फूलों, गुब्बारों से सजे बाघंबरी गद्दी मठ परिसर में मंगलवार को महंत नरेंद्र गिरि की षोडशी पूजा के दौरान वेद की ऋचाएं गूंजती रहीं। निरंजनी अखाड़े की परंपरा के अनुरूप षोडशी की रस्म निभाई गई। इस दौरान समाधि स्थल पर पुष्पवर्षा होती रही।
मठ के पीछे बगीचे में षोडशी पर महंत नरेंद्र गिरि के गुरु महंत भगवान गिरि की समाधि पर भी पूजा की गई। इसके बाद फूलों की लतरों और वंदनवारों से सजे महंत के समाधि स्थल पर अखाड़ों के महंत और महामंडलेश्वर पहुंचे। सबसे पहले शांति हवन किया गया। इस दौरान श्रीमद्भागवत गीता के प्रथम अध्याय से लेकर 18वें अध्याय तक का पाठ किया गया।
शांति पाठ कराने वालों में वेदाचार्य देवी प्रसाद, रीतेश त्रिपाठी, श्रीकृष्ण त्रिपाठी, सागर पांडेय और ज्ञानेश त्रिपाठी शामिल थे। इसके बाद समाधि पूजा की गई। उत्तराधिकारी बलवीर गिरि ने निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद, सचिव रवींद्र पुरी, अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि, महामंडलेश्वर यतींद्रानंद सरस्वती की मौजूदगी में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ समाधि पूजा की। इस दौरान विचारानंद वेद विद्यालय के बटुक और आचार्य वेद की ऋचाओं का सस्वर गान कर रहे थे। समाधि पर पुष्पवर्षा के बाद दीप दान कर मोक्ष की कामना की गई।
सोना-चांदी समेत महंत की मन पसंद वस्तुओं का अखाड़े ने किया दान
षोडशी पर महंत नरेंद्र गिरि की मन पसंद वस्तुओं का दान गुद्दड़ अखाड़े के संन्यासियों ने ग्रहण किया। निरंजनी अखाड़े की परंपरा के अनुसार षोडशी की रस्म के समय गुद्दड़ अखाड़े के संतों को 16 प्रकार की वस्तुएं दान दी गईं।
इसमें सोने की अंगूठी, सोने का सिक्का, बर्तन, भगवा वस्त्र, रुद्राक्ष की माला, खड़ाऊं, आसनी के अलावा अन्य सामान अमेरिकन टूरिस्टर की अटैची में भरकर दिए गए। दान, दक्षिणा नए महंत बलबीर गिरि की ओर से संतों को दी गई।
फूलों, गुब्बारों से सजे बाघंबरी गद्दी मठ परिसर में मंगलवार को महंत नरेंद्र गिरि की षोडशी पूजा के दौरान वेद की ऋचाएं गूंजती रहीं। निरंजनी अखाड़े की परंपरा के अनुरूप षोडशी की रस्म निभाई गई। इस दौरान समाधि स्थल पर पुष्पवर्षा होती रही।
मठ के पीछे बगीचे में षोडशी पर महंत नरेंद्र गिरि के गुरु महंत भगवान गिरि की समाधि पर भी पूजा की गई। इसके बाद फूलों की लतरों और वंदनवारों से सजे महंत के समाधि स्थल पर अखाड़ों के महंत और महामंडलेश्वर पहुंचे। सबसे पहले शांति हवन किया गया। इस दौरान श्रीमद्भागवत गीता के प्रथम अध्याय से लेकर 18वें अध्याय तक का पाठ किया गया।
शांति पाठ कराने वालों में वेदाचार्य देवी प्रसाद, रीतेश त्रिपाठी, श्रीकृष्ण त्रिपाठी, सागर पांडेय और ज्ञानेश त्रिपाठी शामिल थे। इसके बाद समाधि पूजा की गई। उत्तराधिकारी बलवीर गिरि ने निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद, सचिव रवींद्र पुरी, अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि, महामंडलेश्वर यतींद्रानंद सरस्वती की मौजूदगी में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ समाधि पूजा की। इस दौरान विचारानंद वेद विद्यालय के बटुक और आचार्य वेद की ऋचाओं का सस्वर गान कर रहे थे। समाधि पर पुष्पवर्षा के बाद दीप दान कर मोक्ष की कामना की गई।
सोना-चांदी समेत महंत की मन पसंद वस्तुओं का अखाड़े ने किया दान
षोडशी पर महंत नरेंद्र गिरि की मन पसंद वस्तुओं का दान गुद्दड़ अखाड़े के संन्यासियों ने ग्रहण किया। निरंजनी अखाड़े की परंपरा के अनुसार षोडशी की रस्म के समय गुद्दड़ अखाड़े के संतों को 16 प्रकार की वस्तुएं दान दी गईं।
इसमें सोने की अंगूठी, सोने का सिक्का, बर्तन, भगवा वस्त्र, रुद्राक्ष की माला, खड़ाऊं, आसनी के अलावा अन्य सामान अमेरिकन टूरिस्टर की अटैची में भरकर दिए गए। दान, दक्षिणा नए महंत बलबीर गिरि की ओर से संतों को दी गई।