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भरथापुर विस्थापन : 118 में सिर्फ 99 परिवारों को मिलेगा राजस्व विभाग का लाभ
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मिहींपुरवा। नाव हादसे के बाद प्रशासन ने भरथापुर गांव के प्रभावित परिवारों को सेमरहना गांव में बसाने की रूपरेखा तैयार की है। विस्थापित ग्रामीणों के पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू तो हुई है, लेकिन राजस्व और वन विभाग के मानकों में अंतर के चलते मूलभूत सुविधाओं और मुआवजे का लाभ सभी को नहीं मिल पाएगा।
पहले चरण में यहां 118 परिवारों को बसाया जाना है, लेकिन इसके लिए वन विभाग और राजस्व विभाग के मानक अलग-अलग हैं। भरथापुर के जिन 118 लोगों ने पहले चरण में सूची दी है, वन विभाग सत्यापन के बाद इन्हें ही पात्र मान रहा है। वहीं राजस्व विभाग इस सूची में केवल 99 परिवारों को पात्र बता रहा है। बाकी 19 परिवारों को विभागीय रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया है। ऐसे में इन 19 परिवारों को राजस्व विभाग की ओर से मिलने वाला लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि वन विभाग का मुआवजा सभी 118 परिवारों को दिया जाएगा।
गांव के 71 अन्य लोगों की दूसरी सूची भी तैयार हुई है, जिनमें से राजस्व विभाग ने केवल 38 लोगों को ही पात्र माना है। वहीं वन विभाग केवल पहली सूची के 118 ग्रामीणों को ही पात्र मान रहा है।
उपजिलाधिकारी राम दयाल ने बताया कि वन और राजस्व विभाग के मानक अलग हैं। वन विभाग 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अलग परिवार की श्रेणी में मानता है, जबकि राजस्व विभाग का मानक है कि परिवार पूरा होना चाहिए। इसमें मुखिया और अन्य सदस्य शामिल हों।
अलग-अलग नियमों के कारण यह स्थिति बनी है। एक विभाग पात्रता का निर्धारण वन भूमि पर निवास के आधार पर कर रहा है, जबकि दूसरा विभाग परिवारों की वास्तविक हानि और अस्तित्व के आधार पर सूची तैयार कर रहा है।
एसडीएम ने बताया कि दोनों विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। दोनों सूचियां उच्चाधिकारियों को भेज दी गई हैं। उनके निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी, ताकि कोई भी पात्र परिवार योजना के लाभ से वंचित न रह जाए।
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पहले चरण में यहां 118 परिवारों को बसाया जाना है, लेकिन इसके लिए वन विभाग और राजस्व विभाग के मानक अलग-अलग हैं। भरथापुर के जिन 118 लोगों ने पहले चरण में सूची दी है, वन विभाग सत्यापन के बाद इन्हें ही पात्र मान रहा है। वहीं राजस्व विभाग इस सूची में केवल 99 परिवारों को पात्र बता रहा है। बाकी 19 परिवारों को विभागीय रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया है। ऐसे में इन 19 परिवारों को राजस्व विभाग की ओर से मिलने वाला लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि वन विभाग का मुआवजा सभी 118 परिवारों को दिया जाएगा।
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गांव के 71 अन्य लोगों की दूसरी सूची भी तैयार हुई है, जिनमें से राजस्व विभाग ने केवल 38 लोगों को ही पात्र माना है। वहीं वन विभाग केवल पहली सूची के 118 ग्रामीणों को ही पात्र मान रहा है।
उपजिलाधिकारी राम दयाल ने बताया कि वन और राजस्व विभाग के मानक अलग हैं। वन विभाग 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अलग परिवार की श्रेणी में मानता है, जबकि राजस्व विभाग का मानक है कि परिवार पूरा होना चाहिए। इसमें मुखिया और अन्य सदस्य शामिल हों।
अलग-अलग नियमों के कारण यह स्थिति बनी है। एक विभाग पात्रता का निर्धारण वन भूमि पर निवास के आधार पर कर रहा है, जबकि दूसरा विभाग परिवारों की वास्तविक हानि और अस्तित्व के आधार पर सूची तैयार कर रहा है।
एसडीएम ने बताया कि दोनों विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। दोनों सूचियां उच्चाधिकारियों को भेज दी गई हैं। उनके निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी, ताकि कोई भी पात्र परिवार योजना के लाभ से वंचित न रह जाए।