इकराम वारिस
लोकतंत्र को मजबूत बनाने में मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं। इसीलिए इन्हें लोकतंत्र का प्रहरी कहा जाता है। दरअसल, लोकतंत्र में मतदान और मतदाता एक-दूसरे के पूरक हैं। इनके बिना दोनों की कल्पना बेमानी है। राष्ट्रीय मतदाता दिवस (25 जनवरी) पर लोकतंत्र के इन प्रहरियों का जिक्र करना लाजिमी हो जाता है, जिन्होंने एक-दो बार नहीं, बल्कि 35 से 40 बार विभिन्न चुनावों में मतदान कर चुके हैं। वह दूसरों को भी मतदान के लिए जागरूक रहे हैं। इनका कहना है कि मतदान से ही सशक्त लोकतंत्र का निर्माण होता है। यदि हम मतदान नहीं कर सकते हैं तो फिर हमें सरकारों व जनप्रतिनिधियों पर सवाल उठाने का हक भी नहीं हैं।
सुबह नहा-धोकर पहुंच गया था वोट डालने
पहली बार 1977 में लोकसभा चुनाव में मतदान किया था। पहली बार मतदान करने को लेकर उत्साह था। सुबह नहा-धोकर, नाश्ता करके बूथ पर पहुंच गया था। लोग वहां पहले से ही लाइन में लगे थे, मैं भी उनके पीछे लग गया। लाइन में लगे लोग आपस में बातें तो कर रहे थे, लेकिन किसको मत देंगे। सब एक-दूसरे की टोह ले रहे थे। मैं उनकी बातें सुनता रहा और अपनी बारी का इंतजार करने लगा। मुझे बैलेट पेपर दिया गया। इसके बाद पसंदीदा उम्मीदवार के निशान के आगे मुहर लगा दी। आज भी पहली बार मतदान का दिन याद है। सबको मतदान अवश्य करना चाहिए। प्रदेश में कैसी सरकार चाहते हैं, किसे जनप्रतिनिधि चुनना है, यह जिम्मेदारी हमारी है। जब हम मतदान ही नहीं करेंगे, तो सरकार पर सवाल उठाने का अधिकार भी नहीं है। अब तक विभिन्न चुनावों में कुल 35 बार अपने मत का प्रयोग कर चुका हूं।
- बांके बिहारी लाल, जयगंज
मतदान कर भविष्य का फैसला करते हैं
अब तक 40 बार मतदान कर चुका हूं। पहली बार वर्ष 1971 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में मतदान किया था। मतदान की पूर्व संध्या पर प्रत्याशी समर्थक मेरे घर पर वोटर पर्ची देकर गए थे। इसमें मेरी भी पर्ची थी। पर्ची लेकर सुबह बूथ पर पहुंच गया, जहां बाकी लोग लाइन में लगे थे। वोट डालने के बाद वापस आया तो बस्ते पर मौजूद लोग पूछने लगे डाल आए वोट, मैंने उनसे कहा, हां वोट डाल आया। उसके बाद हर चुनाव में वोट डालने जाता हूं। चुनाव चाहे, नगर पालिका, नगर निगम, विधानसभा व लोकसभा चुनाव का हो, सभी चुनावों में मेरी भागीदारी रहती है। मतदान से न सिर्फ हम नेता और सरकार चुनते हैं, बल्कि अपने भविष्य का फैसला करते हैं। अगर हम मतदान नहीं करेंगे, तो इसका परिणाम यह हो सकता है कि कोई ऐसा चुनकर आ जाए, जो विकास पुरुष साबित न हो। इसलिए मताधिकार का प्रयोग अवश्य करें।
- विमल गौड़, सराय ग्वाली
-
इनकी भी सुनें -
महिलाएं मतदान करने में पीछे रह जाती हैं, उन्हें बढ़चढ़ कर मतदान करना चाहिए। हमारी समस्याओं का समाधान कौन कर सकता है, उसको हमें चुनना चाहिए। लोकतंत्र में हमें वोट देने का जो अधिकार मिला है, उसमें भाग लेना जरूरी है। लोकतंत्र के महाकुंभ में महिलाएं अपने घर के काम छोड़कर अपने मत का प्रयोग अवश्य करें।
- सुनीता शर्मा, आवास विकास सासनी गेट
लोकतंत्र में सभी को मतदान करने का समान अधिकार है, जिन युवाओं का नाम मतदाता सूची में है, उन्हें अपने मत का प्रयोग जरूर करना चाहिए। सभी को मतदान के माध्यम से अपनी ताकत दिखाने का अवसर मिलता है। युवाओं को जोश के साथ मतदान करने के लिये आगे आना चाहिए।
- फरहान मोहम्मद खान, काजी पाड़ा
इस बार की थीम ‘मजबूत लोकतंत्र के लिए चुनावी साक्षरता’
राष्ट्रीय मतदाता दिवस हर साल 25 जनवरी को मनाया जाता है। राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2022 की थीम ‘मजबूत लोकतंत्र के लिए चुनावी साक्षरता’ है। मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए हर साल मतदाता दिवस मनाया जाने लगा था। 25 जनवरी 1950 में भारत चुनाव आयोग स्थापित हुआ था। वर्ष 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस के जश्न का शुभारंभ किया था। भारत निर्वाचन आयोग पूरे देश में इस बार 12वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मना रहा है।
विमल गौड़। - फोटो : CITY OFFICE
सुनीता शर्मा- फोटो : CITY OFFICE
इकराम वारिस
