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Budaun News: मेला ककोड़ा संपन्न, झंडी के रूप में ककोड़ा माता मंदिर लौटीं
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मेला स्थल पर गंगा किनारे लगी झंडी लेने पहुंचे अधिकारी। संवाद
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कादरचौक। रुहेलखंड के मिनी कुंभ के नाम से जाना जाने वाला मेला ककोड़ा बुधवार को विधिवत संपन्न हो गया। अपराह्न में जिला पंचायत के एमए दिनेश प्रताप सिंह और मेला कोतवाली प्रभारी राजेंद्र सिंह पुंडीर तमाम जिम्मेदार लोगों के साथ मेला परिसर में एकत्र हुए।
यहां ककोड़ा देवी के रूप में स्थापित सुनहरे गोटे से सजी लाल झंडी लेकर ककोड़ा गांव गए, जहां ऐतिहासिक ककोड़ा देवी मंदिर पर पुरोहित को झंडी सौंपी। देवी स्वरूपा झंडी को विधि विधान से उनके मंदिर में स्थापित किया गया। देवी मां को अगले वर्ष पुन: पधारने के लिए निमंत्रण भी दिया गया। इसी के साथ ही जिला पंचायत प्रशासन अब मेले की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी से मुक्त हो गया है।
गंगातट पर ककोड़ा देवी मंदिर से झंडी की स्थापना के साथ मेले का शुभारंभ 29 अक्तूबर को हुआ था। इसमें लाखों लोग पहुंचे। साधु-संतों और तमाम परिवारों ने गंगा की रेती पर अपने तंबुओं के आशियाने बनाकर कल्पवास भी किया। बुधवार को विधि-विधान से पूजा-अर्चना के साथ झंडी वापस मंदिर में स्थापित कर दिए जाने के साथ ही सभी जिम्मेदार मेले की व्यवस्थाओं से भी मुक्त हो गए।
जिला पंचायत के अधिकारियों और मेला कोतवाल प्रभारी समेत मेला के तमाम सहयोगी और जिम्मेदारों ने मेला सकुशल संपन्न होने पर गंगा तट और ककोड़ा देवी मंदिर में प्रसाद वितरण किया। अगले वर्ष के लिए निमंत्रण देकर कृपा बनाए रखने का आशीर्वाद लिया। इसी के साथ मेले में बसा तंबुओं का शहर पूरी तरह उखड़ गया।
जिला पंचायत की ओर से जो सुविधाएं दी जा रहीं थीं, वे भी बुधवार को बंद कर दी गईं। हालांकि अभी कुछ व्यापारी मेले में रुके हुए हैं। एक-दो दिन में वे भी चले जाएंगे। खेल तमाशे और टैंट का सामान अभी पड़ा है। मेला संपन्न होने के साथ ही स्थल की साफ-सफाई कराई गई। इसमें बड़ी संख्या में सफाई कर्मियों को लगाया हुआ है।
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यहां ककोड़ा देवी के रूप में स्थापित सुनहरे गोटे से सजी लाल झंडी लेकर ककोड़ा गांव गए, जहां ऐतिहासिक ककोड़ा देवी मंदिर पर पुरोहित को झंडी सौंपी। देवी स्वरूपा झंडी को विधि विधान से उनके मंदिर में स्थापित किया गया। देवी मां को अगले वर्ष पुन: पधारने के लिए निमंत्रण भी दिया गया। इसी के साथ ही जिला पंचायत प्रशासन अब मेले की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी से मुक्त हो गया है।
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गंगातट पर ककोड़ा देवी मंदिर से झंडी की स्थापना के साथ मेले का शुभारंभ 29 अक्तूबर को हुआ था। इसमें लाखों लोग पहुंचे। साधु-संतों और तमाम परिवारों ने गंगा की रेती पर अपने तंबुओं के आशियाने बनाकर कल्पवास भी किया। बुधवार को विधि-विधान से पूजा-अर्चना के साथ झंडी वापस मंदिर में स्थापित कर दिए जाने के साथ ही सभी जिम्मेदार मेले की व्यवस्थाओं से भी मुक्त हो गए।
जिला पंचायत के अधिकारियों और मेला कोतवाल प्रभारी समेत मेला के तमाम सहयोगी और जिम्मेदारों ने मेला सकुशल संपन्न होने पर गंगा तट और ककोड़ा देवी मंदिर में प्रसाद वितरण किया। अगले वर्ष के लिए निमंत्रण देकर कृपा बनाए रखने का आशीर्वाद लिया। इसी के साथ मेले में बसा तंबुओं का शहर पूरी तरह उखड़ गया।
जिला पंचायत की ओर से जो सुविधाएं दी जा रहीं थीं, वे भी बुधवार को बंद कर दी गईं। हालांकि अभी कुछ व्यापारी मेले में रुके हुए हैं। एक-दो दिन में वे भी चले जाएंगे। खेल तमाशे और टैंट का सामान अभी पड़ा है। मेला संपन्न होने के साथ ही स्थल की साफ-सफाई कराई गई। इसमें बड़ी संख्या में सफाई कर्मियों को लगाया हुआ है।

मेला स्थल पर गंगा किनारे लगी झंडी लेने पहुंचे अधिकारी। संवाद