उझानी (बदायूं)। दो-तीन दिनों से मौसम में बदलाव के बाद कहीं झमाझम बारिश तो कहीं रुक-रुककर हुई बूंदाबांदी ने अन्नदाता को परेशानी में डाल दिया है। गेहूं की फसल के लिए मुफीद साबित हो रहे मौसम ने सब्जियों समेत आलू और सरसों का संकट बढ़ा दिया है। पिछेती झुलसा के कारण पहले से ही आलू की फसल से उत्पादन में गिरावट की आशंका बनी हुई है। मौसम का मिजाज ऐसा ही रहा तो आलू का कंद खेत में सड़ने लगेगा, स्थिति और खराब हो जाएगी।
आलू समेत सब्जी फसलों और सरसों पर खासकर मौसम के लिहाज से सबसे खराब दिन रविवार रहा। मौसम विज्ञानी हालांकि दो-तीन और बारिश समेत आसमान में धुंधलाहट रहने का संकेत दे रहे हैं लेकिन रविवार तड़के से शुरू हुई बूंदाबांदी ने सरसों और सब्जी फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया। वह तो गनीमत रही जो बारिश और बूंदाबांदी के दौरान तेज हवा नहीं चली, वरना तो सरसों की फसल जमीन पर ही बिछ जाती। इधर नमी बढ़ने से आलू में पिछेती झुलसा ने प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। ज्यादा नमी की वजह से पिछेती झुलसा की चपेट में आकर आलू के पौधे की पत्तियां झुलसने के साथ कंद सड़ने लग जाता है। खेती के जानकार बताते हैं कि बारिश के बाद अगर चटक धूप निकल आती है तो सरसों को माहु कीट नुकसान पहुंचाएगा।
इसके विपरीत बारिश ने गेहूं की फसल के लिए संजीवनी का काम किया है। खेतों में बढ़वार की ओर गेहूं की फसल के लिए एक बार की सिंचाई बच गई है। गेहूं को बढ़वार के समय बूंदाबांदी और नमी जरूरी है।
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टमाटर, मटर और शिमला मिर्च को दागदार होने से बचाना मुश्किल
खेतों में इन दिनों टमाटर, मटर, शिमला मिर्च समेत अन्य सब्जी फसलें हैं। अधिक बारिश होने की स्थिति में टमाटर और मटर के साथ ही शिमला मिर्च दागी होने लगेगी। सूड़ियों का प्रकोप हो सकता है। हरी मिर्च भी चपेट में आएगी। सब्जी उत्पादक गंगा सिंह शाक्य ने बताया कि उझानी समेत आसपास इलाके में सब्जी फसलों के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है लेकिन अगर कीट का प्रकोप बढ़ा तो सब्जी फसलों की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
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मौसम का मिजाज बदलने से सब्जी फसलों को नुकसान की आशंका बनी हुई है। गेहूं को तो फायदा ही रहेगा लेकिन टमाटर, सरसों आदि में कीट का प्रकोप नुकसानदेह रहेगा। जरूरी है कि किसान आलू की फसल में बारिश के पानी को भरने नहीं दें। बारिश के पानी के निकास की व्यवस्था कर देने से फसल का काफी हद तक बचाया जा सकता है।
- डॉ. एसबी सिंह, प्रभारी, क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र
उझानी (बदायूं)। दो-तीन दिनों से मौसम में बदलाव के बाद कहीं झमाझम बारिश तो कहीं रुक-रुककर हुई बूंदाबांदी ने अन्नदाता को परेशानी में डाल दिया है। गेहूं की फसल के लिए मुफीद साबित हो रहे मौसम ने सब्जियों समेत आलू और सरसों का संकट बढ़ा दिया है। पिछेती झुलसा के कारण पहले से ही आलू की फसल से उत्पादन में गिरावट की आशंका बनी हुई है। मौसम का मिजाज ऐसा ही रहा तो आलू का कंद खेत में सड़ने लगेगा, स्थिति और खराब हो जाएगी।
आलू समेत सब्जी फसलों और सरसों पर खासकर मौसम के लिहाज से सबसे खराब दिन रविवार रहा। मौसम विज्ञानी हालांकि दो-तीन और बारिश समेत आसमान में धुंधलाहट रहने का संकेत दे रहे हैं लेकिन रविवार तड़के से शुरू हुई बूंदाबांदी ने सरसों और सब्जी फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया। वह तो गनीमत रही जो बारिश और बूंदाबांदी के दौरान तेज हवा नहीं चली, वरना तो सरसों की फसल जमीन पर ही बिछ जाती। इधर नमी बढ़ने से आलू में पिछेती झुलसा ने प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। ज्यादा नमी की वजह से पिछेती झुलसा की चपेट में आकर आलू के पौधे की पत्तियां झुलसने के साथ कंद सड़ने लग जाता है। खेती के जानकार बताते हैं कि बारिश के बाद अगर चटक धूप निकल आती है तो सरसों को माहु कीट नुकसान पहुंचाएगा।
इसके विपरीत बारिश ने गेहूं की फसल के लिए संजीवनी का काम किया है। खेतों में बढ़वार की ओर गेहूं की फसल के लिए एक बार की सिंचाई बच गई है। गेहूं को बढ़वार के समय बूंदाबांदी और नमी जरूरी है।
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टमाटर, मटर और शिमला मिर्च को दागदार होने से बचाना मुश्किल
खेतों में इन दिनों टमाटर, मटर, शिमला मिर्च समेत अन्य सब्जी फसलें हैं। अधिक बारिश होने की स्थिति में टमाटर और मटर के साथ ही शिमला मिर्च दागी होने लगेगी। सूड़ियों का प्रकोप हो सकता है। हरी मिर्च भी चपेट में आएगी। सब्जी उत्पादक गंगा सिंह शाक्य ने बताया कि उझानी समेत आसपास इलाके में सब्जी फसलों के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है लेकिन अगर कीट का प्रकोप बढ़ा तो सब्जी फसलों की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
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मौसम का मिजाज बदलने से सब्जी फसलों को नुकसान की आशंका बनी हुई है। गेहूं को तो फायदा ही रहेगा लेकिन टमाटर, सरसों आदि में कीट का प्रकोप नुकसानदेह रहेगा। जरूरी है कि किसान आलू की फसल में बारिश के पानी को भरने नहीं दें। बारिश के पानी के निकास की व्यवस्था कर देने से फसल का काफी हद तक बचाया जा सकता है।
- डॉ. एसबी सिंह, प्रभारी, क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र