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Balrampur News: सीमित संसाधनों में आया बदलाव, आंखों में जगे सपने

संवाद न्यूज एजेंसी, बलरामपुर Updated Tue, 11 Nov 2025 11:22 PM IST
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Changes in limited resources, dreams awaken in the eyes
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तुलसीपुर। परिषदीय स्कूलों में अक्सर घटती विद्यार्थियों की संख्या और संसाधनों की कमी पर सवाल उठते हैं लेकिन क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय देवीपाटन की सहायक अध्यापिका दीप्ति अग्रवाल ने अपने जज्बे और नवाचार से यह धारणा बदल दी है।
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वर्ष 2016 में जब उन्होंने इस विद्यालय में कार्यभार संभाला, तब छात्र संख्या केवल 83 थी। निराशाजनक माहौल और सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने उम्मीद का दीप जलाए रखा। उनकी लगन, सृजनशीलता और संवेदनशील शिक्षण शैली का परिणाम है कि आज विद्यालय में 217 छात्र-छात्राएं हैं। पढ़ाई के तौर-तरीकों से हर चेहरे पर आत्मविश्वास झलकता है।
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दीप्ति अग्रवाल ने शिक्षा में प्रयोगधर्मी दृष्टिकोण अपनाया। अंग्रेजी भाषा को रोचक बनाने के लिए उन्होंने नाट्य मंचन, शब्द खेल और संवाद आधारित शिक्षण अपनाया। उनके इन प्रयोगों के परिणामस्वरूप बच्चों की बोलचाल, उच्चारण और समझने की क्षमता में जबरदस्त सुधार आया। उनके कार्य को देखते हुए आदर्श शिक्षक सम्मान (2022), नवाचार व रचनात्मक शिक्षण के लिए साहित्य शाला सम्मान मिल चुका है।
इसके साथ ही कहानी लेखन प्रतियोगिता में दो बार जनपद स्तरीय प्रथम स्थान, राज्य स्तर के लिए चयनित हो चुकी हैं। इन उपलब्धियों ने उन्हें न केवल विद्यालय का गौरव बनाया, बल्कि जिले के अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणा स्रोत भी। अब देवीपाटन विद्यालय की सफलता को लेकर शिक्षा विभाग में भी चर्चा है। कई शिक्षक उनके नवाचारों को अपने विद्यालयों में अपनाने की कोशिश कर रहे हैं।

आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और नई सोच का संगम
दीप्ति अग्रवाल का मानना है कि शिक्षा का असली उद्देश्य बच्चों में आत्मविश्वास जगाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। वह केवल पढ़ाती नहीं हैं, बल्कि बच्चों को सोचने, सवाल करने और खुद पर विश्वास करने की प्रेरणा देती हैं। उनके निर्देशन में विद्यालय में पढ़ाई के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं, सांस्कृतिक गतिविधियों और समूह चर्चा की नई परंपरा शुरू हुई। विद्यालय अब न केवल अनुशासन का उदाहरण बना है, बल्कि नवाचार और शिक्षण गुणवत्ता के क्षेत्र में भी अग्रणी है।

छात्रों की सफलता बनी पहचान

उनकी प्रेरणा से विद्यालय के बच्चे हर वर्ष राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति जैसी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले रहे हैं और चयनित हो रहे हैं। विद्यालय के परिणाम अब जनपद के सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों की सूची में आने लगे हैं। बच्चे अब बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने का साहस रखते हैं। विद्यालय की कक्षा आठवीं की दिव्यांग छात्रा कंचन जब पहली बार विद्यालय आई थी, तो आत्मविश्वास की कमी के कारण अक्सर चुप रहती थी।
दीप्ति अग्रवाल ने उसे विशेष स्नेह और धैर्य के साथ आगे बढ़ाया। उन्होंने उसे पठन-पाठन के साथ-साथ मंच पर बोलने और गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। आज वही कंचन आत्मविश्वास से भरी हुई है और विद्यालय की श्रेष्ठ छात्राओं में गिनी जाती है।
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