यूपी विधानसभा चुनाव में प्रचार का तरीका बदलने के साथ ही जहां प्रिंटिंग प्रेस व होर्डिंग कारोबारी परेशान है, वहीं मोबाइल टैबलेट और लैपटॉप का बाजार गुलजार हो गया है। केवल दुकानों से ही बिक्री नहीं हो रही है, बल्कि ऑनलाइन खरीददारी भी रही है। दावेदारों व प्रत्याशियों ने सोशल मीडिया पर चुनावी गतिविधियों को पोस्ट करने के लिए बाकायदा जानकार युवाओं की टीम लगा दी है। इससे बेराजगार युवाओं को रोजगार भी मिला है।
शहर में वैसे तो मोबाइल और लैपटॉप की दर्जनों दुकानें हैं। मगर सबसे ज्यादा दुकानें घोसियाना और धनोखर से घंटाघर जाने वाली रोड पर है। कंपनीबाग में मोबाइल प्रतिष्ठान के अंकित वर्मा बताते हैं कि मोबाइल की बिक्री अचानक 3 गुना बढ़ गई है। ज्यादातर खरीददार विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता व पदाधिकारी हैं। पैसार के पास एक निजी मोबाइल कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर आशीष वर्मा बताते हैं कि इस समय मोबाइल व टेबलैट की बिक्री बढ़ी है। उन्होंने बताया कि ज्यादा रैम क्षमता वाले मोबाइल ज्यादा बिक रहे हैं माना जा रहा है कि चुनाव में इनका प्रयोग खूब होगा।
गांव की दुकानों का कुछ यही हाल है। सिद्धौर ब्लाक के असंद्रा कस्बे में मोबाइल के दुकानदार श्रवण कुमार गुप्ता बताते हैं कि पहले रोजाना तीन या चार मोबाइल ही बिकते थे मगर अब बिक्री की संख्या 10 से 12 तक पहुंच जाती है। चुनाव को देखते हुए वर्चुअल चुनाव प्रचार को लेकर सोशल मीडिया पर जंग छिड़ी है। नेता दावेदार प्रत्याशी अभी से वीडियो पोस्ट करने लगे हैं। इसलिए नेताओं के घर व दफ्तर में पूरा सेट अप तैयार किया जा रहा है।
इस बार विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग की ज्यादा सख्ती के कारण वर्चुअल प्रचार पर पूरा फोकस किया जा रहा है। बैनर, बिल्ला, झंडे आदि का कारोबार करने वाले सकते में है। एक कारोबारी सुमित चौरसिया ने बताया कि तमाम ऑर्डर भी मिल गए थे, मगर आयोग के निर्देश के बाद सारा माल गोदाम में डम्प पड़ा है, पहले जैसा माहौल नहीं रह गया है। जिन दावेदारों व प्रत्याशियों ने राजधानी लखनऊ से झंडे बिल्ला बैनर आदि के लिए आर्डर दिया था, वह भी अब अपना ऑर्डर वापस ले चुके हैं।
कोविड-19 के प्रकोप के बीच हो रहे विधानसभा चुनाव के कारण चुनाव प्रचार करने की तरकीबें भी निकाली जा रही है। पार्टी के कलर वाले व चुनाव चिह्न वाले मास्क के आर्डर अभी से दिए जाने लगे हैं। जिले के अलावा राजधानी में ऐसे कारोबारी भी हैं, जो ऐसे मास्क बना रहे हैं। जिले की छह विधानसभा सीटों में अभी विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा प्रत्याशी की घोषणा बाकी है। घोषणा होने के बाद इनका प्रयोग धड़ल्ले से होगा।
सोशल मीडिया के अलावा मोबाइल पर टेक्स्ट मैसेज के रूप में भी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश हो रही है। जिले के एक मौजूदा विधायक के यहां इसको लेकर पूरा कंप्यूटर सिस्टम लगाया गया है। सॉफ्टवेयर के माध्यम से अपलोड किए गए मोबाइल नंबरों में एक क्लिक से ही मैसेज पहुंच रहे। विधायक प्रतिनिधि बताते हैं कि एक क्लिक पर 15 हजार लोगों के पास मैसेज चला जाता है।