लोकतंत्र को मजबूत बनाने में मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं। इसीलिए इन्हें लोकतंत्र का प्रहरी कहा जाता है। दरअसल, लोकतंत्र में मतदान और मतदाता एक-दूसरे के पूरक हैं। इनके बिना दोनों की कल्पना बेमानी है। राष्ट्रीय मतदाता दिवस (25 जनवरी) पर लोकतंत्र के इन प्रहरियों का जिक्र करना लाजिमी हो जाता है, जिन्होंने एक-दो बार नहीं, बल्कि 35 से 40 बार विभिन्न चुनावों में मतदान कर चुके हैं। वह दूसरों को भी मतदान के लिए जागरूक रहे हैं। इनका कहना है कि मतदान से ही सशक्त लोकतंत्र का निर्माण होता है। यदि हम मतदान नहीं कर सकते हैं तो फिर हमें सरकारों व जनप्रतिनिधियों पर सवाल उठाने का हक भी नहीं हैं।
सुबह नहा-धोकर पहुंच गया था वोट डालने
पहली बार 1977 में लोकसभा चुनाव में मतदान किया था। पहली बार मतदान करने को लेकर उत्साह था। सुबह नहा-धोकर, नाश्ता करके बूथ पर पहुंच गया था। लोग वहां पहले से ही लाइन में लगे थे, मैं भी उनके पीछे लग गया। लाइन में लगे लोग आपस में बातें तो कर रहे थे, लेकिन किसको मत देंगे। सब एक-दूसरे की टोह ले रहे थे। मैं उनकी बातें सुनता रहा और अपनी बारी का इंतजार करने लगा। मुझे बैलेट पेपर दिया गया। इसके बाद पसंदीदा उम्मीदवार के निशान के आगे मुहर लगा दी। आज भी पहली बार मतदान का दिन याद है। सबको मतदान अवश्य करना चाहिए। प्रदेश में कैसी सरकार चाहते हैं, किसे जनप्रतिनिधि चुनना है, यह जिम्मेदारी हमारी है। जब हम मतदान ही नहीं करेंगे, तो सरकार पर सवाल उठाने का अधिकार भी नहीं है। अब तक विभिन्न चुनावों में कुल 35 बार अपने मत का प्रयोग कर चुका हूं।
- बांके बिहारी लाल, जयगंज
मतदान कर भविष्य का फैसला करते हैं
अब तक 40 बार मतदान कर चुका हूं। पहली बार वर्ष 1971 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में मतदान किया था। मतदान की पूर्व संध्या पर प्रत्याशी समर्थक मेरे घर पर वोटर पर्ची देकर गए थे। इसमें मेरी भी पर्ची थी। पर्ची लेकर सुबह बूथ पर पहुंच गया, जहां बाकी लोग लाइन में लगे थे। वोट डालने के बाद वापस आया तो बस्ते पर मौजूद लोग पूछने लगे डाल आए वोट, मैंने उनसे कहा, हां वोट डाल आया। उसके बाद हर चुनाव में वोट डालने जाता हूं। चुनाव चाहे, नगर पालिका, नगर निगम, विधानसभा व लोकसभा चुनाव का हो, सभी चुनावों में मेरी भागीदारी रहती है। मतदान से न सिर्फ हम नेता और सरकार चुनते हैं, बल्कि अपने भविष्य का फैसला करते हैं। अगर हम मतदान नहीं करेंगे, तो इसका परिणाम यह हो सकता है कि कोई ऐसा चुनकर आ जाए, जो विकास पुरुष साबित न हो। इसलिए मताधिकार का प्रयोग अवश्य करें।
- विमल गौड़, सराय ग्वाली
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इनकी भी सुनें -
महिलाएं मतदान करने में पीछे रह जाती हैं, उन्हें बढ़चढ़ कर मतदान करना चाहिए। हमारी समस्याओं का समाधान कौन कर सकता है, उसको हमें चुनना चाहिए। लोकतंत्र में हमें वोट देने का जो अधिकार मिला है, उसमें भाग लेना जरूरी है। लोकतंत्र के महाकुंभ में महिलाएं अपने घर के काम छोड़कर अपने मत का प्रयोग अवश्य करें।
- सुनीता शर्मा, आवास विकास सासनी गेट
लोकतंत्र में सभी को मतदान करने का समान अधिकार है, जिन युवाओं का नाम मतदाता सूची में है, उन्हें अपने मत का प्रयोग जरूर करना चाहिए। सभी को मतदान के माध्यम से अपनी ताकत दिखाने का अवसर मिलता है। युवाओं को जोश के साथ मतदान करने के लिये आगे आना चाहिए।
- फरहान मोहम्मद खान, काजी पाड़ा
इस बार की थीम ‘मजबूत लोकतंत्र के लिए चुनावी साक्षरता’
राष्ट्रीय मतदाता दिवस हर साल 25 जनवरी को मनाया जाता है। राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2022 की थीम ‘मजबूत लोकतंत्र के लिए चुनावी साक्षरता’ है। मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए हर साल मतदाता दिवस मनाया जाने लगा था। 25 जनवरी 1950 में भारत चुनाव आयोग स्थापित हुआ था। वर्ष 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस के जश्न का शुभारंभ किया था। भारत निर्वाचन आयोग पूरे देश में इस बार 12वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मना रहा है।

विमल गौड़। - फोटो : CITY OFFICE

सुनीता शर्मा- फोटो : CITY OFFICE