से मामले ने तूल पकड़ लिया है। संसद से लेकर सड़क तक एक बार फिर से अजय मिश्र टेनी को हटाने की मांग शुरू हो गई है। खीरी में किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के जिला अध्यक्ष दिलबाग सिंह संधू कहते हैं कि अब तो केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को इस्तीफा दे ही देना चाहिए। संधू का तर्क है कि अजय मिश्र टेनी ने कहा था कि अगर उनके बेटे का नाम किसी तरीके से साबित हो जाता है या साजिश में आता है तो वो खुद इस्तीफा दे देंगे।
किसान संगठन का कहना है कि एसआईटी ने जब धाराएं बदल दीं और यह मान लिया कि साजिश है तो अजय मिश्र टेनी को अपने पद पर बने रहने का कोई हक नहीं बनता। जिला अध्यक्ष दिलबाग सिंह संधू कहते हैं कि एक हफ्ते के भीतर अगर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी इस्तीफा नहीं देते हैं या उन्हें पद से बर्खास्त नहीं किया जाता है, तो लखीमपुर में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। इसके लिए राकेश टिकैत और संगठन के अन्य नेताओं से बातचीत की जा रही है।
'भुलाया नहीं जा सकता लखीमपुर कांड'
लखीमपुर के ही किसान हरपाल सिंह और मुख्तार सिंह कहते हैं कि लखीमपुर की घटना को भुलाया नहीं जा सकता क्योंकि उस घटना के माध्यम से एक बहुत बड़े आंदोलन को न सिर्फ खत्म करने की साजिश थी, बल्कि किसानों का पूरा परिवार तक उजाड़ दिया गया। वह कहते हैं इस मामले में अब जिस तरीके से एसआईटी ने धाराएं बदली हैं वह बड़े रसूखदार नेता के बेटे पर साजिश की ओर न सिर्फ इशारा कर रही हैं बल्कि अब पूरा मामला साफ हो गया है। ऐसे में बेहतर है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। इस पूरे मामले में किसान यूनियन से जुड़े नेता लखीमपुर खीरी में बड़े आंदोलन की बात भी कर रहे हैं।
लखीमपुर खीरी के भारतीय किसान यूनियन के उपाध्यक्ष कुलवंत सिंह कहते हैं कि वह अपने किसानों की मौत को यूं ही बेकार नहीं जाने देंगे। उनका कहना है कि अब जब कृषि कानूनों को लेकर एक साल तक चला आंदोलन समाप्त हो चुका है, तो उनके किसानों की मौत की भरपाई कौन करेगा। जिला अध्यक्ष दिलबाग सिंह कहते हैं कि यह मामला ऐसे शांत नहीं होने वाला। जिम्मेदार को पद से हटना होगा और दोषी को सजा होनी चाहिए।
मांग माने बगैर क्यों खत्म किया गया आंदोलन
वहीं इस पूरे मामले में दबी जुबान से लखीमपुर के लोग इस बात की भी चर्चा कर रहे हैं कि जब दिल्ली में किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत यह खुलकर कह रहे थे कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का इस्तीफा जब तक नहीं होगा तब तक आंदोलन वापस नहीं होगा, फिर आंदोलन कैसे समाप्त हो गया। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के तराई इलाके के भारतीय किसान यूनियन के पूर्व उपाध्यक्ष अमनदीप ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने के पीछे वह खुल कर तो कुछ नहीं कह रहे हैं लेकिन उनका इशारा स्पष्ट था कि किसान यूनियन के बड़े नेता किसानों की बात कम नेतागिरी ज्यादा कर रहे हैं। वे कहते हैं कि यह बात राकेश टिकैत ने बिल्कुल कही थी कि अजय मिश्र टेनी के इस्तीफे तक आंदोलन वापस नहीं होगा। ऐसे में सवाल तो उठते ही हैं कि बगैर इस्तीफा के कैसे आंदोलन समाप्त हो गया।
हालांकि उनका कहना है कि उन्हें इस बात की पूरी जानकारी नहीं है कि दिल्ली की बैठक में क्या तय हुआ और क्या नहीं हुआ। लेकिन वह कहते हैं कि लखीमपुर में किसानों की मौत के जिम्मेदारों को जब तक जेल नहीं होती, तब तक उनके किसान और स्थानीय लोग आंदोलन करते रहेंगे। किसान अमनदीप ने मांग की कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को तत्काल मंत्रिपरिषद से बर्खास्त किया जाए। बुधवार को अजय मिश्र टेनी के वायरल वीडियो को लेकर पूरे जनपद में नाराजगी है।