गजराैला डकैती केस: 17 साल... 219 पेज की चार्जशीट, 281 तारीख और 22 पेज में फैसला, दो को ऐसे मिली उम्रकैद
गजरौला में 2008 की डकैती और प्रोडक्शन मैनेजर रामवीर सिंह की हत्या के मामले में पुलिस ने 219 पेज की चार्जशीट दाखिल की और 17 साल की सुनवाई में 281 तारीखें लगीं। पीड़ित परिवार के आठ सदस्यों ने गवाही दी, जिसमें बेटे नरेंद्र सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पुख्ता सबूतों के आधार पर कोर्ट ने नजाकत और शहजाद को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।
विस्तार
अमरोहा के गजराैला में फिल्मी अंदाज में हुई डकैती और हत्या की घटना में पुलिस ने मजबूत साक्ष्यों के साथ 219 पेज की चार्जशीट न्यायालय में कोर्ट की। करीब 17 साल में कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान 281 तारीख पड़ीं। लगभग आठ लोगों ने पीड़ित परिवार की ओर से कोर्ट के सामने गवाही दी।
पिता रामवीर सिंह की हत्या के बाद गजरौला छोड़कर अपने पैतृक जिले हाथरस में जाकर रहने वाले नरेंद्र सिंह ने परिवारी की जिम्मेदारियाें के साथ पिता के हत्यारे को सजा दिलवाने में अहम भूमिका निभाई। कुख्यात अपराधियों के सामने डटकर मुकाबला किया।
वह हाथरस से तारीखों पर अमरोहा कचहरी आते थे लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अब दोषियों को सजा मिली तो परिवार भावुक गया। पीड़ित परिवार ने कहा कि हमें कोर्ट पर भरोसा था, दोषियों को सजा और हमें न्याय मिला है। कोर्ट ने मामले में 22 पेज का फैसला सुनाया है।
सनसनीखेज वारदात में गजरौला पुलिस ने मजबूत साक्ष्यों के साथ घटना का खुलासा किया। इस दौरान छह बदमाशों के नाम सामने आए थे जिसमें मुजफ्फरनगर जिले के रहने वाले अंजुम, नजाकत, शहजाद, मुशर्रफ, कादिर और भूरा शामिल थे।
पुलिस ने अंजुम, नजाकत, शहजाद मुशर्रफ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था जबकि बदमाश कबीर और भूरा को रुड़की पुलिस ने 14 सितंबर 2008 मुठभेड़ में मार गिराया था। पुलिस ने विवेचना कर दोषियों के खिलाफ 219 पेज का आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया।
इसके बाद 11 नवंबर 2010 को न्यायालय ने आरोप तय किया। मुकदमे की सुनवाई के बीच कई न्यायिक अधिकारियों के तबादले भी हुए। न्यायालय ने अभियोजन और विपक्ष के तर्कों को सुना। इस दौरान फैक्टरी मैनेजर रामवीर सिंह के बेटे नरेंद्र सिंह, उनकी पत्नी मिथलेश देवी समेत आठ लोगों ने न्यायालय के सामने अपनी गवाही पेश की।
दोषियों ने अपनी तर्क में घटना नहीं करने की बात कही लेकिन बदमाशों के आपराधिक इतिहास और पुलिस के मजबूत चार्जशीट के आधार पर न्यायालय ने नजाकत और शहजाद को दोषी करार दिया है जबकि अंजुम को पहले ही उम्रकैद की सजा हो चुकी थी।
पुलिस ने अंजुम के कब्जे से ही तमंचा बरामद किया था। एफएसएल रिपोर्ट में अंजुम से बरामद तमंचा से चली गोली और मृतक के चोट पर मिली बारूद का मिलान हो गया था। इन बदमाशों से पुलिस ने डकैती के दौरान लूट गए आभूषण भी बरामद किए थे।
कभी टूटा था दुखों का पहाड़... अब परिवार की खुशियां दोगुनी
लगभग 17 साल पहले गजरौला की फैक्टरी में नौकरी करने वाले रामवीर सिंह के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया था। डकैती करने घर में घुसे बदमाश जाग होने पर रामवीर सिंह की गोली मार का हत्या कर दी थी तो वहीं, उनके बेटे नरेंद्र और पत्नी मिथलेश तोमर को गोली मारकर घायल कर दिया था।
इस घटना के बाद पूरा परिवार टूट गया था। जिस समय रामवीर सिंह की हत्या की गई, उसे समय उनके बड़े बेटे नरेंद्र सिंह बीटेक कर चुके थे और नौकरी की तैयारी कर रहे थे। वहीं, छोटे बेटे मौसम और दो बेटियां पढ़ाई कर रहे थे।
रामवीर सिंह की मौत के बाद परिवार की सभी जिम्मेदारियां नरेंद्र सिंह के कंधों पर आ गईं। घटना के बाद नरेंद्र सिंह गजरौला छोड़कर परिवार समेत अपने गृह जनपद हाथरस जाकर रहने लगे थे। यहीं उन्होंने परिवार की जिम्मेदारियां को बखूबी निभाया और अपनी शादी करने के बाद दोनों बहनों की शादियां की।
पिता के हत्यारे को सजा दिलाने के लिए हिम्मत नहीं हारने वाले नरेंद्र सिंह के परिवार में इस समय दोगुनी खुशियां हैं। बुधवार को जहां उनके पिता रामवीर सिंह के हत्यारों को न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई तो वहीं बृहस्पतिवार को उनके छोटे भाई मौसम की सगाई थी।
बृहस्पतिवार शाम संवाद न्यूज एजेंसी से फोन पर बातचीत के दौरान नरेंद्र सिंह ने कोर्ट के फैसले को स्वीकार किया तो वहीं उन्होंने अपने भाई की सगाई के कार्यक्रम में व्यस्त होने की बात बताई। वहीं, दिसंबर में शादी होनी है।