म्यांमार से भागकर भारत के विभिन्न जगहों में बसे रोहिंग्या के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। इसी कार्रवाई में उजागर हो रहा है कि अलीगढ़ से बुधवार रात दबोचे गए दो रोहिंग्या सोना तस्करी के साथ-साथ महिलाओं की तस्करी के धंधे से भी जुड़े थे। इसी क्रम में मेरठ-बुलंदशहर से शुक्रवार को चार और रोहिंग्या दबोचे गए हैं।
वह चारों नकली पासपोर्ट सहित अन्य दस्तावेज बनवाने, सोना व महिलाओं की तस्करी का काम करते थे। अलीगढ़ में बसे रोहिंग्या भी उनके संपर्क में थे और उन्हीं की मदद से नकली दस्तावेज बनते थे। बाकी सोना व महिलाओं की तस्करी से जुड़े राज रिमांड पर आने और आमना-सामना होने पर साफ होंगे।
नकली पासपोर्ट संग पकड़े साढ़ू हसन से मिला सुराग
बुधवार रात यहां से गिरफ्तार किए गए रोहिंग्या रफीक व आमीन वर्ष 2012 में परिवारों के साथ अवैध तरीके से बिना किसी दस्तावेज से भारत आए थे। तभी से यहां मीट फैक्टरी में ठेकेदारी कर रहे थे। मगर आज तक इनके विषय में किसी किसी को कोई सटीक सूचना नहीं मिल पाई। इसी बीच एक मार्च को नोएडा से अलीगढ़ में ही रहने वाले रफीक के साढ़ू हसन को गिरफ्तार किया गया। हसन का भाई फर्जी भारतीय पासपोर्ट के साथ दबोचा गया था। खुद हसन अपना पासपोर्ट बनवाने की फिराक में था। हसन से ही रफीक व आमीन के विषय में सोना तस्करी के सुराग मिले थे। इनकी लगातार तस्दीक चल रही है। इसी आधार पर इन दोनों को दबोचा गया।
मेरठ में दबोचे गए रोहिंग्या से इनके कनेक्शन
हालांकि एजेंसियों ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है, मगर जानकारी मिल रही है कि मेरठ व बुलंदशहर में दबोचे गए चार रोहिंग्या में से एक का रफीक व आमीन से संपर्क था। यह संपर्क हसन के जरिये ही हुआ था। मेरठ वाला रैकेट सोना तस्करी के साथ महिलाओं की तस्करी भी करता है। उस रैकेट ने अब तक भारत में रह रहीं रोहिंग्या परिवार की तीन महिलाओं को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मलेशिया भेजना स्वीकारा है। मेरठ वाले रैकेट के जरिये ही अलीगढ़ के रोहिंग्या भी फर्जी पासपोर्ट, यूएनएचआरसी कार्ड, वर्क परमिट, आधार कार्ड आदि बनवाते रहे हैं। ऐसे में संकेत हैं कि रफीक व आमीन भी सोने के साथ-साथ महिला तस्करी के धंधे से जुड़े थे।
रिमांड दाखिल, अलीगढ़ टीम का लखनऊ में डेरा
इन तथ्यों के खुलासे के लिए रफीक व आमीन का रिमांड मांगा गया है। शुक्रवार को लखनऊ में रिमांड आवेदन कर दिया गया है। उन्हें रिमांड पर लेकर इन सभी पहलुओं पर पूछताछ होगी। इसके लिए अलीगढ़ एटीएस टीम वहां डेरा डाले है। इधर, मेरठ बुलंदशहर से दबोचे गए चारों भी लखनऊ पहुंचेंगे। उन्हें रिमांड पर लेकर इनका आमना-सामना कराया जाएगा। इसके बाद तस्वीर साफ हो जाएगी। साथ में उनसे अलीगढ़ में अवैध रूप से रह रहे अन्य लोगों की जानकारी जुटाई जाएगी।
100 लोगों संग फरार सरगना बिलाल की तलाश तेज
इधर, एटीएस ने अलीगढ़ से 100 रोहिंग्या संग फरार हुआ इनके सरगना बिलाल की तलाश तेज कर दी है। इस तरह उसका अचानक गायब होना इशारा कर रहा है कि वह भी इस धंधे से जुड़ा हुआ था। इसलिए बचने के लिए वह गुप्त स्थान पर छिप गया है।
रोहिंग्या सर्वे शुरू, अब तक 98 चिह्नित
पुराने शहर के मकदूम नगर में रोहिंग्या का सर्वे शुरू करा दिया गया है। इनपुट मिला है कि शरणार्थी कार्ड धारक रोहिंग्याओं के अलावा गुपचुप तौर बिना कार्ड धारक भी रह रहे हैं। पिछली बार हुए प्रशासनिक सर्वे में 246 रोहिंग्या अलीगढ़ जिले में पंजीकृत थे। इनमें से छह काफी समय पहले चले गए। 240 से अधिक अभी भी रह रहे हैं। इनकी आड़ में कुछ गैर कानूनी कामों को अंजाम देने वाले रोहिंग्या भी यहां आकर रहने लगे हैं। सर्वे होने के बाद इनका ताजा डाटा गृह मंत्रालय के पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। यह सब डाटा बायो मीट्रिक से भी जोड़ा जाएगा, जिससे की अंगूठा लगाते ही संबंधित रोहिंग्या का पूरा डाटा सामने आ जाएगा। इधर, अब तक के सर्वे में साफ हुआ है कि 98 रोहिंग्या वर्क परमिट पर यहां रह रहे हैं। बाकी की जानकारी सर्वे में साफ होगी।
जनसंख्या व अर्थव्यवस्था पर पहुंचा रहे चोट
