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UP : हाईकोर्ट की टिप्पणी- नाम बदलने के आवेदन पर वर्षों तक चुप बैठे रहने के लिए विभाग जिम्मेदार, कर्मचारी नहीं
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Fri, 14 Nov 2025 01:32 PM IST
सार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कर्मचारी ने 2018 में अपनी पत्नी का नाम सेवा रिकॉर्ड में सुख देवी से शांति देवी करने के लिए आवेदन दिया था। ऐसे में यह विभाग का दायित्व था कि वह तत्काल अपेक्षित कार्यवाही करता।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट।
- फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कर्मचारी ने 2018 में अपनी पत्नी का नाम सेवा रिकॉर्ड में सुख देवी से शांति देवी करने के लिए आवेदन दिया था। ऐसे में यह विभाग का दायित्व था कि वह तत्काल अपेक्षित कार्यवाही करता। वर्षों विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की। इसके लिए कर्मचारी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
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इस टिप्पणी संग कोर्ट ने याची के दस्तावेज का सत्यापन कर नियमानुसार एक माह में सेवानिवृत्ति लाभों पर फैसला लेने का आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान की एकल पीठ ने शांति देवी उर्फ सुख देवी की याचिका पर दिया है। याची के पति सीताराम कानपुर विद्युत वितरण कंपनी में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। सेवाकाल के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
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पत्नी ने सेवानिवृत्ति लाभों के लिए आवेदन किया। विभाग ने आवेदन खारिज कर कहा कि याची ने शांति देवी के नाम से अर्जी दी है, जबकि सर्विस बुक में सुख देवी है। याची ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। न्यायालय ने पक्षों को सुनने के बाद पाया कि कर्मचारी ने पत्नी का नाम बदलने के आवेदन किया था। ऐसा कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे यह साबित हो सके कि कर्मचारी को कभी आधार कार्ड व पैनकार्ड जमा करने के लिए नोटिस दिया गया था।
कोर्ट ने अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर चिंता व्यक्त कर कहा कि इस तरह की कार्यप्रणाली न्यायालयों के समक्ष मुकदमे बढ़ रहे हैं। कोर्ट ने केस्को के कार्यकारी अभियंता को निर्देश दिया है कि वे याचिकाकर्ता प्रस्तुत सभी दस्तावेज का सत्यापन करें। आदेश की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत होने की तिथि से एक माह के भीतर सेवानिवृत्ति लाभों के भुगतान के लिए उचित आदेश पारित करें।