श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का कार्य जोरों पर चल रहा है। राममंदिर तकनीक के साथ-साथ भव्यता के मामले में भी चुनिंदा मंदिरों में शामिल होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट परिसर की योजना है कि परिसर में प्रवेश करते ही रामायण युग का अहसास हो। इसी के तहत 70 एकड़ के परिसर में रामायण के पात्रों के नाम पर भी प्रकल्प बनाए जाने का प्लान है, जो त्रेतायुग का अहसास कराते नजर आएंगे।
ट्रस्ट ने रामजन्मभूमि परिसर के 70 एकड़ का मास्टर प्लान तैयार कर लिया है। इसमें 2.77 एकड़ में मुख्य मंदिर होगा शेष परिसर में अन्य कई प्रकल्प होंगे। यहां भक्तों के लिए जनसुविधाएं विकसित की जाएंगी तो दर्जनों अन्य प्रकल्पों को भी मूर्त रूप देने की तैैयारी है।
परिसर में माता सीता, भरत, दशरथ, लक्ष्मण, कौशल्या, महर्षि वाल्मीकि, गुरू वशिष्ठ सहित लवकुश के नाम पर प्रकल्प विकसित किए जाएंगे जो रामायण युग को जीवंत करते दिखेंगे। माता कौशल्या के नाम पर वात्सल्य मंडप का निर्माण होगा। जिसमें प्रदर्शनी कक्ष सहित झांकियों का परिसर होगा। यहां रामकथा की झांकियां भक्तों के आकर्षण का केंद्र होंगी। रामांगण में बहुआयामी चलचित्र शाला होगी।
रामायण में पुस्तकालय, ग्रंथागार और वाचनालय होगा। महर्षि वाल्मीकि के नाम के प्रकल्प में अभिलेखागार और अनुसंधान केंद्र होगा। रामाश्रयम में बहुतलीय धर्मशाला, प्रतीक्षालय एवं विश्रामालय बनाए जाएंगे। दशरथ के नाम पर बनने वाले प्रकल्प में आदर्श गोशाला का निर्माण किया जाएगा। लक्ष्मण वाटिका में कमल पुष्करिणी, जलाशय एवं संगीत फव्वारे परिसर को आधुनिक भव्यता देते दिखेंगे।
भगवान श्रीराम के पुत्र के नाम पर लव कुश निकुंज बनेगा। जिसमें युवा एवं बाल क्रियाकलाप क्षेत्र विकसित किया जाएगा। इसी तरह भरत के नाम पर प्रसाद मंडप बनाया जाएगा। जिसमें भगवान का भोग प्रबंधन होगा।
प्रसाद के लिए पाकशाला व भंडारण गृह भी यहीं बनेगा। माता सीता के नाम पर रसोई में अन्नक्षेत्र की व्यवस्था होगी। गुरू वशिष्ठ पीठिका में वेद, पुराण, रामायण एवं संस्कृत अध्ययन-अनुसंधान की व्यवस्था होगी। रामायण के पात्रों पर बनने वाले इन प्रकल्पों के जरिए पूूूरे परिसर को राममय करने की योजना बनाई गई है। श्रीराम जन्मभूमि परिसर स्थित प्राचीन शेषावतार मंदिर का भी संरक्षण किए जाने की योजना भी ट्रस्ट ने बना रखी है।
श्रीराम जन्मभूमि न्यास द्वारा परिसर में वर्ष 1992 में जुलाई से नवंबर के मध्य शेषावतार मंदिर बनवाया गया था। आंध्र प्रदेश के वास्तु विशेषज्ञों के देखरेख में यह मंदिर बना था। मंदिर के दक्षिण-पश्चिम कोने को ऊंचा रखा गया था और लक्ष्मण जी के मंदिर की कल्पना की गई। ट्रस्ट अब उसी कल्पना को मूर्त रूप देने की तैयारी में हैं। शेषावतार मंदिर को सहेजते हुए उसे भव्यता प्रदान की जाएगी।
श्रीराम जन्मभूमि परिसर त्रेतायुग का अहसास कराएगा। राममंदिर की भव्यता तो मंत्रमुग्ध करने वाली होगी ही, इसके अलावा रामायण से जुड़े अन्य पात्रों के नाम पर भी कई प्रकल्प बनाए जाने की योजना है। राममंदिर निर्माण के समानांतर ही भक्तों के लिए सुविधाएं भी विकसित करने का काम शुरू कर दिया गया है।
- डॉ.अनिल मिश्र, सदस्य श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट
