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Ambedkar Nagar News: हुनर से चमेला देवी बनीं आत्मनिर्भरता की मिसाल
संवाद न्यूज एजेंसी, अम्बेडकरनगर
Updated Thu, 13 Nov 2025 11:46 PM IST
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अंबेडकरनगर। कभी आर्थिक तंगी से जूझने वाली अकबरपुर की चमेला देवी ने अपने हुनर, हौसले और आत्मविश्वास से साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों तो सीमित संसाधन भी सफलता की राह बन जाते हैं। आज वह न केवल खुद आत्मनिर्भर हैं, बल्कि अपने काम से गांव की कई महिलाओं के जीवन में भी उजाला भर रही हैं।
अकबरपुर विकासखंड के लारपुर बक्शपुर गांव की निवासी चमेला देवी की कहानी संघर्ष से प्रेरणा तक का सफर है। वर्ष 2015 में उन्होंने सिलाई के अपने कौशल को रोजगार का माध्यम बनाने की ठानी। उन्होंने अपने घर के एक छोटे से हिस्से में सिलाई मशीन रखकर बैग निर्माण का काम शुरू किया। उन्होंने परिश्रम और गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित किया। आज उनके बनाए गए स्कूल बैग, हैंड बैग, ऑफिस बैग, साइकिल सीट कवर, पर्स और ट्रैवल बैग की मांग स्थानीय बाजारों में तेजी से बढ़ी है। बड़ी बात यह कि उन्होंने अपने साथ 12 ग्रामीण महिलाओं को जोड़ा है, जो उनके मार्गदर्शन में सिलाई का काम कर 7 से 8 हजार रुपये प्रतिमाह की आमदनी कर रही हैं। चमेला देवी कहती हैं कि शुरुआत में कई बार लगा कि यह काम नहीं चल पाएगा। न कच्चा माल था, न बाजार का अनुभव। लेकिन मैंने तय कर लिया था कि पीछे नहीं हटूंगी। आज मैं खुश हूं कि अपने साथ गांव की अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना सकी हूं।
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अकबरपुर विकासखंड के लारपुर बक्शपुर गांव की निवासी चमेला देवी की कहानी संघर्ष से प्रेरणा तक का सफर है। वर्ष 2015 में उन्होंने सिलाई के अपने कौशल को रोजगार का माध्यम बनाने की ठानी। उन्होंने अपने घर के एक छोटे से हिस्से में सिलाई मशीन रखकर बैग निर्माण का काम शुरू किया। उन्होंने परिश्रम और गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित किया। आज उनके बनाए गए स्कूल बैग, हैंड बैग, ऑफिस बैग, साइकिल सीट कवर, पर्स और ट्रैवल बैग की मांग स्थानीय बाजारों में तेजी से बढ़ी है। बड़ी बात यह कि उन्होंने अपने साथ 12 ग्रामीण महिलाओं को जोड़ा है, जो उनके मार्गदर्शन में सिलाई का काम कर 7 से 8 हजार रुपये प्रतिमाह की आमदनी कर रही हैं। चमेला देवी कहती हैं कि शुरुआत में कई बार लगा कि यह काम नहीं चल पाएगा। न कच्चा माल था, न बाजार का अनुभव। लेकिन मैंने तय कर लिया था कि पीछे नहीं हटूंगी। आज मैं खुश हूं कि अपने साथ गांव की अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना सकी हूं।
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