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Banda News: चकबंदी से छूटे गांवों के नक्शे सेटेलाइट से तैयार किए जाएंगे

Kanpur	 Bureau कानपुर ब्यूरो
Updated Mon, 01 Dec 2025 11:36 PM IST
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Satellite maps of villages left out of consolidation will be prepared.
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फोटो- 12 बंदोबस्त चकबंदी विभाग। संवाद
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- पुराने व फटे नक्शों से भूमि की मौजूदा स्थिति स्पष्ट नहीं, मंडल में 380 गांवों की नहीं हुई चकबंद
- सरकार तैयार करा रही है जीपीएस आधारित ई-नक्शे
संवाद न्यूज एजेंसी
बांदा। बुंदेलखंड के गांवों में टुकड़ों में बंटे और बिखरे खेतों को एक साथ जोड़कर उन्हें एक चक में परिवर्तित करके की किसानों की राह को सरकार ने आसान कर दिया है। जिन गांव के नक्शे फट गए या खोजे नहीं मिल रहे हैं, ऐसे गांव के नक्शे अब नए सिरे से सेटेलाइट के जरिए तैयार किए जाएंगे। चित्रकूट धाममंडल में 380 गांवों की चकबंदी इन्हीं तकनीकी अड़चनों की वजह से ही अटकी हुई है। पांच दशक बीत जाने के बाद भी एक भी बार चकबंदी नहीं हुई।
बुंदेलखंड में 1954 से चकबंदी प्रक्रिया शुरू हुई थी। इसका मकसद था कि टुकड़ों में बंटे व बिखरे खेतों को एक साथ जोड़कर एक चक के रूप में परिवर्तित किया जाए। लेकिन चकबंदी की राह में सबसे बड़ा रोडा तकनीकी अड़चने व नक्शों का फट जाना व ढूंढे न मिलना था। जिसकी वजह है कि चित्रकूटधाम मंडल के 2631 राजस्व गांवों में 380 गांवों में चकबंदी नहीं हो पा रही है।
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विभाग ने इन गांवों में चकबंदी करने से हाथ खड़े कर दिए थे। ऐसे में इन गांवों के किसान प्रदेश सरकार से किसी राहत भरे आदेश की आस लगाए हुए थे। सरकार ने अब उनकी समस्याओं को आसान कर दिया है। सरकार चकबंदी के लिए नए सिरे से जमीनों के ई-नक्शे तैयार करने जा रही है। इसमें यह भी देखा जाएगा कि कि किसी व्यक्ति के नाम रिकार्ड में कितनी जमीन दर्ज है और मौके पर वह कितनी जमीन में काबिज है। इसके लिए सरकारी जीपीएस आधारित उच्च तकनीक का प्रयोग करेगी। चकबंदी विभाग का दावा है कि नए नक्शे तैयार होने के बाद उसके पास एक-एक इंच भूमि का हिसाब होगा।
चार्ट-

इन गांवों एक भी बार नहीं हुई चकबंदी
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जनपद राजस्व ग्राम अवशेष गांव
बांदा 768 121
महोबा 632 077
हमीरपुर 565 085
चित्रकूट 666 097
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योग- 2631 380
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चार्ट-

1954 से अब तक चकबंदी की स्थिति
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तहसील राजस्व ग्राम अवशेष गांव

बांदा 140 14


बबेरू 208 49
नरैनी 192 15
अतर्रा 109 00
पैलानी 119 40
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योग- 768 121
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इनसेट-
कई गांवों के नक्शे उपलब्ध ही नहीं
चकबंदी विभाग का कहना है कि रख-रखाव के अभाव में राजस्व विभाग में दशकों पुराने नक्शे या तो जीर्ण-शीर्ण हो गए या फट गए हैं। कई गांवों के नक्शे उपलब्ध ही नहीं है। राजस्व विभाग ने पुराने नक्शों को दोबारा बनवाया भी नहीं है। राजस्व विभाग की मनगढ़त नापजोख की वजह से ही गांवों में विवाद बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में इन गांवों में विभाग को चकबंदी करने में दिक्कतें हो रही हैं। नदियों के किनारे की खादर जमीनों में कटान हो जाने से बिना सटीक नक्शे के नाम संभव नहीं है।
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केस-1

कई टुकडों में बिखरे पड़े हैं खेत
खप्टिहा खुर्द के कुबेर प्रसाद का कहना है कि एक खेत से दूसरे खेत की दूरी तीन किलोमीटर है। ऐसे में रखरखाव ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है। चकबंदी होने से इस समस्या से निजात मिल जाएगी। एक ही जगह सभी जमीन एकत्र हो जाएगी। नापजोख को लेकर आए दिन होने वाले विवाद भी समाप्त हो जाएंगे।

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केस-2
आए दिन हो रहे जमीन विवाद
बड़ागांव के सुरेश सिंह का कहना है कि चकबंदी न होने से किसानों को बड़ी दिक्कतें हैं। चकरोड, सेक्टर व ग्राम समाज की जमीन ढूंढे नहीं मिल रही। लोग मनमानी तरीके से कब्जा किए हैं। चकबंदी से यह सभी जमीनों के कब्जे छूट जाएंगे। नए सिरे से चकरोड, सेक्टर आदि का सृजन होगा।
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इनसेट-
क्या है चकबंदी प्रक्रिया
चकबंदी के लिए चयनित गांव में विभाग बिखरे हुए खेतों को एकत्रित कर करता है। सुलह-समझौते के आधार पर विवादों का निस्तारण किया जाता है। नवीन अधिकार अभिलेखों व अंतिम भूचित्र का सृजन किया जाता है। व्यक्तिगत खेतों के टुकडों में विभक्त होने से रोका जाता है। कृषकों और ग्राम समाज की टुकड़ों में विभाजित भूमि को पुर्नर्नियोजित किया जाता है।
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वर्जन-
ई नक्शों से चकबंदी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में मदद मिलेगी। मौजूदा समय में पुराने नक्शों के आधार पर चकबंदी की जा रही है। इससे स्पष्ट नहीं होता है कि मौजूदा में भूमि की क्या स्थिति है। प्रभावशाली लोग अपने हिसाब से पैमाइा करा लेते हैं।-अजय वर्मा, बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी
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