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मधुमेह दिवस: हर चाैथा व्यक्ति मधुमेह व छठा बीपी का मरीज, महाकुंभ में 27 हजार श्रद्धालुओं पर किया गया था अध्ययन

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Fri, 14 Nov 2025 03:34 PM IST
सार

महाकुंभ-2025 में देश के कोने-कोने से पहुंचे 27 हजार लोगों की स्क्रीनिंग में 64 फीसदी लोग मधुमेह और ब्लड प्रेशर(बीपी) के शिकार मिले। हर चार में एक व्यक्ति मधुमेह और छह में से एक बीपी का मरीज पाया गया।

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Every fourth person is diabetic and every sixth is BP patient study was conducted on 27 thousand devotees
मधुमेह। - फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
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महाकुंभ-2025 में देश के कोने-कोने से पहुंचे 27 हजार लोगों की स्क्रीनिंग में 64 फीसदी लोग मधुमेह और ब्लड प्रेशर(बीपी) के शिकार मिले। हर चार में एक व्यक्ति मधुमेह और छह में से एक बीपी का मरीज पाया गया। रिसर्च सोसाइटी ऑफ स्टडी डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआई) की ओर से इस पर अध्ययन किया गया है।

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आंकड़ों के अनुसार देश में भी हर चाैथा व्यक्ति मधुमेह की चपेट में है। इससे चिंतित सोसाइटी की ओर से महाकुंभ में श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग की गई थी। आरएसएसडीआई ने अपना यह अध्ययन मेला क्षेत्र के नागवासुकि के पास नेत्र कुंभ शिविर में किया। इस दौरान देश के विभिन्न राज्यों से आए फिजियोलॉजिस्ट, मधुमेह रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ व पैरामेडिकल स्टॉफ सहित 20 सदस्यीय टीम ने श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग की।
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45 दिन चले अध्ययन में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली, आंध्र प्रदेश व मुंबई सहित देश के अन्य हिस्सों से पहुंचे श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग की गई। अध्ययन में 18 वर्ष से अधिक उम्र के श्रद्धालुओं को शामिल किया गया। इनमें दो तिहाई पुरुष व एक तिहाई महिलाएं शामिल रहीं।

खास बात यह रही कि 40 से 50 वर्ष के लोगों में मधुमेह और बीपी की समस्या अधिक पाई गई। वहीं, काउंसलिंग में अनियमित दिनचर्या, खानपान व दवाएं लेने में लापरवाही की बात सामने आई। इस अध्ययन में शहरी से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र के लोग डायबिटीज व बीपी के मरीज पाए गए हैं। इनमें 60 फीसदी शहरी व 74 फीसदी ग्रामीण शामिल हैं।
मधुमेह के 28.6 फीसदी लोग दवाएं लाना भूले

अध्ययन में पाया गया कि महाकुंभ में आए 28.6 फीसदी लोग अपने साथ मधुमेह की दवा लाना ही भूल गए हैं। इसके अलावा बीपी से ग्रसित 43.6 फीसदी लोगों ने महाकुंभ में आने के बाद दवा लेनी ही छोड़ दी। इसका कारण दवाएं ले जाने की व्यवस्थित योजना का अभाव, भंडारण की समस्याएं और आस्था से जुड़े उपवास को कारण पाया गया।

अध्ययन के जरिये मधुमेह और बीपी जैसी मौन महामारी के विस्तार का परखा गया। ऐसे में पाया गया कि महाकुंभ केवल एक आध्यात्मिक संगम नहीं है, यह भारत के चयापचय स्वास्थ्य का दर्पण है। मधुमेह और बीपी की समस्या को देखते हुए हर तीर्थयात्रा में हमें इसके रोकथाम के भी उपाय करने होंगे। - डॉ.अनुभा श्रीवास्तव, मधुमेह रोग विशेषज्ञ, एमएलएन मेडिकल कॉलेज

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