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Aligarh: बिना मिले नोटिस तामील, निरस्त किया संपत्ति का दाखिल-खारिज, तत्कालीन तहसीलदार आदि पर रिपोर्ट दर्ज

अमर उजाला नेटवर्क, अलीगढ़ Published by: चमन शर्मा Updated Tue, 02 Dec 2025 11:02 AM IST
सार

हैरान करने वाली बात है कि चारों में से एक भाई हस्ताक्षर करना नहीं जानते। मगर उनके हस्ताक्षर नोटिस की तामील व तारीखों पर पाए गए। यह खुलासा होने पर अब तत्कालीन तहसीलदार, उनके कर्मचारी व भतीजों पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

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Tehsildar canceled the mutation of the property
पुलिस ने दर्ज की रिपोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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यह कहानी पंकज त्रिपाठी अभिनीत फिल्म कागज से कुछ कम नहीं। बरला में गांव ऊतरा के चार भाइयों को उनके भतीजों ने साजिश रचकर पुश्तैनी संपत्ति से बेदखल करा दिया। इसके लिए तहसीलदार की ओर से चारों भाइयों को बिना नोटिस मिले ही दाखिल खारिज वाद भतीजों के पक्ष में निस्तारित कर दिया गया। हैरान करने वाली बात है कि चारों में से एक भाई हस्ताक्षर करना नहीं जानते। मगर उनके हस्ताक्षर नोटिस की तामील व तारीखों पर पाए गए। यह खुलासा होने पर अब तत्कालीन तहसीलदार, उनके कर्मचारी व भतीजों पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

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रिपोर्ट कराते हुए गांव ऊतरा के सेवानिवृत्त अमीन लख्मी सिंह ने बताया कि वे पांच भाई बहाल सिंह, देवेंद्र सिंह, जगवीर सिंह, वीरेंद्र सिंह व खुद लख्मी सिंह हैं। उनके पिता ने 1987 में पंजीकृत वसीयतनामा समझौता के आधार पर पैत्रिक संपत्ति का बंटवारा कर दिया था। वर्ष 1997 में पिता की मृत्यु के बाद उसी वसीयत के आधार पर राजस्व अभिलेखों में पांचों भाइयों के नाम भी अंकित हो गए। तब से पांचों के हिस्से में आई नौ-नौ बीघा जमीन पर सभी भाई काबिज हैं।
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आरोप है कि बड़े भाई बहाल सिंह की वर्ष 2018 में मृत्यु के बाद उनके बेटे गजेंद्र, नरेंद्र ने वर्ष 1998 के दाखिल खारिज आदेश को राजस्व नियमों के विपरीत 24 वर्ष बाद चुनौती दी। तहसील अतरौली में वाद दायर किया। जिस पर सुनवाई करते हुए तत्कालीन तहसीलदार उदयवीर सिंह ने चार भाइयों देवेंद्र, जगवीर सिंह, वीरेंद्र सिंह व लख्मी सिंह के पक्ष में वर्ष 1998 में हुआ दाखिल खारिज आदेश निरस्त कर दिया। इसी आदेश के तहत अक्तूबर 2022 में राजस्व अभिलेखों से पुश्तैनी संपत्ति से उनके नाम भी हटा दिए। उन्हें इस बात की जानकारी जुलाई 2023 में उस समय हुई, जब वे किसी काम से तहसील गए। इसके बाद से वे पुलिस से मिलते रहे। मगर अब पिछले दिनों एसएसपी से मुलाकात की।

इसी आधार पर अब अतरौली में फर्जीवाड़ा की धाराओं में तत्कालीन तहसीलदार उदयवीर सिंह, आदेश वाहक आलोक सिंह, भतीजे गजेंद्र व नरेंद्र सिंह पर रिपोर्ट दर्ज की गई है। सीओ राजीव द्विवेदी ने बताया कि जांच के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया है। अब आगे कार्रवाई विवेचना में तय होगी।

एसएसपी ने सीओ को दिए थे जांच के आदेश
एसएसपी ने विषय की गंभीरता को समझते हुए सीओ बरला को जांच के निर्देश दिए। सीओ बरला ने जांच में पाया कि तहसीलदार के यहां से इन चारों भाइयों को नोटिस जारी हुए। उन चारों को रिसीव भी हुए। तारीखों पर भी चारों के हस्ताक्षर मिले। हैरानी की बात है कि न तो चारों को कोई नोटिस सही में प्राप्त हुआ, जबकि एक भाई देवेंद्र हस्ताक्षर करना नहीं जानता, उसके हस्ताक्षर किस तरह हो गए। इस मामले में तहसीलदार के आदेश वाहक आलोक सिंह की भूमिका संदिग्ध पाई गई।

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