विस्तार
यूपी विधानसभा चुनाव में प्रचार का तरीका बदलने के साथ ही जहां प्रिंटिंग प्रेस व होर्डिंग कारोबारी परेशान है, वहीं मोबाइल टैबलेट और लैपटॉप का बाजार गुलजार हो गया है। केवल दुकानों से ही बिक्री नहीं हो रही है, बल्कि ऑनलाइन खरीददारी भी रही है। दावेदारों व प्रत्याशियों ने सोशल मीडिया पर चुनावी गतिविधियों को पोस्ट करने के लिए बाकायदा जानकार युवाओं की टीम लगा दी है। इससे बेराजगार युवाओं को रोजगार भी मिला है।
शहर में वैसे तो मोबाइल और लैपटॉप की दर्जनों दुकानें हैं। मगर सबसे ज्यादा दुकानें घोसियाना और धनोखर से घंटाघर जाने वाली रोड पर है। कंपनीबाग में मोबाइल प्रतिष्ठान के अंकित वर्मा बताते हैं कि मोबाइल की बिक्री अचानक 3 गुना बढ़ गई है। ज्यादातर खरीददार विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता व पदाधिकारी हैं। पैसार के पास एक निजी मोबाइल कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर आशीष वर्मा बताते हैं कि इस समय मोबाइल व टेबलैट की बिक्री बढ़ी है। उन्होंने बताया कि ज्यादा रैम क्षमता वाले मोबाइल ज्यादा बिक रहे हैं माना जा रहा है कि चुनाव में इनका प्रयोग खूब होगा।
गांव की दुकानों का कुछ यही हाल है। सिद्धौर ब्लाक के असंद्रा कस्बे में मोबाइल के दुकानदार श्रवण कुमार गुप्ता बताते हैं कि पहले रोजाना तीन या चार मोबाइल ही बिकते थे मगर अब बिक्री की संख्या 10 से 12 तक पहुंच जाती है। चुनाव को देखते हुए वर्चुअल चुनाव प्रचार को लेकर सोशल मीडिया पर जंग छिड़ी है। नेता दावेदार प्रत्याशी अभी से वीडियो पोस्ट करने लगे हैं। इसलिए नेताओं के घर व दफ्तर में पूरा सेट अप तैयार किया जा रहा है।
इस बार विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग की ज्यादा सख्ती के कारण वर्चुअल प्रचार पर पूरा फोकस किया जा रहा है। बैनर, बिल्ला, झंडे आदि का कारोबार करने वाले सकते में है। एक कारोबारी सुमित चौरसिया ने बताया कि तमाम ऑर्डर भी मिल गए थे, मगर आयोग के निर्देश के बाद सारा माल गोदाम में डम्प पड़ा है, पहले जैसा माहौल नहीं रह गया है। जिन दावेदारों व प्रत्याशियों ने राजधानी लखनऊ से झंडे बिल्ला बैनर आदि के लिए आर्डर दिया था, वह भी अब अपना ऑर्डर वापस ले चुके हैं।
कोविड-19 के प्रकोप के बीच हो रहे विधानसभा चुनाव के कारण चुनाव प्रचार करने की तरकीबें भी निकाली जा रही है। पार्टी के कलर वाले व चुनाव चिह्न वाले मास्क के आर्डर अभी से दिए जाने लगे हैं। जिले के अलावा राजधानी में ऐसे कारोबारी भी हैं, जो ऐसे मास्क बना रहे हैं। जिले की छह विधानसभा सीटों में अभी विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा प्रत्याशी की घोषणा बाकी है। घोषणा होने के बाद इनका प्रयोग धड़ल्ले से होगा।
सोशल मीडिया के अलावा मोबाइल पर टेक्स्ट मैसेज के रूप में भी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश हो रही है। जिले के एक मौजूदा विधायक के यहां इसको लेकर पूरा कंप्यूटर सिस्टम लगाया गया है। सॉफ्टवेयर के माध्यम से अपलोड किए गए मोबाइल नंबरों में एक क्लिक से ही मैसेज पहुंच रहे। विधायक प्रतिनिधि बताते हैं कि एक क्लिक पर 15 हजार लोगों के पास मैसेज चला जाता है।