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पति की दीर्घायु की कामना के लिए सुहागिनों द्वारा निर्जला व्रत रखा जाने वाला करवा चौथ का त्योहार इस बार रविवार को पड़ रहा है। शाम को साढ़े आठ बजे चंद्रमा दिखाई देगा। करवा चौथ की पूजा के लिए शाम 5.45 बजे से 7.02 बजे तक शुभ मुहूर्त है, जबकि साढ़े आठ बजे से साढ़े नौ बजे तक चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय रहेगा। श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान के अध्यक्ष पं. हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद शृंगार कर लें। करवा की पूजा-आराधना कर उसके साथ शिव-पार्वती की पूजा का विधान है, क्योंकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही दृष्टि से महत्व है। व्रत के दिन निर्जला रहें यानि जलपान भी न करें। शाम के समय मां पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्रीगणेश को विराजमान कर उन्हें बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी अथवा लकड़ी के आसन पर शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें। मूर्ति के अभाव में सुपारी पर कलावा बांधकर भाव पूर्वक स्थापित करें। इसके बाद मां पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से शृंगार करें। भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना कर कोरे करवा में पानी भरकर पूजा करें। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित करें। सौभाग्यवती स्त्रियां व्रत की कथा का श्रवण करें। चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से जल एवं मिष्ठान खाकर व्रत खोलें। करवा चौथ पर्व की पूजन सामग्री - कुमकुम, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मेहंदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिंदूर, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौर बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए पैसे।
पति की दीर्घायु की कामना के लिए सुहागिनों द्वारा निर्जला व्रत रखा जाने वाला करवा चौथ का त्योहार इस बार रविवार को पड़ रहा है। शाम को साढ़े आठ बजे चंद्रमा दिखाई देगा। करवा चौथ की पूजा के लिए शाम 5.45 बजे से 7.02 बजे तक शुभ मुहूर्त है, जबकि साढ़े आठ बजे से साढ़े नौ बजे तक चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय रहेगा।
श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान के अध्यक्ष पं. हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद शृंगार कर लें। करवा की पूजा-आराधना कर उसके साथ शिव-पार्वती की पूजा का विधान है, क्योंकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही दृष्टि से महत्व है। व्रत के दिन निर्जला रहें यानि जलपान भी न करें।
शाम के समय मां पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्रीगणेश को विराजमान कर उन्हें बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी अथवा लकड़ी के आसन पर शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें। मूर्ति के अभाव में सुपारी पर कलावा बांधकर भाव पूर्वक स्थापित करें। इसके बाद मां पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से शृंगार करें। भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना कर कोरे करवा में पानी भरकर पूजा करें। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित करें। सौभाग्यवती स्त्रियां व्रत की कथा का श्रवण करें। चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से जल एवं मिष्ठान खाकर व्रत खोलें।
करवा चौथ पर्व की पूजन सामग्री
- कुमकुम, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मेहंदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिंदूर, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौर बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए पैसे।
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