जयंती पर विशेष: पंडित नेहरू ने बकाये पर कटवा दिया था पिता के नाम दर्ज नल का कनेक्शन, पढ़ें पूरी कहानी
इलाहाबाद नगरपालिका के अध्यक्ष रहते हुए पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जल कर जमा नहीं करने पर पिता मोतीलाल नेहरू के नाम पर दर्ज नल का कनेक्शन कटवा दिया था। घटना 1923 से 1925 के बीच की है।
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इलाहाबाद नगर पालिका के अध्यक्ष रहते हुए पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जल कर जमा नहीं करने पर पिता मोतीलाल नेहरू के नाम पर दर्ज नल का कनेक्शन कटवा दिया था। घटना 1923 से 1925 के बीच की है।जलकल विभाग के टैक्स सुपरिटेंडेंट डाॅ. अबुल फजल ने करीब 24 प्रतिष्ठित व्यक्तियों की सूची अध्यक्ष के सामने रखी, जिन्होंने नियत तिथि तक जल कर नहीं जमा किया था। डाॅ. फजल ने कहा कि आज अंतिम तिथि तक इन लोगों ने जल कर नगर पालिका के खजाने में जमा नहीं किया है। नियमानुसार सबका कनेक्शन काट देना चाहिए। आपका क्या आदेश है?
पंडित नेहरू ने उत्तर दिया, ‘यदि यह नियम है तो फिर प्रतिष्ठित और सामान्य नागरिकों के बीच फर्क करने का क्या सवाल? नियमों का अमल सबके लिए एक-सा होना चाहिए।’ उन्होंने सूची पर सरसरी निगाह डाली और उस पर स्वीकृति के लिए हस्ताक्षर कर दिया। टैक्स सुपरिटेंडेंट ने सूची के अनुसार सभी व्यक्तियों के नल के कनेक्शन काटने का आदेश कर्मचारियों को दे दिया।
सस्ता साहित्य मंडल प्रकाशन दिल्ली से 1964 में प्रकाशित पुस्तक ‘जवाहरलाल नेहरू : व्यक्तित्व और विचार’ में लिखा है कि कनेक्शन काटे जाने के आदेश के दूसरे दिन सारे शहर में हलचल-सी मच गई, क्योंकि जिन व्यक्तियों का नल का कनेक्शन कटने से पानी बंद हुआ उनमें इंस्पेक्टर जनरल ऑफिस, पुलिस, अन्य प्रतिष्ठित रईस और स्वयं अध्यक्ष पंडित नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू भी थे।
मोतीलाल बहुत नाराज हुए और कहा कि नगर पालिका को ऐसा करने से पहले नोटिस तो देना चाहिए और कोई आकर टैक्स ले जाता, लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नम्रता से उत्तर दिया, ‘नागरिकों का अपना कर्तव्य है कि वे नियत तिथि में टैक्स जमा कर दें। लाचार हूं, नियम सबके लिए समान है।’
टिमटिमाते चिराग की धुंधली रोशनी में पहली बार नाती को देखा
पुस्तक में नेहरू के करीबी रहे और आनंद भवन की देखरेख करने वाले मुंशी कन्हैया लाल ने 1944 की एक अविस्मरणीय घटना का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि नौ अगस्त 1942 को पंडित नेहरू को ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पेश करने के संबंध में चार साल की कैद मिली। वह अहमदनगर किले में नजरबंद कर दिए गए। बाद में उन्हें अल्मोड़ा जेल भेजने का आदेश हुआ। यह सूचना गुप्त रखी गई। अहमदनगर से अल्मोड़ा के रास्ते में एक रात नैनी जेल में विश्राम था। उनके आने की खबर लोगों को न लगे, इसलिए गाड़ी नैनी स्टेशन से कुछ दूर रोकी गई।
इस अवधि में इंदिरा गांधी के बड़े पुत्र राजीव का जन्म हो चुका था लेकिन पंडित नेहरू ने अपने नाती को देखा नहीं था। इंदिरा पुत्र राजीव सहित पिता से मिलने पहुंचीं, जहां गाड़ी रुकी थी। वहां न तो बिजली की रोशनी थी और न कोई को लैंप आदि ही था। पंडित नेहरू ने एक टिमटिमाते चिराग की धुंधली रोशनी में दूर से अपने प्रिय नाती को देखा और आशीर्वाद दिया।