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स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं ने निभाई थी अहम भूमिका : डॉ. रश्मि
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केएनपीजी कालेज में बोलती डा. अंशुबाला। स्रोत कालेज
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ज्ञानपुर। काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय गोष्ठी एवं अभिलेख प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसमें देश की आजादी में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला गया। मुख्य वक्ता डॉ. रश्मि सिंह ने कहा कि स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई थी।
उन्होंने 1930 बनारस दाल मंडी कोठे की राजेश्वरी बाई के गीत भारत कभी न बन जाए गुलाम का जिक्र किया। मुख्य अतिथि प्रो. आलोक प्रसाद ने अभिलेख प्रदर्शनी के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए चंद्रशेखर आजाद के पत्रों का जिक्र किया और काकोरी कांड में शामिल 250 लोगों के लिखे नामों की सराहना की।
गांधीजी द्वारा चलाए जा रहे स्वतंत्रता संग्राम में स्वराज, सत्याग्रह, चरखा में महिलाओं की भागीदारी को स्पष्ट किया। डॉ. शिवनारायण ने महिला केंद्रित इतिहास लिखे जाने की आवश्यकता पर जोर दिया और 1857 से 1947 के इतिहास में महिलाओं की भागीदारी को रेखांकित किया।
मुख्य वक्ता डॉ. अंशुबाला ने कहा कि पुरुष सत्तात्मक ढांचे में रहकर महिलाओं ने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़कर भाग लिया। उन्होंने उत्तर प्रदेश संस्कृत विभाग को साधुवाद दिया जो 75 वर्ष बाद महिलाओं के योगदान को प्रसारित कर रहा है।
प्रो आशुतोष पार्थेश्वर ने हिंदी कहानियों के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की सहभागिता को रेखांकित किया। प्रो. केशव मिश्र ने इतिहास लेखन में महिला को लेकर शब्दावलियों में बदलाव की जरूरत की चर्चा की और स्वतंत्रता को समग्रता में महिला के संदर्भ में समझने की जरूरत है। इस मौके पर दयानंद सिंह चौहान, डॉ. ऋचा, डॉ. ज्योति यादव आदि रहीं। अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. रमेश चंद्र मौर्य ने किया।
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उन्होंने 1930 बनारस दाल मंडी कोठे की राजेश्वरी बाई के गीत भारत कभी न बन जाए गुलाम का जिक्र किया। मुख्य अतिथि प्रो. आलोक प्रसाद ने अभिलेख प्रदर्शनी के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए चंद्रशेखर आजाद के पत्रों का जिक्र किया और काकोरी कांड में शामिल 250 लोगों के लिखे नामों की सराहना की।
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गांधीजी द्वारा चलाए जा रहे स्वतंत्रता संग्राम में स्वराज, सत्याग्रह, चरखा में महिलाओं की भागीदारी को स्पष्ट किया। डॉ. शिवनारायण ने महिला केंद्रित इतिहास लिखे जाने की आवश्यकता पर जोर दिया और 1857 से 1947 के इतिहास में महिलाओं की भागीदारी को रेखांकित किया।
मुख्य वक्ता डॉ. अंशुबाला ने कहा कि पुरुष सत्तात्मक ढांचे में रहकर महिलाओं ने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़कर भाग लिया। उन्होंने उत्तर प्रदेश संस्कृत विभाग को साधुवाद दिया जो 75 वर्ष बाद महिलाओं के योगदान को प्रसारित कर रहा है।
प्रो आशुतोष पार्थेश्वर ने हिंदी कहानियों के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की सहभागिता को रेखांकित किया। प्रो. केशव मिश्र ने इतिहास लेखन में महिला को लेकर शब्दावलियों में बदलाव की जरूरत की चर्चा की और स्वतंत्रता को समग्रता में महिला के संदर्भ में समझने की जरूरत है। इस मौके पर दयानंद सिंह चौहान, डॉ. ऋचा, डॉ. ज्योति यादव आदि रहीं। अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. रमेश चंद्र मौर्य ने किया।