बुधवार रात व शुक्रवार को दिन में हुई गिरफ्तारी को लेकर एडीजी कानून व्यवस्था की ओर से जारी प्रेसनोट में साफ उल्लेख किया है कि नकली दस्तावेजों के सहारे भारत में बसकर और अवैध धंधों की मदद से धन कमाकर यह रोहिंग्या भारत की अर्थव्यवस्था व जनसंख्या दोनों को चोट पहुंचा रहे हैं। इसी अपराध को रोकने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
शहर में रोहिंग्या व अन्य विदेशियों के सत्यापन के लिए सर्वे शुरू कराया जा रहा है। जो भी अब अवैध रूप से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पाया जाएगा। उस पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा जाएगा- कलानिधि नैथानी, एसएसपी
अब किसी रोहिंग्या को नहीं मिल रहा मीट फैक्टरी में काम
देश में रोहिंग्या के खिलाफ चल रही कार्रवाई के बाद से अब अलीगढ़ की मीट इंडस्ट्री में इन्हें काम मिलना बंद हो गया है। लॉकडाउन की आड़ में मकदूम नगर में रहने वाले किसी रोहिंग्या को अब मीट फैक्टरी में नौकरी नहीं है। इधर, इस कार्रवाई के बाद वहां रह रहे लोगों में और ज्यादा दहशत है। वहीं, रफीक व अमीन के परिवार के सामने तो रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है।
अब मकदूम नगर में रोहिंग्या के सरदार के रूप में जिम्मा संभाल रहे जुबैर ने बताया कि किसी भी रोहिंग्या को मीट फैक्टरी में काम नहीं मिल रहा है। सभी बाहर मजदूरी या अन्य तरह के धंधों में जुड़ते जा रहे हैं। इधर, रफीक व अमीन के जेल भेजने की सूचना लखनऊ से उसे व उसके परिवार को दे दी गई है। रफीक की बीवी रूबिया व अमीन की बीवी हसीना के सामने रोजी रोटी का संकट हो गया है। दोनों के चार-चार बच्चे हैं। फिलहाल तो हम लोग मिलकर खाने पीने का इंतजाम कर रहे हैं। मगर यह कब तक कैसे होगा कुछ पता नहीं है। इधर, रफीक की बीवी रूबिया की मानें तो एटीएस गिरफ्तारी के दौरान रफीक के पास से सात सोने के बिस्किट लेकर गई थी, जबकि गिरफ्तारी में छह बिस्किट दिखाए गए हैं।
विस्तार
म्यांमार से भागकर भारत के विभिन्न जगहों में बसे रोहिंग्या के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। इसी कार्रवाई में उजागर हो रहा है कि अलीगढ़ से बुधवार रात दबोचे गए दो रोहिंग्या सोना तस्करी के साथ-साथ महिलाओं की तस्करी के धंधे से भी जुड़े थे। इसी क्रम में मेरठ-बुलंदशहर से शुक्रवार को चार और रोहिंग्या दबोचे गए हैं।
वह चारों नकली पासपोर्ट सहित अन्य दस्तावेज बनवाने, सोना व महिलाओं की तस्करी का काम करते थे। अलीगढ़ में बसे रोहिंग्या भी उनके संपर्क में थे और उन्हीं की मदद से नकली दस्तावेज बनते थे। बाकी सोना व महिलाओं की तस्करी से जुड़े राज रिमांड पर आने और आमना-सामना होने पर साफ होंगे।
नकली पासपोर्ट संग पकड़े साढ़ू हसन से मिला सुराग
बुधवार रात यहां से गिरफ्तार किए गए रोहिंग्या रफीक व आमीन वर्ष 2012 में परिवारों के साथ अवैध तरीके से बिना किसी दस्तावेज से भारत आए थे। तभी से यहां मीट फैक्टरी में ठेकेदारी कर रहे थे। मगर आज तक इनके विषय में किसी किसी को कोई सटीक सूचना नहीं मिल पाई। इसी बीच एक मार्च को नोएडा से अलीगढ़ में ही रहने वाले रफीक के साढ़ू हसन को गिरफ्तार किया गया। हसन का भाई फर्जी भारतीय पासपोर्ट के साथ दबोचा गया था। खुद हसन अपना पासपोर्ट बनवाने की फिराक में था। हसन से ही रफीक व आमीन के विषय में सोना तस्करी के सुराग मिले थे। इनकी लगातार तस्दीक चल रही है। इसी आधार पर इन दोनों को दबोचा गया।
मेरठ में दबोचे गए रोहिंग्या से इनके कनेक्शन
हालांकि एजेंसियों ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है, मगर जानकारी मिल रही है कि मेरठ व बुलंदशहर में दबोचे गए चार रोहिंग्या में से एक का रफीक व आमीन से संपर्क था। यह संपर्क हसन के जरिये ही हुआ था। मेरठ वाला रैकेट सोना तस्करी के साथ महिलाओं की तस्करी भी करता है। उस रैकेट ने अब तक भारत में रह रहीं रोहिंग्या परिवार की तीन महिलाओं को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मलेशिया भेजना स्वीकारा है। मेरठ वाले रैकेट के जरिये ही अलीगढ़ के रोहिंग्या भी फर्जी पासपोर्ट, यूएनएचआरसी कार्ड, वर्क परमिट, आधार कार्ड आदि बनवाते रहे हैं। ऐसे में संकेत हैं कि रफीक व आमीन भी सोने के साथ-साथ महिला तस्करी के धंधे से जुड़े थे।