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ईपीएम से कालीन निर्यात को मिलेगी गति : वाटल
संवाद न्यूज एजेंसी, भदोही
Updated Fri, 14 Nov 2025 12:55 AM IST
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संवाद न्यूज एजेंसी
भदोही। केंद्र सरकार की एमएसएमई, श्रम-प्रधान सेक्टरों को सुदृढ़ करने के लिए केंद्रीय बजट में किए गए एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (ईपीएम) के प्रावधान का कालीन निर्यातकों ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि ईपीएम में 25,060 करोड़ की व्यवस्था की गई है जो अगले पांच वर्षों तक के लिए होगी। यह निर्यात बढ़ाने के उपयोग में लाया जाएगा।
कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के चेयरमैन कुलदीप राज वाटल ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ प्रभावी होने के बाद उत्पादन क्षेत्र के सभी सेक्टरों के लिए यह एक बड़ी खबर है।
अमेरिकी टैरिफ से सबसे अधिक नुकसान भारतीय कालीन उद्योग को उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि दूसरे सेक्टर के उत्पाद तो भारत में भी बेचे जा सकते हैं लेकिन हस्तनिर्मित कालीन और हस्तशिल्प ऐसा उत्पाद है जिसकी डोमेस्टिक खपत एक प्रतिशत है, बाकी निर्यात हो जाता है। ऐसे में 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ का सबसे अधिक नुकसान कालीन उद्योग को ही उठाना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि ईपीएम योजना को केंद्रीय मंत्री मंडल की मंजूरी मिलना कालीन सेक्टर के लिए सुखद खबर है। यह और भी सुखद इसलिए है कि टैरिफ लगने के बाद से सबसे अधिक प्रभावित हम थे और इस समस्या से निजात पाने के लिए सबसे अधिक दौड़ सीईपीसी ने की थी।
चेयरमैन ने कहा कि ईपीएम अकेले परिणाम देने में सक्षम होगा। इतना ही नहीं आने वाले दिनों में भारतीय निर्यातपरक इकाइयों को संभालने में मददगार सिद्ध होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह योजना वैश्विक व्यापारिक चुनौतियों का सामना करने सक्षम होगी।
निर्यातकों की मौजूदा समस्याएं भी दूर होंगी। इस योजना को मंजूरी मिलने पर उन्होने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, वित्त मंत्रालय समेत वस्त्र मंत्रालय की गतिशील टीम के प्रति आभार जताया। आश्वस्त किया कि हम सरकार के साथ मिल कर यह सुनिश्चित करेंगे कि योजना का लाभ सभी निर्यातकों, भदोही, मिर्जापुर और पूर्वांचल के जिलों के कारीगरों, बुनकरों, मजदूरों तक पहुंचे।
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भदोही। केंद्र सरकार की एमएसएमई, श्रम-प्रधान सेक्टरों को सुदृढ़ करने के लिए केंद्रीय बजट में किए गए एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (ईपीएम) के प्रावधान का कालीन निर्यातकों ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि ईपीएम में 25,060 करोड़ की व्यवस्था की गई है जो अगले पांच वर्षों तक के लिए होगी। यह निर्यात बढ़ाने के उपयोग में लाया जाएगा।
कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के चेयरमैन कुलदीप राज वाटल ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ प्रभावी होने के बाद उत्पादन क्षेत्र के सभी सेक्टरों के लिए यह एक बड़ी खबर है।
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अमेरिकी टैरिफ से सबसे अधिक नुकसान भारतीय कालीन उद्योग को उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि दूसरे सेक्टर के उत्पाद तो भारत में भी बेचे जा सकते हैं लेकिन हस्तनिर्मित कालीन और हस्तशिल्प ऐसा उत्पाद है जिसकी डोमेस्टिक खपत एक प्रतिशत है, बाकी निर्यात हो जाता है। ऐसे में 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ का सबसे अधिक नुकसान कालीन उद्योग को ही उठाना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि ईपीएम योजना को केंद्रीय मंत्री मंडल की मंजूरी मिलना कालीन सेक्टर के लिए सुखद खबर है। यह और भी सुखद इसलिए है कि टैरिफ लगने के बाद से सबसे अधिक प्रभावित हम थे और इस समस्या से निजात पाने के लिए सबसे अधिक दौड़ सीईपीसी ने की थी।
चेयरमैन ने कहा कि ईपीएम अकेले परिणाम देने में सक्षम होगा। इतना ही नहीं आने वाले दिनों में भारतीय निर्यातपरक इकाइयों को संभालने में मददगार सिद्ध होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह योजना वैश्विक व्यापारिक चुनौतियों का सामना करने सक्षम होगी।
निर्यातकों की मौजूदा समस्याएं भी दूर होंगी। इस योजना को मंजूरी मिलने पर उन्होने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, वित्त मंत्रालय समेत वस्त्र मंत्रालय की गतिशील टीम के प्रति आभार जताया। आश्वस्त किया कि हम सरकार के साथ मिल कर यह सुनिश्चित करेंगे कि योजना का लाभ सभी निर्यातकों, भदोही, मिर्जापुर और पूर्वांचल के जिलों के कारीगरों, बुनकरों, मजदूरों तक पहुंचे।