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Deoria News: बिगड़ी हवा से घुट रहा दम...एक्यूआई 160 के पार
संवाद न्यूज एजेंसी, देवरिया
Updated Thu, 13 Nov 2025 12:20 AM IST
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तरकुलवा के बसंतपुर धूसी में पराली जलाने के दौरान गन्ने के खेत में लगी आग, फोटो संवाद
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गोरखपुर। धान की कटाई में हुई देरी के बाद किसान तेजी से खेत खाली करने के लिए पराली जला रहे हैं। नमी की वजह से वातावरण में धुएं और धूल की परत जम गई है, जिसके चलते शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 160 के पार पहुंच गया, जो ‘मध्यम से खराब’ श्रेणी में आता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति अगर कुछ दिनों तक बनी रही तो सांस और आंखों से जुड़ी बीमारियां बढ़ेंगी। अस्पतालों में दमा के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
सर्दी की शुरुआत के समय हवा में नमी होने के कारण वातावरण में उड़ने वाले धूल और धुएं के कण जमा होने लगते हैं। इधर धान की कटाई देर से होने के बाद मजबूरी में किसान खेत को जल्द खाली करने के लिए पराली जलाने लगे हैं। इससे धुएं और मिट्टी के सूक्ष्म कणों ने वातावरण में एक स्थायी परत बना ली है। सुबह और शाम के समय दृश्यता घट रही है।
ग्रामीण इलाकों से लेकर शहर की सीमा तक धुएं का असर साफ देखा जा सकता है। बरहज, रुद्रपुर, भाटपाररानी, पिंडी से लगायत शहर के नजदीक के हिस्सों में भी पराली जलाई जा रही है। प्रशासन के बार-बार चेतावनी देने और वैकल्पिक उपाय बताने के बावजूद किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे। किसानों का कहना है कि समय कम है और खेत जल्दी खाली करने की मजबूरी है, क्योंकि गेहूं की बुवाई की तैयारी शुरू होनी है।
पराली के धुएं का असर अब लोगों की सेहत पर दिखने लगा है। मेडिकल कॉलेज और निजी क्लीनिकों में खांसी, गले में खराश और सांस की तकलीफ वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है।
मेडिकल कॉलेज के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराग शुक्ला का कहना है कि प्रदूषण के इस स्तर पर बुजुर्गों, बच्चों और अस्थमा के रोगियों को खास सावधानी बरतने की जरूरत है। उन्होंने लोगों को सुबह-शाम अनावश्यक रूप से बाहर निकलने से परहेज करने की सलाह दी है।
साथ ही, मास्क का उपयोग करने और घरों में पौधे लगाने की अपील की है। पर्यावरण विभाग की टीम ने कई जगहों पर निरीक्षण कर किसानों को नोटिस भी जारी किए हैं।
एक सप्ताह से जल रही पराली : पराली जलाने की घटनाएं लगातार हो रही हैं। दो दिन पहले ही पिंडी इलाके में एक किसान ने अपने खेत में पराली जलाकर छोड़ दी।
आग की लपटें बगल के खेत में फैल गईं, जिससे 12 बीघा धान की फसल जल गई। दो दिन पहले देवरिया शहर के समीप रुद्रपुर रोड के किनारे एक किसान ने खेत में पराली जलाकर छोड़ दी थी, जिससे शहर के नजदीक तक धुआं दिखने लगा था।
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विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति अगर कुछ दिनों तक बनी रही तो सांस और आंखों से जुड़ी बीमारियां बढ़ेंगी। अस्पतालों में दमा के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
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सर्दी की शुरुआत के समय हवा में नमी होने के कारण वातावरण में उड़ने वाले धूल और धुएं के कण जमा होने लगते हैं। इधर धान की कटाई देर से होने के बाद मजबूरी में किसान खेत को जल्द खाली करने के लिए पराली जलाने लगे हैं। इससे धुएं और मिट्टी के सूक्ष्म कणों ने वातावरण में एक स्थायी परत बना ली है। सुबह और शाम के समय दृश्यता घट रही है।
ग्रामीण इलाकों से लेकर शहर की सीमा तक धुएं का असर साफ देखा जा सकता है। बरहज, रुद्रपुर, भाटपाररानी, पिंडी से लगायत शहर के नजदीक के हिस्सों में भी पराली जलाई जा रही है। प्रशासन के बार-बार चेतावनी देने और वैकल्पिक उपाय बताने के बावजूद किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे। किसानों का कहना है कि समय कम है और खेत जल्दी खाली करने की मजबूरी है, क्योंकि गेहूं की बुवाई की तैयारी शुरू होनी है।
पराली के धुएं का असर अब लोगों की सेहत पर दिखने लगा है। मेडिकल कॉलेज और निजी क्लीनिकों में खांसी, गले में खराश और सांस की तकलीफ वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है।
मेडिकल कॉलेज के श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराग शुक्ला का कहना है कि प्रदूषण के इस स्तर पर बुजुर्गों, बच्चों और अस्थमा के रोगियों को खास सावधानी बरतने की जरूरत है। उन्होंने लोगों को सुबह-शाम अनावश्यक रूप से बाहर निकलने से परहेज करने की सलाह दी है।
साथ ही, मास्क का उपयोग करने और घरों में पौधे लगाने की अपील की है। पर्यावरण विभाग की टीम ने कई जगहों पर निरीक्षण कर किसानों को नोटिस भी जारी किए हैं।
एक सप्ताह से जल रही पराली : पराली जलाने की घटनाएं लगातार हो रही हैं। दो दिन पहले ही पिंडी इलाके में एक किसान ने अपने खेत में पराली जलाकर छोड़ दी।
आग की लपटें बगल के खेत में फैल गईं, जिससे 12 बीघा धान की फसल जल गई। दो दिन पहले देवरिया शहर के समीप रुद्रपुर रोड के किनारे एक किसान ने खेत में पराली जलाकर छोड़ दी थी, जिससे शहर के नजदीक तक धुआं दिखने लगा था।