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Barabanki News: दो हजार मरीजों पर 4 व्हीलचेयर, 12 का दावा, वो भी टूटी-फूटी
संवाद न्यूज एजेंसी, बाराबंकी
Updated Thu, 13 Nov 2025 12:21 AM IST
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बाराबंकी। जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत कागजों पर भले ही बेहतर दिखती हो, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां करती है। रोजाना करीब दो हजार मरीज इलाज के लिए यहां पहुंचते हैं, मगर उन्हें टूटी-फूटी व्हीलचेयर और जर्जर स्ट्रेचर के सहारे रहना पड़ रहा है।
बुधवार को अस्पताल की ओपीडी में लगभग 14 सौ मरीज पहुंचे। इसके अलावा इमरजेंसी, हड्डी एवं मेडिसिन वार्डों में भी कई गंभीर मरीज भर्ती रहे। चलने-फिरने में असमर्थ मरीजों को ओपीडी से एक्सरे और पैथोलॉजी कक्ष तक ले जाने में उनके तीमारदारों को मशक्कत करनी पड़ी। अस्पताल प्रशासन जहां 12 व्हीलचेयर होने का दावा करता है, वहीं मौके पर केवल दो ही दिखीं। वे भी खराब हालत में थीं।
कई तीमारदार मरीजों को गोद में उठाकर जांच के लिए ले जाते नजर आए। तीमारदार संतोष कुमार ने बताया कि वह अपनी मां का सीटी स्कैन कराने के लिए करीब एक घंटे तक व्हीलचेयर खोजते रहे, पर नहीं मिली। मजबूरी में दो परिचितों की मदद से स्ट्रेचर खींचकर जांच कक्ष तक ले जाना पड़ा।
असुविधा का आलम यह है कि इमरजेंसी वार्ड में एक स्ट्रेचर मिला, तो जंजीर से बंधा हुआ था। अस्पताल की ओपीडी में मिला एकमात्र स्ट्रेचर और एक व्हीलचेयर भी जंजीर से बंधे मिले। वहीं, कई वार्डों में मरीजों को ले जाने के साधन उपलब्ध ही नहीं थे। वार्डबॉय और अन्य कर्मचारियों की तैनाती के बावजूद वे मरीजों की मदद करने के बजाय अन्य कार्यों में व्यस्त रहे।
प्रभारी सीएमएस (मुख्य चिकित्सा अधीक्षक) बीपी सिंह ने कहा कि अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए पर्याप्त व्हीलचेयर और स्ट्रेचर उपलब्ध हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि जो मरीज व्हीलचेयर या स्ट्रेचर ले जाते हैं, वे उसे कहीं भी छोड़ कर चले जाते हैं।
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बुधवार को अस्पताल की ओपीडी में लगभग 14 सौ मरीज पहुंचे। इसके अलावा इमरजेंसी, हड्डी एवं मेडिसिन वार्डों में भी कई गंभीर मरीज भर्ती रहे। चलने-फिरने में असमर्थ मरीजों को ओपीडी से एक्सरे और पैथोलॉजी कक्ष तक ले जाने में उनके तीमारदारों को मशक्कत करनी पड़ी। अस्पताल प्रशासन जहां 12 व्हीलचेयर होने का दावा करता है, वहीं मौके पर केवल दो ही दिखीं। वे भी खराब हालत में थीं।
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कई तीमारदार मरीजों को गोद में उठाकर जांच के लिए ले जाते नजर आए। तीमारदार संतोष कुमार ने बताया कि वह अपनी मां का सीटी स्कैन कराने के लिए करीब एक घंटे तक व्हीलचेयर खोजते रहे, पर नहीं मिली। मजबूरी में दो परिचितों की मदद से स्ट्रेचर खींचकर जांच कक्ष तक ले जाना पड़ा।
असुविधा का आलम यह है कि इमरजेंसी वार्ड में एक स्ट्रेचर मिला, तो जंजीर से बंधा हुआ था। अस्पताल की ओपीडी में मिला एकमात्र स्ट्रेचर और एक व्हीलचेयर भी जंजीर से बंधे मिले। वहीं, कई वार्डों में मरीजों को ले जाने के साधन उपलब्ध ही नहीं थे। वार्डबॉय और अन्य कर्मचारियों की तैनाती के बावजूद वे मरीजों की मदद करने के बजाय अन्य कार्यों में व्यस्त रहे।
प्रभारी सीएमएस (मुख्य चिकित्सा अधीक्षक) बीपी सिंह ने कहा कि अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए पर्याप्त व्हीलचेयर और स्ट्रेचर उपलब्ध हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि जो मरीज व्हीलचेयर या स्ट्रेचर ले जाते हैं, वे उसे कहीं भी छोड़ कर चले जाते हैं।