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Deoria News: पशु तस्करी के धंधे से जुड़ रहे नौजवान, बन रहे अपराधी
संवाद न्यूज एजेंसी, देवरिया
Updated Thu, 13 Nov 2025 12:23 AM IST
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देवरिया। कम मेहनत में अधिक मुनाफे की चाह ने सीमावर्ती इलाकों के युवाओं को अपराध की दुनिया में धकेल दिया है। पशु तस्करी इसमें सबसे मुफीद है।
स्थानीय स्तर पर चुराकर या छुट़्टा घूम रहा पशु भी बिहार से बंगाल तक जाते-जाते 25 से 30 हजार रुपये का मुनाफा दे जाता है। पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश तक पहुंचते ही दो क्विंटल वजन का एक गोवंश करीब एक लाख रुपये का हो जाता है।
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में गोवंशीय पशुओं की बड़ी मांग है। वहां इनका मीट 450 से 500 रुपये किलो तक बिक जाता है। चमड़े की कीमत अलग से मिलती है। हड्डी व पैर का खुर तक बिक जाता है।
बिहार में पशुओं को ले जाने पर कोई रोक नहीं है। इसीलिए तस्करों को केवल यूपी सीमा ही पार कराना होता है। मवेशी बिहार पहुंचते ही 40 से 45 हजार रुपये का हो जाता है। वहीं, बंगाल में बार्डर पार करने पर इसकी कीमत 70 से 80 हजार रुपये तक पहुंच जाती है।
एक खेप में 10 लाख तक का मुनाफा : पहले पकड़े जा चुके तस्करों से पुलिस को इस बात की जानकारी मिली थी कि यूपी से 25 गोवंश लदा ट्रक बिहार के किशनगंज जिले के रास्ते पश्चिम बंगाल में पहुंचता है तो उस पर तस्करों को करीब 10 लाख रुपये का मुनाफा मिलता है। स्थानीय स्तर पर पशुओं की सूचना देने वाले को 500, पशुओं को छोटी गाड़ी से आसपास के निर्धारित जगह तक पहुंचाने वाले को 1000 से 1500 रुपये तक दिए जाते हैं। चरवाहा या किसान बनकर बाॅर्डर पार कराने पर भी 1000 से 1200 रुपये मिल जाते हैं। बाॅर्डर इलाके में तस्कर सबसे अधिक चरवाहा या किसान बनकर ही एक-दो की संख्या में पशुओं को पार कराते हैं। युवा थोड़ा सा रिस्क उठाने पर बड़ा फायदा मिलता देख इस धंधे से जुड़कर अपराधी बन रहे हैं।
बिहार बाॅर्डर के इलाके में बढ़े अंजान लोग : पशु तस्करों का नेटवर्क सीमावर्ती इलाकों में मजबूत हो गया है। बिहार के तमाम लोग इन इलाके में किराए पर कमरे लेकर डेरा जमाए रहते हैं। इन्हीं की आड़ में तस्कर भी छिप जाते हैं। खामपार, बनकटा समेत बार्डर इलाके में पिछले कुछ महीनों में तस्करों की गतिविधियां बढ़ी हैं। देवरिया और आसपास के जिलों की पुलिस लगातार अभियान चलाकर पशु तस्करी के नेटवर्क को तोड़ने का प्रयास कर रही है। सीमावर्ती चौकियों पर गश्त बढ़ाई गई है और पशु परिवहन करने वाले वाहनों की सघन चेकिंग की जा रही है।
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पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में गोवंशीय पशुओं की बड़ी मांग है। वहां इनका मीट 450 से 500 रुपये किलो तक बिक जाता है। चमड़े की कीमत अलग से मिलती है। हड्डी व पैर का खुर तक बिक जाता है।
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बिहार में पशुओं को ले जाने पर कोई रोक नहीं है। इसीलिए तस्करों को केवल यूपी सीमा ही पार कराना होता है। मवेशी बिहार पहुंचते ही 40 से 45 हजार रुपये का हो जाता है। वहीं, बंगाल में बार्डर पार करने पर इसकी कीमत 70 से 80 हजार रुपये तक पहुंच जाती है।
एक खेप में 10 लाख तक का मुनाफा : पहले पकड़े जा चुके तस्करों से पुलिस को इस बात की जानकारी मिली थी कि यूपी से 25 गोवंश लदा ट्रक बिहार के किशनगंज जिले के रास्ते पश्चिम बंगाल में पहुंचता है तो उस पर तस्करों को करीब 10 लाख रुपये का मुनाफा मिलता है। स्थानीय स्तर पर पशुओं की सूचना देने वाले को 500, पशुओं को छोटी गाड़ी से आसपास के निर्धारित जगह तक पहुंचाने वाले को 1000 से 1500 रुपये तक दिए जाते हैं। चरवाहा या किसान बनकर बाॅर्डर पार कराने पर भी 1000 से 1200 रुपये मिल जाते हैं। बाॅर्डर इलाके में तस्कर सबसे अधिक चरवाहा या किसान बनकर ही एक-दो की संख्या में पशुओं को पार कराते हैं। युवा थोड़ा सा रिस्क उठाने पर बड़ा फायदा मिलता देख इस धंधे से जुड़कर अपराधी बन रहे हैं।
बिहार बाॅर्डर के इलाके में बढ़े अंजान लोग : पशु तस्करों का नेटवर्क सीमावर्ती इलाकों में मजबूत हो गया है। बिहार के तमाम लोग इन इलाके में किराए पर कमरे लेकर डेरा जमाए रहते हैं। इन्हीं की आड़ में तस्कर भी छिप जाते हैं। खामपार, बनकटा समेत बार्डर इलाके में पिछले कुछ महीनों में तस्करों की गतिविधियां बढ़ी हैं। देवरिया और आसपास के जिलों की पुलिस लगातार अभियान चलाकर पशु तस्करी के नेटवर्क को तोड़ने का प्रयास कर रही है। सीमावर्ती चौकियों पर गश्त बढ़ाई गई है और पशु परिवहन करने वाले वाहनों की सघन चेकिंग की जा रही है।