आसमान में ईगल्स की ‘डेयरिंग’ ने बढ़ाया रोमांच
गोरखपुर। एयरफोर्स स्टेशन गोरखपुर में 105 हेलीकॉप्टर यूनिट (डेयरिंग ईगल्स) की हीरक जयंती मनाई गई। इस दौरान आसमान में डेयरिंग ईगल्स और सारंग हेलीकॉप्टर की टीम ने हैरतअंगेज प्रदर्शन कर दर्शकों को रोमांचित कर दिया।
हवा में कभी ऊंचाई तो कभी धरती से महज कुछ दूरी पर आकर कलाबाजियां करते इन हेलीकॉप्टरों के हर करतब पर दर्शकों ने ‘वंदेमातरम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए। इस अवसर पर वायुसेना स्टेशन पर मौजूद फाइटर प्लेनों का हथियारों सहित डिस्प्ले भी हुआ।
इस अवसर को यादगार बनाने के लिए एयर वाइस मार्शल ए. तिवारी, विशिष्ट सेवा मेडल, कमोडोर कमांडेंट 20 नवंबर को 105 हेलीकॉप्टर यूनिट के हीरक जयंती समारोह पर वायु सेना स्टेशन गोरखपुर पहुंचे। एयर कमोडोर पवन कुमार, वायु सेवा मेडल, वायु अफसर कमांडिंग, वायुसेना स्टेशन गोरखपुर ने उनका स्वागत किया। चार दिवसीय दौरे के दौरान कमोडोर कमांडेंट ने 105 हेलीकॉप्टर यूनिट का दौरा किया। यूनिट के 60 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सभी सेवानिवृत्त एवं सेवारत कार्मिकों को उनके निस्वार्थ समर्पण भाव, अनुकरणीय साहस, अद्वितीय त्याग के लिए बधाई दी।
जगुआर की ताकत
फ्रांस निर्मित एयरक्राफ्ट भारतीय वायुसेना में 1979 में शामिल हुआ। 2000 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड, उड़ान की ऊंचाई अधिकतम 45900, लेजर गाइडेड बम, हारपुन मिसाइल और एक हजार पाउंड तक के बम ले जाने की क्षमता।
भूटान से वर्मा, भारत-चीन युद्ध में दिखाया जलवा
एयरफोर्स स्टेशन के जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि ‘डेयरिंग ईगल्स’ के नाम से प्रख्यात भारतीय वायुसेना की 105 हेलीकॉप्टर यूनिट एक विशाल धरोहर होने के साथ दूसरी सबसे पुरानी हेलीकॉप्टर यूनिट है। इस यूनिट की स्थापना बेल 47 जी हेलीकॉप्टर के साथ वायुसेना स्टेशन जोरहाट में 23 नवंबर 1959 को की गई थी।
इस यूनिट को मी-4 हेलीकॉप्टरों से दोबारा लैस करके 1964 में वायु सेना स्टेशन छबुआ लाया गया। यह यूनिट 1 सितंबर 1981 को मी-8 हेलीकॉप्टरों में रूपांतरित हुआ। 3 अगस्त 1987 को वायुसेना स्टेशन गोरखपुर आया। सन् 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान, इस यूनिट ने भूटान से वर्मा तक की सीमा पर अपना ऑपरेशन चलाया। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान यह यूनिट कुभीरग्राम से अगरतला तक, 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में 6023 सैनिकों एवं 55000 किलोग्राम का मिलिट्री हार्डवेयर को ढाका के नजदीक उतारने का अब तक का सबसे साहसिक कार्य इस यूनिट ने किया।
1987 में गोरखपुर आया डेयरिंग ईगल्स
1987 में गोरखपुर आने के बाद इसकी विशिष्टता के कारण इसे विभिन्न क्षेत्रों में ऑपरेशनल कार्य का उत्तरदायित्व दिया गया। अब तक इस यूनिट को एक वीर चक्र, 4 शौर्य चक्र, 15 वायुसेना मेडल, दो विशिष्ट सेवा मेडल, 39 वायु सेनाध्यक्ष प्रशस्ति प्रमाण-पत्र, एक सह वायु सेनाध्यक्ष प्रशस्ति प्रमाण-पत्र एवं 45 वायु अफसर कमांडिंग-इन-चीफ प्रशस्ति प्रमाण पत्र मिला है।