फतेहपुर। कड़ाके की ठंड और भूख से गोशाला के मवेशी तड़प-तड़प कर मर रहे हैं। इन गोवंशों को गड्ढे में डाल दिया जाता है। जिसके बाद इन गोवंशों को कुत्ते नोंच कर अपना पेट भर रहे हैं।
इधर रारा गोशाला में पानी पीने के लिए बने तालाब पर जाने वाले गोवंश वहीं फंस जाते हैं और निकल न पाने के कारण उनकी मौत हो रही है। रविवार को इस तालाब में तीन गोवंश पानी में उतराते नजर आए।
भिटौरा ब्लाक की रारा गोशाला में 455 गोवंश हैं। यहां मवेशियों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए गोशाला परिसर में तालाब बना है। रविवार को इस तालाब में तीन गोवंश मरे पड़े देखे गए।
परिसर में ही एक गड्ढे में मरे गोवंश को कुत्ते नोचते रहे। अलग-अलग टीनशेडों में करीब 10 गोवंश बीमार पड़े थे। जो चलने-फिरने के लायक नहीं हैं और अपने जीवन की अंतिम सांसे गिन रहे हैं।
मवेशियों को पेट भरने के लिए कितना चारा मिलता है, इसका अनुमान तो गोवंशों को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। गोवंशों के चारा के लिए बनी नाद सूखी पड़ी थी।
अधिकारियों के निरीक्षण के लिए गोदाम में करीब तीन सेे चार क्विंटल भूसा रखा हुआ है। जबकि हकीकत यह है कि एक गोवंश को 4.400 किलो एक दिन में भूसा देने का नियम है। जितना भूसा गोशाला में पड़ा है, वह गोवंशों के लिए एक टाइम का भी नहीं है।
गोशाला का निरीक्षण किया जाएगा, अगर किसी प्रकार की अनियमितता मिलती है, तो प्रधान व पंचायत सचिव पर कार्रवाई की जाएगी। गोशाला में गोवंशों के मरने की सूचना नहीं है। - एपी चौबे, डीआरडीए पीडी
रारा गोशाला में बने तालाब में उतराते मरे गोवंश। संवाद- फोटो : FATEHPUR
रारा गोशाला में बीमार पड़े गोवंश। संवाद- फोटो : FATEHPUR
फतेहपुर। कड़ाके की ठंड और भूख से गोशाला के मवेशी तड़प-तड़प कर मर रहे हैं। इन गोवंशों को गड्ढे में डाल दिया जाता है। जिसके बाद इन गोवंशों को कुत्ते नोंच कर अपना पेट भर रहे हैं।
इधर रारा गोशाला में पानी पीने के लिए बने तालाब पर जाने वाले गोवंश वहीं फंस जाते हैं और निकल न पाने के कारण उनकी मौत हो रही है। रविवार को इस तालाब में तीन गोवंश पानी में उतराते नजर आए।
भिटौरा ब्लाक की रारा गोशाला में 455 गोवंश हैं। यहां मवेशियों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए गोशाला परिसर में तालाब बना है। रविवार को इस तालाब में तीन गोवंश मरे पड़े देखे गए।
परिसर में ही एक गड्ढे में मरे गोवंश को कुत्ते नोचते रहे। अलग-अलग टीनशेडों में करीब 10 गोवंश बीमार पड़े थे। जो चलने-फिरने के लायक नहीं हैं और अपने जीवन की अंतिम सांसे गिन रहे हैं।
मवेशियों को पेट भरने के लिए कितना चारा मिलता है, इसका अनुमान तो गोवंशों को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। गोवंशों के चारा के लिए बनी नाद सूखी पड़ी थी।
अधिकारियों के निरीक्षण के लिए गोदाम में करीब तीन सेे चार क्विंटल भूसा रखा हुआ है। जबकि हकीकत यह है कि एक गोवंश को 4.400 किलो एक दिन में भूसा देने का नियम है। जितना भूसा गोशाला में पड़ा है, वह गोवंशों के लिए एक टाइम का भी नहीं है।
गोशाला का निरीक्षण किया जाएगा, अगर किसी प्रकार की अनियमितता मिलती है, तो प्रधान व पंचायत सचिव पर कार्रवाई की जाएगी। गोशाला में गोवंशों के मरने की सूचना नहीं है। - एपी चौबे, डीआरडीए पीडी

रारा गोशाला में बने तालाब में उतराते मरे गोवंश। संवाद- फोटो : FATEHPUR

रारा गोशाला में बीमार पड़े गोवंश। संवाद- फोटो : FATEHPUR