अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की मौत घटना के 23 दिन बाद भी राज बनी हुई है। 18 दिनों से गहन जांच पड़ताल में लगी सीबीआई के अफसर भी इस मामले में अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुुंच सके हैं। माना जा रहा है कि यही वजह है कि अब तीनों आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराए जाने की तैयारी है। पॉलीग्राफ टेस्ट में ही अब इस बात का खुलासा होगा कि खुद को निर्दोष बताने वाले तीनों आरोपी सच बोल रहे हैं या वह वाकई इस साजिश का हिस्सा हैं।
20 सितंबर को महंत की मौत के पांच दिनों बाद 25 सितंबर से सीबीआई ने मामले को अपने हाथों में ले लिया था। इसके बाद से सीबीआई लगातार जांच पड़ताल में जुटी है। न सिर्फ बाघंबरी मठ और बड़े हनुमान मंदिर बल्कि आनंद गिरि के हरिद्वार स्थित आश्रम पहुंचकर भी पड़ताल की गई। महंत के शिष्यों व सेवादारों के साथ आरोपियों के करीबियों से भी पूछताछ की।
लेकिन महंत की मौत का राज नहीं खुल सका। जानकारों का कहना है कि सीबीआई की ओर से मामले में पॉलीग्राफ टेस्ट की अर्जी दिए जाने के बाद यह लगभग साफ है कि अब तक कि जांच में कोई खास क्लू सामने नहीं आ सका है, जिससे महंत की मौत का राज खुल सके। यही नहीं, यह बात भी लगभग तय है कि आरोपियों से पूछताछ में अब तक कोई खास जानकारी भी नहीं मिल सकी है। इस बात की भी चर्चा है कि सीबीआई को उस वीडियो/तस्वीर के बाबत भी कोई सुराग नहीं मिला है, जिसका जिक्र सुसाइड नोट में मिला है।
मसीही मिशनरी के नेता का कनेक्शन तो नहीं!
उधर महंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामले को लेकर मंगलवार को एक और चर्चा सोशल मीडिया पर होती रही। इसके मुताबिक, मसीही मिशनरी से जुड़े एक नेता की नजर मठ की जमीनों पर थी। यह महंत के साथ ही आनंद गिरि का भी करीबी है। यह खुद को मिशनरी के ही एक ट्रस्ट का सदस्य बताता है।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की मौत घटना के 23 दिन बाद भी राज बनी हुई है। 18 दिनों से गहन जांच पड़ताल में लगी सीबीआई के अफसर भी इस मामले में अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुुंच सके हैं। माना जा रहा है कि यही वजह है कि अब तीनों आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराए जाने की तैयारी है। पॉलीग्राफ टेस्ट में ही अब इस बात का खुलासा होगा कि खुद को निर्दोष बताने वाले तीनों आरोपी सच बोल रहे हैं या वह वाकई इस साजिश का हिस्सा हैं।
20 सितंबर को महंत की मौत के पांच दिनों बाद 25 सितंबर से सीबीआई ने मामले को अपने हाथों में ले लिया था। इसके बाद से सीबीआई लगातार जांच पड़ताल में जुटी है। न सिर्फ बाघंबरी मठ और बड़े हनुमान मंदिर बल्कि आनंद गिरि के हरिद्वार स्थित आश्रम पहुंचकर भी पड़ताल की गई। महंत के शिष्यों व सेवादारों के साथ आरोपियों के करीबियों से भी पूछताछ की।
लेकिन महंत की मौत का राज नहीं खुल सका। जानकारों का कहना है कि सीबीआई की ओर से मामले में पॉलीग्राफ टेस्ट की अर्जी दिए जाने के बाद यह लगभग साफ है कि अब तक कि जांच में कोई खास क्लू सामने नहीं आ सका है, जिससे महंत की मौत का राज खुल सके। यही नहीं, यह बात भी लगभग तय है कि आरोपियों से पूछताछ में अब तक कोई खास जानकारी भी नहीं मिल सकी है। इस बात की भी चर्चा है कि सीबीआई को उस वीडियो/तस्वीर के बाबत भी कोई सुराग नहीं मिला है, जिसका जिक्र सुसाइड नोट में मिला है।
मसीही मिशनरी के नेता का कनेक्शन तो नहीं!
उधर महंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामले को लेकर मंगलवार को एक और चर्चा सोशल मीडिया पर होती रही। इसके मुताबिक, मसीही मिशनरी से जुड़े एक नेता की नजर मठ की जमीनों पर थी। यह महंत के साथ ही आनंद गिरि का भी करीबी है। यह खुद को मिशनरी के ही एक ट्रस्ट का सदस्य बताता है।