बिंदकी। अन्ना मवेशी किसानों की मेहनत और लागत दोनों पर पानी फेर रहे हैं। उपज सुरक्षित घर ले जाने के लिए भीषण ठंड में किसान खेतों में रतजगा कर रहे हैं। क्षेत्र में गोशाला होने के बाद भी किसानों की परेशानी कम नहीं है। इससे अन्नदाताओं में आक्रोश है।
अमौली ब्लॉक के सहिमलपुर, शिवपुरी, बसफरा, खजुरिया, नरैनी, रोटी, डिघरुवा, कापिल आदि गांवों में अन्ना मवेशियों के आतंक से किसान परेशान हैं।
आलू और गेहूं की फसल सुरक्षित घर ले जाने के लिए कड़ाके की ठंड में अन्नदाता खासी मेहनत कर रहे हैं। उनके लिए मटर, शकरकंद व सब्जियों की फसल बचाना भी चुनौती है।
नील गायों से अभी तक किसान परेशान थे, लेकिन अब दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। कड़ाके की ठंड में रात को अन्ना मवेशियों के झुंड फसलों में धावा बोल रहे हैं।
जो देखते ही देखते फसलें चट कर जाते हैं या फिर रौंदकर नष्ट कर देते हैं। फसलें बचाने के लिए रात में भी किसान खेतों में डटे रहते हैं। रात भर टॉर्च की रोशनी में लाठी के सहारे किसान मवेशियों को दौड़ाते रहते हैं।
रितेश का कहना है कि अन्ना मवेशी फसल उजाड़ रहे हैं। अपनी फसल बचाने के लिए किसानों को खासा संघर्ष करना पड़ रहा है। यह बहुत दुखदाई है। किसानों को इस समस्या से निजात दिलाने की जरूरत है।
किसान अनूप का कहना है कि किसान रात भर फसल की रखवाली करते है। इसके बावजूद फसल सुरक्षित रखना चुनौती बना है। किसानों को अन्ना मवेशियों से सरकारी गोशाला भी निजात नहीं दिला सकीं।
किसान सेवालाल का कहना है कि गोशाला खोले गए हैं, लेकिन अन्ना मवेशी नहीं भेजे जा रहे। किसान फसल को बचाने के लिए गुहार लगाता है, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। प्रधान भी इस समस्या को नजर अंदाज कर रहे हैं।
किसान सोमदत्त पांडेय का कहना है कि किसानों को हर सुविधाएं देने का वादा सरकार कर रही है, लेकिन अन्ना मवेशियों से निजात नहीं दिला पा रही है। रात दिन किसान को फसलों की सुरक्षा करना पड़ रहे है।
हर ग्राम पंचायत स्तर में गोशाला स्थापित करना शासन की प्राथमिकता है। इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है। फिलहाल अभी अन्ना मवेशियों से किसानों को निजात दिलाने के लिए पंचायत सचिवों को जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें वाहन से गोशाला पहुंचाने के लिए निर्देश दिए गए हैं। अब तक कई गांवों के मवेशी गोशाला पहुंचाए भी गए हैं। - दिनेश वर्मा, प्रभारी बीडीओ, अमौली
बिंदकी। अन्ना मवेशी किसानों की मेहनत और लागत दोनों पर पानी फेर रहे हैं। उपज सुरक्षित घर ले जाने के लिए भीषण ठंड में किसान खेतों में रतजगा कर रहे हैं। क्षेत्र में गोशाला होने के बाद भी किसानों की परेशानी कम नहीं है। इससे अन्नदाताओं में आक्रोश है।
अमौली ब्लॉक के सहिमलपुर, शिवपुरी, बसफरा, खजुरिया, नरैनी, रोटी, डिघरुवा, कापिल आदि गांवों में अन्ना मवेशियों के आतंक से किसान परेशान हैं।
आलू और गेहूं की फसल सुरक्षित घर ले जाने के लिए कड़ाके की ठंड में अन्नदाता खासी मेहनत कर रहे हैं। उनके लिए मटर, शकरकंद व सब्जियों की फसल बचाना भी चुनौती है।
नील गायों से अभी तक किसान परेशान थे, लेकिन अब दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। कड़ाके की ठंड में रात को अन्ना मवेशियों के झुंड फसलों में धावा बोल रहे हैं।
जो देखते ही देखते फसलें चट कर जाते हैं या फिर रौंदकर नष्ट कर देते हैं। फसलें बचाने के लिए रात में भी किसान खेतों में डटे रहते हैं। रात भर टॉर्च की रोशनी में लाठी के सहारे किसान मवेशियों को दौड़ाते रहते हैं।
रितेश का कहना है कि अन्ना मवेशी फसल उजाड़ रहे हैं। अपनी फसल बचाने के लिए किसानों को खासा संघर्ष करना पड़ रहा है। यह बहुत दुखदाई है। किसानों को इस समस्या से निजात दिलाने की जरूरत है।
किसान अनूप का कहना है कि किसान रात भर फसल की रखवाली करते है। इसके बावजूद फसल सुरक्षित रखना चुनौती बना है। किसानों को अन्ना मवेशियों से सरकारी गोशाला भी निजात नहीं दिला सकीं।
किसान सेवालाल का कहना है कि गोशाला खोले गए हैं, लेकिन अन्ना मवेशी नहीं भेजे जा रहे। किसान फसल को बचाने के लिए गुहार लगाता है, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। प्रधान भी इस समस्या को नजर अंदाज कर रहे हैं।
किसान सोमदत्त पांडेय का कहना है कि किसानों को हर सुविधाएं देने का वादा सरकार कर रही है, लेकिन अन्ना मवेशियों से निजात नहीं दिला पा रही है। रात दिन किसान को फसलों की सुरक्षा करना पड़ रहे है।
हर ग्राम पंचायत स्तर में गोशाला स्थापित करना शासन की प्राथमिकता है। इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है। फिलहाल अभी अन्ना मवेशियों से किसानों को निजात दिलाने के लिए पंचायत सचिवों को जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें वाहन से गोशाला पहुंचाने के लिए निर्देश दिए गए हैं। अब तक कई गांवों के मवेशी गोशाला पहुंचाए भी गए हैं। - दिनेश वर्मा, प्रभारी बीडीओ, अमौली