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श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का कार्य जोरों पर चल रहा है। राममंदिर तकनीक के साथ-साथ भव्यता के मामले में भी चुनिंदा मंदिरों में शामिल होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट परिसर की योजना है कि परिसर में प्रवेश करते ही रामायण युग का अहसास हो। इसी के तहत 70 एकड़ के परिसर में रामायण के पात्रों के नाम पर भी प्रकल्प बनाए जाने का प्लान है, जो त्रेतायुग का अहसास कराते नजर आएंगे।
ट्रस्ट ने रामजन्मभूमि परिसर के 70 एकड़ का मास्टर प्लान तैयार कर लिया है। इसमें 2.77 एकड़ में मुख्य मंदिर होगा शेष परिसर में अन्य कई प्रकल्प होंगे। यहां भक्तों के लिए जनसुविधाएं विकसित की जाएंगी तो दर्जनों अन्य प्रकल्पों को भी मूर्त रूप देने की तैैयारी है।
परिसर में माता सीता, भरत, दशरथ, लक्ष्मण, कौशल्या, महर्षि वाल्मीकि, गुरू वशिष्ठ सहित लवकुश के नाम पर प्रकल्प विकसित किए जाएंगे जो रामायण युग को जीवंत करते दिखेंगे। माता कौशल्या के नाम पर वात्सल्य मंडप का निर्माण होगा। जिसमें प्रदर्शनी कक्ष सहित झांकियों का परिसर होगा। यहां रामकथा की झांकियां भक्तों के आकर्षण का केंद्र होंगी। रामांगण में बहुआयामी चलचित्र शाला होगी।
रामायण में पुस्तकालय, ग्रंथागार और वाचनालय होगा। महर्षि वाल्मीकि के नाम के प्रकल्प में अभिलेखागार और अनुसंधान केंद्र होगा। रामाश्रयम में बहुतलीय धर्मशाला, प्रतीक्षालय एवं विश्रामालय बनाए जाएंगे। दशरथ के नाम पर बनने वाले प्रकल्प में आदर्श गोशाला का निर्माण किया जाएगा। लक्ष्मण वाटिका में कमल पुष्करिणी, जलाशय एवं संगीत फव्वारे परिसर को आधुनिक भव्यता देते दिखेंगे।
भगवान श्रीराम के पुत्र के नाम पर लव कुश निकुंज बनेगा। जिसमें युवा एवं बाल क्रियाकलाप क्षेत्र विकसित किया जाएगा। इसी तरह भरत के नाम पर प्रसाद मंडप बनाया जाएगा। जिसमें भगवान का भोग प्रबंधन होगा।
प्रसाद के लिए पाकशाला व भंडारण गृह भी यहीं बनेगा। माता सीता के नाम पर रसोई में अन्नक्षेत्र की व्यवस्था होगी। गुरू वशिष्ठ पीठिका में वेद, पुराण, रामायण एवं संस्कृत अध्ययन-अनुसंधान की व्यवस्था होगी। रामायण के पात्रों पर बनने वाले इन प्रकल्पों के जरिए पूूूरे परिसर को राममय करने की योजना बनाई गई है। श्रीराम जन्मभूमि परिसर स्थित प्राचीन शेषावतार मंदिर का भी संरक्षण किए जाने की योजना भी ट्रस्ट ने बना रखी है।
श्रीराम जन्मभूमि न्यास द्वारा परिसर में वर्ष 1992 में जुलाई से नवंबर के मध्य शेषावतार मंदिर बनवाया गया था। आंध्र प्रदेश के वास्तु विशेषज्ञों के देखरेख में यह मंदिर बना था। मंदिर के दक्षिण-पश्चिम कोने को ऊंचा रखा गया था और लक्ष्मण जी के मंदिर की कल्पना की गई। ट्रस्ट अब उसी कल्पना को मूर्त रूप देने की तैयारी में हैं। शेषावतार मंदिर को सहेजते हुए उसे भव्यता प्रदान की जाएगी।
श्रीराम जन्मभूमि परिसर त्रेतायुग का अहसास कराएगा। राममंदिर की भव्यता तो मंत्रमुग्ध करने वाली होगी ही, इसके अलावा रामायण से जुड़े अन्य पात्रों के नाम पर भी कई प्रकल्प बनाए जाने की योजना है। राममंदिर निर्माण के समानांतर ही भक्तों के लिए सुविधाएं भी विकसित करने का काम शुरू कर दिया गया है।
- डॉ.अनिल मिश्र, सदस्य श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट